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पद्य

वो बंद कमरें
कविता

वो बंद कमरें

दुर्गादत्त पाण्डेय वाराणसी ******************** (१) जी हाँ! जेहन में आज भी जीवित हैं, वो बंद कमरें जहाँ दीवारों के कान, इंसानों के कानों से ज्यादा समर्थ हैं, सुनने में वो ख़ामोश आवाज, ह्रदय को विचलित कर देने वाला असहनीय शोर इन यादों को आज भी संजोये रखें हैं, वो बंद कमरें (२) परिस्थितियों को अपने अनुकूल मोड़ देने कि उम्मीद लिए, आज भी वो लड़के खूब लड़ते हैं, खुद से, इस समाज से अपने वर्तमान से अपने वर्तमान के लिए लेकिन इन हालातों को जब वो, कुछ पल संभाल न पाते हैं तो फिर इन लड़कों को, संभालते हैं, वो बंद कमरें (३) दरअसल मैं एक बात स्पष्ट कर दूं वो बंद कमरें, कोई साधारण कमरें नहीं हैं, वो इस जीवन कि प्रयोगशाला हैं जहाँ टूटने व बिखरने से लेकर सम्भलने व संवरने तक के अध्याय, इनमें समाहित हैं (४) मुझे संकोच नहीं हैं कहने में वो बंद कमरें भी एक, विश्वविद्यालय हैं...
जिद्दी व्यक्तित्व
कविता

जिद्दी व्यक्तित्व

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** तुम कितनी भी कोशिश करो बिखराने की हमें हम बिखर कर भी फिर से जुड़ जाएगे। तुम कितनी भी कोशिश करो जलाने की हमें हम जली राख़ से भी अपना मका बना लेंगे। तुम कितनी भी कोशिश करो राहों मे गिराने की हमें हम गिर कर भी फिर उठ चल पड़ेगे। तुम कितनी भी कोशिश करो हमें हराने की हम हार कर भी फिर अपना मुकाम जीत जाएंगे। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, र...
हनुमत-वंदना
दोहा

हनुमत-वंदना

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** संकटमोचन देव हैं, कहते हम हनुमान। असुर मारते, धर्म हित, जय हो दयानिधान।। सदा राममय ही रहें, पावन हैं हनुमान। जो उनके चरणों पड़े, उसकी रखते आन।। रुद्र अंश धारण किया, राम हितैषी तात। जय-जय हो हनुमान जी, देव सदा सौगात।। भूत-पिशाचों पर कहर, हर संकट पर मार। जहाँ रहें हनुमानजी, वहाँ पले उजियार।। वायु पुत्र शत्-शत् नमन्, विनती बारम्बार। करना मुझ पर तुम दया, करो मुझे भव पार।। लाल अंजना तुम सदा, रखना सिर पर हाथ। कैसी भी विपदा पड़े, नहीं छोड़ना साथ।। हनुमत तुम बलधाम हो, पावन और महान। सारा जग तुम पर करे, हे भगवन् अभिमान।। राम काज करके बने, रामदुलारे आप। वेग, शौर्य, प्रतिभा, समझ, कौन सकेगा माप।। कलियुग के तुम आसरे, परमबली वरदान। ला दो इस युग में सुखद, फिर से नया विहान।। "शरद" करे विनती सतत्, वंदन ...
जंगल हमर जिनगानी आय…
आंचलिक बोली, कविता

जंगल हमर जिनगानी आय…

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** (छत्तीसगढ़ी कविता) जंगल के महत्तम ल जम्मों झन जानत हव। फेर जंगल ल काटे बर लाहो काबर लेवत हव।। बेंदरा, भालू, हिरन के घर ल काबर उजारत हव। घर म गुस के, घर ले बाहिर काबर करत हव।। काकर बुध म आके तुमन जहर ल बाँटत हव। हरियर हरियर रुख राई ल काबर काटत हव।। जीव-जन्तु के पीरा तुमन काबर नइ सुनत हव। अपने मन के तुमन काबर मनमानी करत हव।। छानी म चड के तुमन काबर होरा भुंजत हव। जंगल काटे के उदिम तुमन काबर करत हव।। आवँव संगी मिल जुर के वनजीव ल बचाबोन। जिनगी के आधार जंगल के मान बड़हाबोन।। परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहान...
प्यारे वचन बड़े अनमोल होते जगत में
कविता

प्यारे वचन बड़े अनमोल होते जगत में

सुनील कुमार "खुराना" नकुड़ सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** वचन ही होते सबके जीवन का सार सबका प्यारे जीवन नदियां की धार प्यारे होते वचन बड़े अनमोल जगत में यहां हर पल लगता जग में दुनिया का मेला कोई आ रहा जग में कोई जा रहा जग से कुछ के गीत गाए ये दुनियां सारी बखत में वचन की खातिर मिट देश पर वीर शिवाजी कितने वीरों ने लगाई जान की अपनी बाजी नाम अमर गए वीर अपना अपने भारत में वचन से ही है ये प्यारी धरती और आसमान मिटा गए भीम अपने जीवन के सारे अरमान भीम की गूंज गूंजे आज इस सारे गगन में परिचय :-  सुनील कुमार "खुराना" निवासी : नकुड़ सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) भारत घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित...
महावीर स्वामी
दोहा

महावीर स्वामी

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** वर्धमान महावीर को, सौ-सौ बार प्रणाम। जैन धर्म का कर सृजन, रचे नवल आयाम।। तीर्थंकर भगवान ने, फैलाया आलोक। परे कर दिया विश्व से, पल में सारा शोक।। महावीर ने जीतकर, मन के सारे भाव। जीत इंद्रियाँ पा लिया, संयम का नव ताव।। कुंडग्राम का वह युवा, बना धर्म दिनमान। रीति-नीति को दे गया, वह इक चोखी आन।। वर्धमान साधक बने, और जगत का मान। जैनधर्म के ज्ञान से, किया मनुज-कल्याण।। पंच महाव्रत धारकर, दिया जगत को सार। करुणा, शुचिता भेंटकर, हमको सौंपा प्यार।। जैन धर्म तो दिव्य है, सिखा रहा सत्कर्म। धार अहिंसा हम रखें, कोमलता का मर्म।। तीर्थंकर चोखे सदा, धर्म प्रवर्तक संत। अपने युग से कर गए, अधम काम का अंत।। मातु त्रिशला धन्य हैं, दिया अनोखा लाल। जो करके ही गया, सच में बहुत कमाल।। आओ ! हम सत् मार्ग के, बने...
महाकुंभ महिमा
भजन

महाकुंभ महिमा

प्रो. डॉ. विनीता सिंह न्यू हैदराबाद लखनऊ (उत्तरप्रदेश) ******************** गंगा, जमुना और सरस्वती तीनों हैं इक साथ में तीनों नदियों का संगम है तीर्थ राज प्रयाग में १. उज्जवल श्यामल पानी मिलकर बहे निर्मल जल धारा कण-कण में है इसके अमृत, कितनों को है तारा ब्रह्मा, शिव का तेज समाया इस निर्मल जल धार में २. इस तीर्थ महिमा की गाथा वेदों ने है गायी यहाँ ऋषि और मुनियों ने हैं कितनी सिद्धियाँ पायीं ज्ञान मिले अध्यात्म जगे संगम के पुण्य प्रताप में ३. भारद्वाज मुनि का आश्रम यहाँ प्रभु राम जी आए थे माता सीता और लक्ष्मण संग में आशीष पाए थे प्रभु राम ने चरण पखारे इस निर्मल जल धार में ४. दरस परस कर महाकुंभ में पुण्य प्रताप जगा लो पावन इस जल की धारा में मन का मैल मिटा लो पाप कटे संताप मिटे इस पावन जल की धार में परिचय :- प्रो. डॉ. विनीता सिंह निवासी : न्यू हैदराबाद लखनऊ ...
चक्रव्यूह
कविता

चक्रव्यूह

राजेन्द्र लाहिरी पामगढ़ (छत्तीसगढ़) ******************** जागृत है सारे सहोदर, दिमाग में भरा है पूरा गोबर, रहते रचते रात दिन वक्रव्यूह, बड़े शान से कह रहे उसे चक्रव्यूह, माना कि चक्रव्यूह भेदना सबके बस की बात नहीं, पर कैसे कहें कि रचने वाला खुद भी है पूरा सही सही, करना नवनिर्माण जायज है, पर विध्वंसक रचना नाजायज है, खुद का बनाया हथियार हो सकता है खुद के लिए घातक, असलहा धरे रह जाते हैं जब सामने आती दिमागी ताकत, दिमाग होता झुंड बराबर नहीं अकेली टूटती लकड़ी, अपने बनाये शानदार जाल में फंस मर जाती है एक दिन मकड़ी। परिचय :-  राजेन्द्र लाहिरी निवासी : पामगढ़ (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी...
आयु अपनी शेष हो गई
कविता

आयु अपनी शेष हो गई

शिवदत्त डोंगरे पुनासा जिला खंडवा (मध्य प्रदेश) ******************* आयु अपनी शेष हो गई पीड़ा की पहनाई में अब भी सपने सुलग रहे देखे जो तरुणाई में काजल सी काली अंधियारी यह रात ढलेगी संभव आशाएं मुस्काए पूरब की अरुणाई में चैता की वो विरह गीतिका कब तक सिसके कभी संदेशा आने का मिल जाए पुरवाई में इन सांसों की उलझन में क्यों जीवन उलझे हरियाए उपवन भी, कलियों की अंगड़ाई में क्यों ना पाए समझ, झुकी दृष्टि की लाचारी क्यों नहीं डूबकर देखा चुप्पी की गहराई में सहमे-सहमे गलियारे हैं दरकी-दरकी दीवारें पहले कैसी चहलपहल होती थी अंगनाई में जब स्वयं को भूल गए हम, अपने ही भीतर कितना बेगानापन लगे अपनी ही परछाई में मन की सारी व्यथा लिखी, इन गीतों छंदों में पूरे सफर की कथा लिखी पांव की बिवाई में परिचय :- शिवदत्त डोंगरे (भूतपूर्व सैनिक) पिता : देवदत डोंगरे जन्म : २० फ...
संत्रास ही संत्रास है
गीत

संत्रास ही संत्रास है

मीना भट्ट "सिद्धार्थ" जबलपुर (मध्य प्रदेश) ******************** संत्रास ही संत्रास है, वक्ष पीटें हम खड़े। टूट कर बिखरा हृदय है, ठौर कोई अब कहाँ। अश्रु झरते हैं नयन से, मात्र मातम है यहाँ।। सूखे नातों के बल पर, किससे कौन अब लड़े। भाग्य को शनि-ग्रह लगा है, व्यथा कथा कौन कहे। शकुनि करें गुप्त मंत्रणा, पीर कितनी अब सहे।। भरा स्वार्थ से जग सारा, नयन लज्जा से गड़े। ग्रहण लगा है दिनकर को, कपटी उजाला छले। शक्ति आसुरी के कारण, पत्थर मोम बन गले।। व्याकुल प्यासे हैं चातक, मगर कितने खग अड़े।। परिचय :- मीना भट्ट "सिद्धार्थ" निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश) पति : पुरुषोत्तम भट्ट माता : स्व. सुमित्रा पाठक पिता : स्व. हरि मोहन पाठक पुत्र : सौरभ भट्ट पुत्र वधू : डॉ. प्रीति भट्ट पौत्री : निहिरा, नैनिका सम्प्रति : सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश (मध्य प्रदे...
कलियुग में राम
कविता

कलियुग में राम

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** धनुष बाण कर उर में धारे, धरती से प्रभु भार उतारे, विप्र धेनु सुर संत के हित, अवतारे श्री राम, निशाचर हीन प्रभु करि भूमि को, यज्ञ के रखवाले श्रीराम धनुषबाण पर चाप चढ़ाते, दुष्टो को प्रभु मार गिराते, यज्ञ की रक्षा करते राम। कलियुग में प्रभु हे आजावो, अति दुष्ट आत-ताई जग में, नारी असुरक्षित, संत प्रताड़ित, धर्म गर्त में हे प्रभु आज, धनुषबाण कर उर मे धारो। सनातनियो को शक्ति दो प्रभु, राम-कृष्ण सी भक्ति दो प्रभु, धरती भी करती है पुकार, धनुषबाण ले आओ राम, दुष्टो को संहारो राम। विधर्मीयो को मार गिराओ राम। परिचय : किरण पोरवाल पति : विजय पोरवाल निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बी.कॉम इन कॉमर्स व्यवसाय : बिजनेस वूमेन विशिष्ट उपलब्धियां : १. अंतर्राष्ट्रीय साहित्य मित्र मंडल जब...
अकेला हूँ मैं
कविता

