स्वागत भारत मां का
मालती खलतकर
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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पीला-पीला प्रकाश पुंज फैला
फणीधर के विशाल भाल पर
श्याम श्यामला के प्रांगण में
फैले मोती बन नीलांबर पर
गगन गहन गंभीर लगता
इन टके सितारों की चमक से
भू से लगता ऐसा मानो
होती आरती हो गगन में।
गरजते बादल ऐसे लगते
बजाते हो आरती में शंख
बसंत में चहकते पणृ पुष्प
लगते उड़ते लगा पंख
दीपक की बाती सी लगती
टेसू के फूलों की कलियां डाली
मंद-मंद पवन बहती
हो जावेगी मतवाली।
झर-झर बहता झरना कहता
अस्फुट स्वर मैं कुछ बोध
चट्टानों से मिलकर करता
माता का जयघोष
किल-किल किसलंयो से
कलरव होता कोयल, कुकी कुक्कुट का
करते हैं यह सब प्रथम पहर में
स्वागत भारत मां का।।
परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत...