श्याम करी बरजोरी
राधेश्याम गोयल "श्याम"
कोदरिया महू (म.प्र.)
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होली- छंद
होरी पे श्याम करी बरजोरी,
बहियां मोरी झटकी चुनर रंग बोरी।
मैं बोली की श्याम करो न ठिठोली,
अंगिया संग भीग गई मेरी चोली।
वो बोले प्रिये अब होली सो होली,
मन काहे मलाल करो हमजोली।
गर बीत गए दिन यूं ही रंगीले तो,
अगले बरस फिर आएगी होली।
रंग डार के आज भिगोए गयो,
अंग मसक गयो सखी मोर अनारी।
मुख लाल गुलाल लगाय गयो,
मोरी फारी गयो सखी पचरंग सारी।
फाग में आग लगाय गयो,
ऐसी नैनन मार गयो वो कटारी।
मो संग नेह बढ़ाई गयो सखी,
मारी के श्याम प्रित पिचकारी।
परिचय :- राधेश्याम गोयल "श्याम"
निवासी - कोदरिया महू (म.प्र.)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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