लाक्षागृह सी आग
मीना भट्ट "सिद्धार्थ"
जबलपुर (मध्य प्रदेश)
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अपना ही घर जला रहे हैं,
घर के यहाँ चिराग़।
फैल रही है सारे जग में,
लाक्षागृह सी आग।।
शुभचिंतक बन गये शिकारी,
रोज़ फेंकते जाल।
ख़बर रखें चप्पे-चप्पे की,
कहाँ छिपा है माल।।
बड़ी कुशलता से अधिवासित,
हैं बाहों में नाग।
ओढ़ मुखौटे बैठे ज़ालिम,
अंतस घृणा कटार।
अपनों को भी नहीं छोड़ते,
करते नित्य प्रहार।।
बेलगाम घूमें सड़कों पर,
त्रास दें बददिमाग़।
सिसक रही बेचारी रमिया,
दिए घाव हैं लाख।
लगी होड़ है परिवर्तन की,
तड़पे रोती शाख।।
हरे वृक्ष सब काटें लोभी,
उजड़ रहे वन बाग।
परिचय :- मीना भट्ट "सिद्धार्थ"
निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश)
पति : पुरुषोत्तम भट्ट
माता : स्व. सुमित्रा पाठक
पिता : स्व. हरि मोहन पाठक
पुत्र : सौरभ भट्ट
पुत्र वधू : डॉ. प्रीति भट्ट
पौत्री : निहिरा, नैनिका
सम...