अकेला हूँ मैं

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** सासों का सिलसिला हूँ मैं माया के झन्झावातो मे आवा जाही मे साजो की माटी का पुतला हूँ मैं। पल-पल आथात होता दिल पर पल-पल मे पलक पर अश्रु बटौरता हूँ मैं कहने को कांरवा है कहाँ तक साथ चले। पत्ते उलचती पगडन्डी पर अकेला हूँ मैं। पल मे पीछे पथिक था जाने कहां खो गया उस साथी के वियोग मे अकेला हूँ मैं रवि, चन्द्र भी साथ नही चलते इसी तरह विधी के बन्धन मे बन्धा हूँ मैं अकेला हूँ मैं, अकेला हूँ मैं। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ी आप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ ...
आदमी पत्थर हो गया है
कविता

आदमी पत्थर हो गया है

बृजेश आनन्द राय जौनपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** आदमी पत्थर हो गया है ये कहती हैं पत्थर की दीवारें हृदयहीन कंम्प्यूटर की तरह सदैव चलता रहता है घर में घर तबाह हो गया है... प्लास्टिक, फर्नीचर या स्टील है आदमी... रोबोट की तरह सदा- दौड़ता रहता है आदमी... मानवता बर्बाद हो गयी है...! दानवता आबाद हो गयी है...! अब मानवता के लिए- पैसे की जरुरत है... दानवता को भी उस पैसे की जरूरत है... सब कुछ तबाह हो गया है रिश्तों से घर बनता है ईट, पत्थर, गाटर, पटिया सबकी सब छोटी बड़ी चीजें हैं जिनसे घर बनता है इनको जोड़ने के लिए सिक्कों के सीमेंट की जरूरत है प्लास्टर के बिना सीमेंट के बिना सब गाटर, पटिया, ईट-पत्थर टुकड़े-टुकड़े हो बिखर रहे हैं...! परिचय :-  बृजेश आनन्द राय निवासी : जौनपुर (उत्तर प्रदेश) सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर म.प्र.द्वारा शिक्षा शिर...
स्त्री कमजोर नहीं
कविता

स्त्री कमजोर नहीं

डॉ. मनीषा ठाकरे नागपुर (महाराष्ट्र) ******************** स्त्री कमजोर नहीं होती, बस संवेदनशील होती है, दुनिया की ठोकरें खाकर भी, मुस्कान में शामिल होती है। जो आँसू तुम कमजोरी समझ बैठे हो, वो उसकी सहनशक्ति की पहचान होती है। हर दर्द को सहेज कर भी, वो किसी का संबल बनती है, मुस्कान होती है। वो अगर खुलकर बोले तुमसे, तो यह उसकी सरलता है, साहस है, हर किसी के सामने दिल खोलना, हर किसी की आदत नहीं होती है। तुम समझ बैठे शायद, उसके शब्दों में कोई इशारा होगा, पर वो तो बस मन की उलझनें, किसी अपने से साझा कर रही होगी। उसकी चुप्पी में तूफान छुपे होते हैं, उसकी बातें भी कभी दवा होती हैं। वो रोती है तो मत समझो कमज़ोर है, उसके आँसू भी आग के जैसे होते है। वो लड़ती है अपने भीतर के डर से हर रोज़, संघर्षों की आग में तपकर कुंदन होती है। उसके विश्वास की क़ीम...
अकेली लड़की
कविता

