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ग़ज़ल

कोई हमारा न हो सका
ग़ज़ल

कोई हमारा न हो सका

शरद जोशी "शलभ" धार (म.प्र.) ******************** हमको कभी किसी का सहारा न हो सका।। दरिया ए इश्क में कई गोते लगा लिए अपने क़रीब कोई किनारा न हो सका।। मिलने की कोशिशें भी कई उनसे की मगर उनकी नज़र का कोई इशारा न हो सका कितना उनसे प्यार उन्हें कैसे हम कहें उनसे ज़ियादा कोई प्यारा न हो सका।। दिल में हमारे हर लम्हा उनका मुक़ाम है उनसा मुक़ीम कोई दुबारा न हो सका ग़र नहीं तो ज़िन्दगी जीना मुहाल है। उनके बिना"शलभ"का गुज़ारा न हो सका।। . परिचय :- धार (म.प्र.) निवासी शरद जोशी "शलभ" कवि एवंं गीतकार हैं। विधा- कविता, गीत, ग़ज़ल। आप विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा वाणी भूषण, साहित्य सौरभ, साहित्य शिरोमणि, साहित्य गौरव सम्मान से सम्मानित हैं। म.प्र. लेखक संघ धार, इन्दौर साहित्य सागर इन्दौर, भोज शोध संस्थान धार आजीवन सदस्य हैं। आप सेवानिवृत्त शिक्षक हैं, अखिल भारतीय साहित्य परिषद धार (म.प्र.) के जिला अध्...
उनसे कह दो
ग़ज़ल

उनसे कह दो

प्रमोद त्यागी (शाफिर मुज़फ़्फ़री) (मुजफ्फरनगर) ******************** उनसे कह दो फिर दिलकश बाहर लाया हूँँ लुट गया था जो उनका करार लाया हूँँ उनको देख लूँ बस इतनी सी तमन्ना लेकर जिंदगी से मैं कुछ लम्हे उधार लाया हूँँ उदास क्यों हो क्या जख्म देने बाकी है कदम बढ़ाओ खंजर लो आबदार लाया हूँँ यकीं नहीं तो बस एक नजर काफी है अपनी गुमनामी का एक इश्तिहार लाया हूँँ नुमाइश क्या करूं छोड़ो भी छिपे रहने दो हजारों जख्म है उनमें से बस दो-चार लाया हूँँ मयकदे में जो आया तो तन्हाँ नहीं आया साथ मैं और भी इश्क के बीमार लाया हूँँ इबादत कर रहा हूं मानकर उनको खुदा "शाफिर" तिजारत वो करें उनके लिए बाजार लाया हूँँ . परिचय :- प्रमोद त्यागी (शाफिर मुज़फ़्फ़री) ग्राम- सौंहजनी तगान जिला- मुजफ्फरनगर प्रदेश- उत्तरप्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित क...
दर्द-ए-ग़म
ग़ज़ल

दर्द-ए-ग़म

डॉ. बीना सिंह "रागी" दुर्ग छत्तीसगढ़ ******************** जब भी दर्द-ए-ग़म मिला हम सोचते रहे कब कैसे और कब मिला हम सोचते रहे शायद उम्मीद ए वफ़ा लगा रखी थी हमने मिली बेवफाई तो वजह हम खोजते रहे राज ए मोहब्बत जो ना बता सके उसे ख्वाबों में उससे बाराहा हम बोलते रहे रूख ए मौसम साखे गुल सा बदन मेरा यू अर्रजे नियाजी इश्क को हम रोकते रहे इश्क मोहब्बत माना एक छलावा है बीना गुनहगार समझ खुद को ही हम कोसते रहे. परिचय :- डॉ. बीना सिंह "रागी" निवास : दुर्ग छत्तीसगढ़ कार्य : चिकित्सा रुचि : लेखन कथा लघु कथा गीत ग़ज़ल तात्कालिक परिस्थिति पर वार्ता चर्चा परिचर्चा लोगों से भाईचारा रखना सामाजिक कार्य में सहयोग देना वृद्धाश्रम अनाथ आश्रम में निशुल्क सेवा विकलांग जोड़ियों का विवाह कराना उपलब्धि : विभिन्न संस्थाओं द्वारा राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मान द्वारा सम्मानित टीवी ...
रिश्ता मेरा
ग़ज़ल

रिश्ता मेरा

विवेक सावरीकर मृदुल (कानपुर) ****************** यहां के हर बाशिंदे से है रिश्ता मेरा मैं नहीं जानता एनआरसी क्या है सफर भर अपना शहर साथ रखो फिर मुंबईया औ बनारसी क्या है? दिल को समझा दो प्यार की बोली हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू , फारसी क्या है? झूमो, नाचो कि अब तक जिंदा हो जिंदगी रक्खी उधार-सी क्या है ? जम्हूरियत बाँटने पर हो आमादा ये जुनूनी आरजू बेकार-सी क्या है . परिचय :-  विवेक सावरीकर मृदुल जन्म :१९६५ (कानपुर) शिक्षा : एम.कॉम, एम.सी.जे.रूसी भाषा में एडवांस डिप्लोमा हिंदी काव्यसंग्रह : सृजनपथ २०१४ में प्रकाशित, मराठी काव्य संग्रह लयवलये, उपलब्धियां : वरिष्ठ मराठी कवि के रूप में दुबई में आयोजित मराठी साहित्य सम्मेलन में मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व, वरिष्ठ कला समीक्षक, रंगकर्मी, टीवी प्रस्तोता, अभिनेता के रूप में सतत कार्य, हिंदी और मराठी दोनों भाषाओं में समान रूप से लेखन। संप्रति : माख...
विरह का रोग
ग़ज़ल, दोहा

विरह का रोग

रजनी गुप्ता "पूनम" लखनऊ ******************** मुझको देखो आज फिर, लगा विरह का रोग। पिय बिन सूना साज फिर, लगा विरह का रोग। जोगन बनकर फिर रही, गाऊँ विरहागीत, भूल गई सब काज फिर, लगा विरह का रोग। बिसरी जग की रीत सब, खुद से हूँ अनजान। छुपा रही सब राज फिर, लगा विरह का रोग। प्रियतम जब से दूर हैं, बिखरा सब शृंगार। हृदय पड़ी है गाज फिर, लगा विरह का रोग। 'रजनी' तेरी याद में, तड़प रही दिन-रात। भूल गई सब लाज फिर, लगा विरह का रोग।। . परिचय : नाम :- पूनम गुप्ता साहित्यिक नाम :- रजनी गुप्ता 'पूनम' पिता :- श्री रामचंद्र गुप्ता पति :- श्री संजय गुप्ता जन्मतिथि :- १६जुलाई १९६७ शिक्षा :- एम.ए. बीएड व्यवसाय :- गृहणी प्रकाशन :- हिंदी रक्षक मंच इंदौर म.प्र. के  hindirakshak.com पर रचना प्रकाशन के साथ ही कतिपय पत्रिकाओं में कुछ रचनाओं का प्रकाशन हुआ है सम्मान :- समूहों द्वारा विजेता घोषित किया जाता रहा है। ...
काँटों ने महक
ग़ज़ल

काँटों ने महक

प्रमोद त्यागी (शाफिर मुज़फ़्फ़री) (मुजफ्फरनगर) ******************** काँटों ने महक दर्द ने आराम दिया है बोसा जो उसनें आज खुलेआम दिया है आगोश में शर्मा के वो आयें हैं इस कदर जैसे की किसी फर्ज़ को अंजाम दिया है अहसान दर्द का है जो हासिल हूए हमें मर जाते ख़ुशी से इन्होंने थाम लिया है साजिश है कोई या मेरे अब दिन बदल गये दुश्मन ने आज भर के मुझे जाम दिया है पैमाना जो ख़ाली मेरे लब से लगा रहा दुनिया ने इसे मयकशी का नाम दिया है उसनें जो निभाई है मुहब्बत में तिजारत हमनें भी उसको दाम सुबह शाम दिया है तुफान बहुत तेज है "शाफिर" जरा संभल हल्दी सी इक आहट ने ये पैगाम दिया है . परिचय :- प्रमोद त्यागी (शाफिर मुज़फ़्फ़री) ग्राम- सौंहजनी तगान जिला- मुजफ्फरनगर प्रदेश- उत्तरप्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मं...
साँसों में सरगम सी
ग़ज़ल

साँसों में सरगम सी

नफे सिंह योगी मालड़ा सराय, महेंद्रगढ़ (हरि) ******************** साँसों में सरगम सी बहती। दिल की हर धड़कन में रहती।। जब थक जाता चलते-चलते। मत रुकना मन ही मन कहती।। खुशियाँ छा जाती आँगन में। जब तुम चिड़िया बनके चहती।। होंठों पर मुस्कान बिठाकर। हँस-हँस दुख, दर्दों को सहती।। रोशन रखती घर, आंगन को। जगमग दीये की ज्यों दहती।। घर से दूर, पिया सरहद पर। सोच इसी गम में है गहती।। यादों की कच्ची दीवारें। रोज नफे की बनती ढहती।। . परिचय : नाम : नफे सिंह योगी मालड़ा माता : श्रीमती विजय देवी पिता : श्री बलवीर सिंह (शारीरिक प्रशिक्षक) पत्नी : श्रीमती सुशीला देवी संतान : रोहित कुमार, मोहित कुमार जन्म : ९ नवंबर १९७९ जन्म स्थान : गांव मालड़ा सराय, जिला महेंद्रगढ़(हरि) शैक्षिक योग्यता : जे .बी .टी. ,एम.ए.(हिंदी प्रथम श्रेणी) अन्य योग्यताएं : शिक्षा अनुदेशक कोर्स शारीरिक प्रशिक्षण कोर्स योगा कोर्स मे...
जमीर बेचकर
ग़ज़ल

जमीर बेचकर

शाहरुख मोईन अररिया बिहार ******************** जमीर बेचकर रकासो के बाजार में आ जाऊ, बुजदिल नहीं जो तेरे अख़्तियार में आ जाऊ। जब तलक लिखूंगा, सच्चाई ही लिखूंगा, वो प्यादा नहीं मैं, तेरे साथ सरकार में आ जाऊ। ये सच है तुम हमें दहस्तगर्द बना दोगे, क्या पता बनावती खबरों के साथ अख़बार में आ जाऊ। बेईमानों गद्दारों के साथ नहीं चलता मुझे, मुफलिसी में बेशक, सरे बाजार में आ जाऊ। जमीन दोज हो जाएगी, तेरे जुल्म की ईमारत, बांध के जो मैं सर पे, दस्तार में आ जाऊ। सबसे अफजल है मालिक मेरा जहां में शाहरुख़, खताए सारी माफ अदब से जो, उसके दरबार में आ जाऊ। . लेखक परिचय :- शाहरुख मोईन अररिया बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहान...
टैलेंट चाहिए
ग़ज़ल

टैलेंट चाहिए

आशीष तिवारी "निर्मल" रीवा मध्यप्रदेश ******************** चेहरे के हाव भाव, इनोसेंट चाहिए ब्वायफ्रेंड उनको डिफरेंट चाहिए। हसरतें भी यूँ शेष ना रहें कोई भी होनी डिमाण्ड पूरी, अर्जेंट चाहिए। हो रिच पर्सन ही ब्वॉयफ्रेंड उनका घूमने हेतु इनोवा-परमानेंट चाहिए। दारु संग सिगरेट भी पीती हैं मैडम दुर्गंध ना आए इसलिए, सेंट चाहिए। रोज तोड़ कर जोड़ रही हैं दिल को ऐसी नीचता के लिए, टैलेंट चाहिए। गर्लफ्रेंड रखना है सस्ता काम नहीं क्रेडिट कार्ड, कैश में पेमेंट चाहिए। फेसबुक पर फालोवर्स भी लाखों में हर पिक में लाईक्स, कमेंट चाहिए।   परिचय :- कवि आशीष तिवारी निर्मल का जन्म मध्य प्रदेश के रीवा जिले के लालगांव कस्बे में सितंबर १९९० में हुआ। बचपन से ही ठहाके लगवा देने की सरल शैली व हिंदी और लोकभाषा बघेली पर लेखन करने की प्रबल इच्छाशक्ति ने आपको अल्प समय में ही कवि सम्मेलन मंच, आकाशवाणी, पत्र-पत्रिका...
मेरी आवारगी
ग़ज़ल

