सर्दी आई
प्रभात कुमार "प्रभात"
हापुड़ (उत्तर प्रदेश)
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सर्दी आई, सर्दी आई
ठिठुरन भी संग ले आई
अम्मा ने टोपा जर्सी खूब पहनाई,
फिर भी नहीं आई गरमाई
सर्दी आई, सर्दी आई।
आसमान में घटा छाई
सूरज दादू से गुहार लगाई,
वह भी खेल रहे लुका-छुपाई
सांझ हुई शीत लहर दौड़ी आई,
सर्दी आई, सर्दी आई ।
तन बदन में कंपकंपी आई
अम्मा दे दो मुझको
मोटी सी एक रजाई
तब आएगी खूब गरमाई।
खाएंगे मूंगफली गजक मिठाई।
सर्दी आई, सर्दी आई।
परिचय :- प्रभात कुमार "प्रभात"
निवासी : हापुड़, (उत्तर प्रदेश) भारत
शिक्षा : एम.काम., एम.ए. राजनीति शास्त्र बी.एड.
सम्प्रति : वाणिज्य प्रवक्ता टैगोर शिक्षा सदन इंटर कालेज हापुड़
विशेष रुचि : कविता, गीत व लघुकथा (सृजन) लेखन, समय-समय पर समाचारपत्र एवं पत्रिकाओं में रचनाओं का निरंतर प्रकाशन।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना...

