अकेली लड़की

शकुन्तला दुबे देवास (मध्य प्रदेश) ******************** अकेली लड़की हां। मैं अकेली लड़की हूं। तो क्या हुआ? मेरे साथ मैं तो हूं। अपनी सम्पूर्ण सजगता के साथ। मेरी इच्छाएं आकांक्षाएं अपने विस्तार के साथ। हमेशा रहती है मेरे पास। मेरी सहचरी बनकर कभी सपना कभी सखी बनकर। जब इस निष्ठुर संसार में आदमियों की भीड़ में भी। आदमी अपने आपको पाता है नितान्त अकेला। सुनेपन को झेलता हुआ। तब मैं अकेली नहीं। मैं देती हूं अपने आपको सहारा। एक सुंदर संसार प्यारा मेरे अन्तस का संसार हरा-भरा सबसे न्यारा। जिसमें व्याप्त सकल रुप मे मैं-मैं-मैं और मैं। संसार हरा भरा परिचय :- शकुन्तला दुबे निवासी : देवास (मध्य प्रदेश) शिक्षा : एम.ए. हिन्दी, समाज शास्त्र, दर्शन शास्त्र। सम्प्रति : सेवा निवृत्त शिक्षिका देवास। घोषणा : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।...
नाशवान
कविता

नाशवान

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** शीघ्र खराब होने वाली चीज नाशवान कहलाती है। फल और सब्जियां इसके अंतर्गत आती है। ******* दुनियां की प्रत्येक वस्तु नाशवान है। सकून से रहिये किस चीज का गुमान है? ******* मानव शरीर भी नाशवान कहलाता हैं। क्योंकि जिसने जन्म लिया है वह मृत्यु को जरूर पता है। ******* मनुष्य पर माया का असर आया है। तभी तो उसने नाशवान संसार को अपना बनाया है ******** आज आप हो कल कोई आपकी जगह आयेगा। एक नाश होगा और दूसरा पैदा होता जायेगा। ******* मत करो घमंड यह शरीर नाशवान कहलाता है। मिट्टी में जन्म लेता और मिट्टी में मिल जाता है। ******* परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है। आ...
सजी अयोध्या आज
भजन

सजी अयोध्या आज

प्रो. डॉ. विनीता सिंह न्यू हैदराबाद लखनऊ (उत्तरप्रदेश) ******************** सजी अयोध्या आज ख़ुशियाँ मनाओ रे जन्मे आनंद धन राम मंगल गाओ रे ख़ुशियाँ मनाओ री, मंगल गाओ रे प्रगटे दीन दयाल, ख़ुशियाँ मनाओ रे शुक्ल पक्ष मधु मास पुनीता नौमी तिथि सब विधि अनुकूला जनम लिए करतार, जग सुख दायी रे रानी कौशल्या बलि बलि जायें लालन देखि परम सुख पायी अनुपम रूप निहार, मन हर्षाई रे दशरथ के द्वारे बाजे रे बधाई अन्न धन सोना मोहर लुटाई घर-घर मंगल चार, दीप जलाओ रे राम लला के दर्शन कर लो पग पंकज पर शीश नवा लो पावन है इनका नाम, पल-पल ध्याओ रे परिचय :- प्रो. डॉ. विनीता सिंह निवासी : न्यू हैदराबाद लखनऊ (उत्तरप्रदेश) व्यवसाय : नेत्र विशेषज्ञ सेवा निवृत, भूतपूर्व विभागाध्यक्ष नेत्र विभाग, के.जी.एम.यू. लखनऊ अन्य गतिविधियां : १. भजन एवं गीत गायन के लिए आकाशवाणी लखनऊ से मान्यत...
कब आएगा राम राज?
कविता

कब आएगा राम राज?

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** मिट जाए सबकी गरीबी, सबके पास खाने को अन्न हो। सुख-सुविधा सबको मिले, सबका तन-मन प्रसन्न हो।। कार्यालयों में भटकने के लिए, कोई डिग्रीधारी ना मजबूर हो? सबको मिले मनचाही नौकरी, विकराल बेरोजगारी दूर हो।। किसान को अपना हक मिले, कर्ज से मिले उनको मुक्ति। आत्महत्या के लिए ना हो विवश, सरकार करे ऐसी कोई युक्ति।। मजदूर श्रम से नवनिर्माण किया, असंभव को संभव कर दिखाया है। काम खत्म होते ही मिले मजदूरी, त्याग और समर्पण ने रंग लाया है।। ज्ञान का प्रसार हो जन-जन में, अब ना कोई असभ्य, अज्ञानी रहे। बुराई, असत्य का त्वरित हो दमन, जनता सचेत और सत्यवादी बने।। चाहे नारी निकले अंधेरी रात में, रावण का छूने की हिम्मत ना हो। नियम और सुरक्षा हो पालनार्थ, भय और डर का हिमाकत ना हो।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली, (...
आओ स्कूल चले
कविता