मेरी आवारगी

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** मेरी आवारगी को पनाह दे अपने दिल मे जगह तो दे थक चुका अब ये बंजारा रिश्ते को कोई नाम तो दे प्यार के सिवा कुछ नही आता जीने के कुछ उसूल सीखा तो दे इस शहर में हूँ मैं नया नया शीशे का दिल कहा रखु पता तो दे जख्म हरे है सुखाना चाहता हूँ थोड़ी सी तेरे होंठो की नमी तो दे . परिचय :- नाम : धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17...
बाती में जब …
ग़ज़ल

बाती में जब …

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर म.प्र. ******************** बाती में जब कभी समाहित होता स्नेह! दीपशिखा से तभी प्रकाशित होता स्नेह! उस बस्ती में कभी नहीं रहता है चैन, जिस बस्ती से अगर विलोपित होता स्नेह! लाभ उठाते धरा निवासी सारे लोग, हर सरिता से सतत् प्रवाहित होता स्नेह! कालजयी हैं अनुपम हैं वे सब रचनाएँ, जिनसे जग में नित्य प्रसारित होता स्नेह! महिला कोई प्रसू कहाती है जिस रोज़, अविभाजित है मगर विभाजित होता स्नेह! कलह नहीं हो सकती हावी उस घर में! निशि-दिन प्रति क्षण जहाँ विराजित होता स्नेह! उल्फ़त के ही दीप जलाया करो ''रशीद' नफ़रत से हर ओर समापित होता स्नेह! . लेखक परिचय :-  नाम ~ रशीद अहमद शेख साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत शिक्षा ~ एम• ए• (हिन्दी और अंग्रेज़ी साहित्य), बी• एससी•, बी•...
मुहब्बत में …
ग़ज़ल

मुहब्बत में …

तबस्सुम अश्क़ उज्जैन ******************** मुहब्बत में मुझे इतना बहुत है तेरा ख़्वाबो में ही मिलना बहुत है तुझे मंज़िल मिले मेरी दुअ़ा से मेरे हक़ में तो ये रस्ता बहुत है न मुझसे दूरियां इतनी बढ़ाओ ये दिल पहले से ही तन्हा बहुत है तू मुझको देख ले तुझको मै देखूं हमारा बस यही रिश्ता बहुत है समझता है बड़ा ख़ुद को जो यारों हक़ीक़त में वही छोटा बहुत है ज़ियादा कुछ नहीं है मेरी ख़्वाहिश तू जितना प्यार दे उतना बहुत है किसी के इश्क़ में टूटा हुआ है वो हर इक बात पे हंसता बहुत है अभी से उंगलियां थकने लगी है मुहब्बत पर अभी लिखना बहुत है न समझो तो ग़ज़ल ज़ाया है पूरी अगर समझो तो इक मिस्रा बहुत है . लेखक परिचय :- तबस्सुम अश्क़ उज्जैन आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, ...
आईना चांद को …
ग़ज़ल

