सुंदरता की….
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संजय जैन
मुंबई
नही होती सुंदरता
किसी के भी शरीर में।
ये बस भ्रम है
अपने अपने मन का।
यदि होता शरीर सुंदर
तो कृष्ण तो सवाले थे।
पर फिर भी वो सभी की आंखों के तारे थे।।
क्योंकि सुंदर होते है उसके कर्म और विचार में।
तभी तो लोग उसके प्रति आकर्षित होकर आते है।
वह अपनी वाणी व्यवहार और चरित्र से जाना जाता है।
तभी तो लोग उसे
अपना आदर्श बना लेते है।।
जो अर्जित किया उसने अपने गुरुओं से ज्ञान।
वही ज्ञान को वो
सुनता है दुनियां को।
जिससे होता है एक
सभ्य समाज का निर्माण।
फिर हर शख्स को ये दुनियां,
सुंदर लगाने लगती है।
इसलिए संजय कहता है, जमाने के लोगो से।
शरीर सुंदर नही होता
सुंदर होते है उसके संस्कार।।
लेखक परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक स...


