आओ स्कूल चले

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** आओ हम स्कूल चले नव भारत का निर्माण करें। छूट गया है जो बंधन भव का आओ मिलकर उसको पार करें, आओ हम स्कूल चले ..... जाकर स्कूल हम गुरुओं का मान करें बड़े बूढ़ों का कभी न हम अपमान करें, आओ हम स्कूल चले....... जाकर स्कूल हम दिल लगाकर पढ़ेंगे मौज मस्ती और खेलकूद भी खूब करेंगे, आओ हम स्कूल चले....... क ख ग का गान कर हम हिंदी का मान बढ़ाएंगे। एक दो तीन चार पढ़ कर गणित का ज्ञान भी करेंगे। आओ हम स्कूल चले....... परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कव...
माँ मंगल करतीं हैं
भजन, स्तुति

माँ मंगल करतीं हैं

अंजनी कुमार चतुर्वेदी "श्रीकांत" निवाड़ी (मध्य प्रदेश) ******************** आदिशक्ति अति रूप मनोहर, माँ कूष्मांडा ने पाया। दिवस चतुर्थ परम पावन है, जन-जन मन हरसाया। अष्टभुजा माँ पूजी जाती, नवदुर्गा चौथे दिन। पापी दुष्टी और निशाचर, संघारे माँ अनगिन। शेर सवारी करती हैं माँ, सबके दुख हरतीं हैं। अपने भक्तों के जीवन में, माँ मंगल करतीं हैं। है स्वरूप तेजोमय माँ का, बल आरोग्य प्रदाता। अष्टभुजी माँ का स्वरूप यह, सारे जग को भाता। रोग शोक भय कष्ट मिटाती, धन संपन्न बनाती। माँ के चरणों में नत होकर, दुनिया खैर मनाती। काजल चूड़ी बिंदी पायल, माँ को सभी चढ़ाएं। कंघी दर्पण देकर माँ को, सुख सौभाग्य बढ़ाएं। मालपुआ अति प्रिय माता को, हलवा भी चढ़ता है। माता की सेवा से सब का, जन धन भी बढ़ता है। आदि शक्ति कूष्मांडा माता, सृष्टि की निर्माता। जो आता है शरण तुम्हारी, ...
स्त्री
कविता

स्त्री

शिवदत्त डोंगरे पुनासा जिला खंडवा (मध्य प्रदेश) ******************* उन्हें पुकारा गया शहर या गाँव के नाम से खंडवा वाली पिपरिया वाली देवरी वाली छिंदवाड़ा वाली. कभी बच्चों के नाम से बिट्टू-छोटू की माँ मनी की माँ लकी की माँ. प्रिया रिया की मां पति के पेशे से भी हुई इनकी पहचान मास्टरनी डाक्टरनी मील वाली भट्टा वाली. तो किसी ने कहा विधवा बाँझ बदचलन बेहूदा या ख़राब औरत। औरतें जो खपती रहीं मकान को घर बनाने में जिम्मेदारियाँ निभाने में पति के नख़रे उठाने में बच्चों को लायक बनाने में ताउम्र कोई नहीं जान पाया उनका असली नाम सिवाय घर की एक दीवार के यहाँ लटकी हुई तस्वीर में वो साथ झूलता है। परिचय :- शिवदत्त डोंगरे (भूतपूर्व सैनिक) पिता : देवदत डोंगरे जन्म : २० फरवरी निवासी : पुनासा जिला खंडवा (मध्य प्रदेश) सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्ष...
दो श्वानों की बातेँ
कविता

दो श्वानों की बातेँ

श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी लखनऊ (उत्तर प्रदेश) ******************** एक घरेलु श्वान ने एक दिन, सड़क पर पड़े श्वान की दशा देखी! दुबला पतला शरीर खंडहर बन चुका था! उसकी दुर्दशा देख घरेलु श्वान को छटपटाहट हुई, उसने सड़क के श्वान से पूछा- कहाँ रहते हो?? ये कैसा हाल बना है तुम्हारा?? क्या यहाँ इंसान नहीं रहते?? सड़क का श्वान घिसटते पैरों से, आधा गला शरीर, उसके घाव से रक्त की बूंदे रिस रही थीं, आगे बड़ने की कोशिश करते हुए, अपने दर्द से भरे शरीर को समेटते हुए बोला- प्रत्येक दिन हमारी और हम जैसे हजारों कि जिंदगी मौत से आँख- मिचौली खेलती है, खाना- पीना हमारे भाग्य में नहीं होता है , कभी किसी दरवाजे पर आस लिए पहुंचते हैं , वहाँ डंडे की मार, दुत्कार और प्रहार मिलता है , कभी कहीं हमको जिंदा आग में जलाया जाता है , कभी आग से नहलाया जाता है ! इतना ही नहीं हमारे ...
राम युग
भजन, स्तुति

राम युग

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** राम ही श्वास है राम ही आस है, राम ही तो है जीवन का, सार ही बस राम हे। जन्म से मृत्यु तक, जीवन के आदर्श राम, राम के चरित्र से जीवन महान है। बडो का आदेश राम, गुरू का सम्मान राम, छोटो पे दुलार राम, स्नेह ही तो राम है। निषाद के तो भाव राम, केवट के तो प्रेम राम, शबरी के आस मै बस राम ही तो श्वास है। निर्बल के बल राम, निर्धन के धन राम, शत्रु पे विजय राम, अजातशत्रु राम है। सुन्दर सुशील राम, कमलनयन देखो राम। जानकी की जान तो बस राम ही बस राम। सूर्य का सा तेज राम, किरण मै प्रकाश राम, विजय पताका देखो, सनातन के राम है। जन्मभूमि की जीत राम, अयोध्या के राजा राम, जय श्री राम के नारो मै, बस राम-राम आवाज है। संतो की तपस्या राम, भक्तो की भक्ति राम, मोदी योगी के तो साहस, दृढ़ संकल्प राम है। पर...
बिटिया का बचपन
कविता

बिटिया का बचपन

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** बिटिया का बचपन सुन्दर था पायल की रुनझुन थी घर में हलचल थी। आंगन मे तितली संग नाचती बाबा के कंधो पर चढ जिद करती मां से रुठती तो दादा को मनाती लाडली बिटिया प्यारी परी सी। घर, आंगन में शोर मचाती कभी लजाती, कभी सकुचाती डर कर पेडों के पीछे छुप जाती सारे घर से, प्रश्न पुछती कभी स्वंयम ही उत्तर देती। मैं करुँगी, मैं कर दूंगी की रट लगाती हठ मे जाने कब बचपन बीत गया सयानी बिटिया सहमी सी रहने लगी न जाने बचपन कहाँ खो गया। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ी आप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से...
हमारा बिहार
कविता

हमारा बिहार

डाँ. बबिता सिंह हाजीपुर वैशाली (बिहार) ******************** जिला मोतिहारी बसें, सोमेश्वर महादेव। एक बार दर्शन करो, दुख सब हरें स्वमेव।। बैल राज्य का पशु है माना। शिव वाहन है सब जग जाना।। सोनपुर लगे मेला भारी। पशुओं की हो खरीददारी।। नीले नभ में पंछी घेरा। वन वृक्षों पर नीड़ वसेरा।। मधुबन में जब फूल खिले हैं। गौरैया को मोद मिले हैं।। गौरैया पक्षी सम्माना। दे उपाधि जन-जन हरषाना।। कोयल गावे जब सतरंगी। भरे उमंगें अति मनरंगी।। मलय श्वास सौरभ से लेकर। मदिर आस है अलि के अंतर।। राज्य पुष्प में गेंदा आता। हर मौसम में मन भरमाता।। वृक्ष लता के प्राण अनिल है। कचनारों पर रंग सकल है।। कर्म द्वार उदयाचल खुलता। श्रृंगार हीरक कुंज करता।। प्रथम विश्व गणराज्य है, माना गया बिहार। विल्ब वृक्ष में बस रहे, शंकर पालनहार।। पीपल राज्य वृक्ष में शोभित। थल नभचर को करता म...