आईना चांद को …

शरद मिश्र 'सिंधु' लखनऊ उ.प्र. ********************** बतौरे खास भी कहना न कभी आया है। मगर वो कहता है हमने भी गजल गाया है। शहर में आज मेरे फिर उसी की आमद है, हवाओं ने ही हमें यह खबर सुनाया है। ये रंग इंद्रधनुष का व चमन की खुशबू, वो आ गया है तो मेरे लिए ही आया है। कभी फिर होगी बात पूजा और सजदे की, मुझे वहीं वो मिला सर जहां झुकाया है। वो मेरे साथ ही रहने को अमादा अचरज, सोचता था कि उसे मैंने खुब सताया है। लुटाता ही रहा हूं प्यार मुहब्बत लोगों, वही लुटाया है हमने जो सदा पाया है। बनी शागिर्द जमाने में "सिंधु" की लहरें, आईना चांद को जब भी कभी दिखाया है। . लेखक परिचय :-  नाम - शरद मिश्र 'सिंधु' उपनाम - सत्यानंद शरद सिंधु पिता का नाम - श्री महेंद्र नारायण मिश्र माता का नाम - श्रीमती कांती देवी मिश्रा जन्मतिथि - ३/१०/१९६९ जन्मस्थान - ग्राम - कंजिया, पोस्ट-अटरामपुर, जनपद- प्रयाग राज (इलाहाबाद) नि...
बस यूं ही …
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बस यूं ही …

शरद मिश्र 'सिंधु' लखनऊ उ.प्र. ********************** इस तरह से चलो जिया जाए। घाव दिल के सभी सिया जाए। एक आंधी न हैं कई शायद, हर तरफ दीप रख लिया जाए। हम जुटाएं जरूर असि पर वह, बंदरों को नहीं दिया जाए। पथ निहारें न सदा शंकर का, विष स्वयं भी कभी पिया जाए। लांघने पर अवश्य दें उत्तर, जुल्म की हद बना लिया जाए। चाहता हूं गजल कहूं लेकिन, भागता दूर काफिया जाए। बन गए रूप का हिमालय वो, चांद को भी गगन दिया जाए। "सिंधु" वह चांद हारकर देगा, रार नभ से चलो किया जाए . लेखक परिचय :-  नाम - शरद मिश्र 'सिंधु' उपनाम - सत्यानंद शरद सिंधु पिता का नाम - श्री महेंद्र नारायण मिश्र माता का नाम - श्रीमती कांती देवी मिश्रा जन्मतिथि - ३/१०/१९६९ जन्मस्थान - ग्राम - कंजिया, पोस्ट-अटरामपुर, जनपद- प्रयाग राज (इलाहाबाद) निवासी - पारा, लखनऊ, उ. प्र. शिक्षा - बी ए, बी एड, एल एल बी कार्य - वकालत, उच्च न्यायालय खंडपीठ लखन...
फिर कोई …
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फिर कोई …

प्रमोद त्यागी (शाफिर मुज़फ़्फ़री) (मुजफ्फरनगर) ******************** फिर कोई इंतजाम हो जाए झुक के उनको सलाम हो जाये मौत के खेल में कुछ ऐसा हो ज़िंदगी महंगे दाम हो जाये छोड़ो खुशियों को आगे जाने दो गमों का एहतराम हो जाये वो पियें तो शौक है उनका मैं पियूं तो हराम हो जाये यहाँँ जो है सब खुदा का है चलो एक एक जाम हो जाये अभी ठहरा हूँँ आ गले लग जा सफर न यूं ही तमाम हो जाये हमें आजमानेंं वो आयें "शाफिर" और अपना भी काम हो जाये . लेखक परिचय :- प्रमोद त्यागी (शाफिर मुज़फ़्फ़री) ग्राम- सौंहजनी तगान जिला- मुजफ्फरनगर प्रदेश- उत्तरप्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमेंhindirakshak17@gmail.com...
बस यूं ही …
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बस यूं ही …

शरद मिश्र 'सिंधु' लखनऊ उ.प्र. ********************** दग्ध चमन। है अनबन। गजल महज, पैनापन। उर्वर है, यह कन कन। वीणा की गूंज सघन। सूरज तुम, किरन किरन। पायल बस, छनन छनन। नारों में, हल्कापन। नेता का सिर्फ कथन। आंखों में, आग तपन। व्यथित देख, जन गन मन। देखें क्या, सूर नयन। भारत का, तन मन धन। "सिंधु" महज, अब न उफन। . लेखक परिचय :-  नाम - शरद मिश्र 'सिंधु' उपनाम - सत्यानंद शरद सिंधु पिता का नाम - श्री महेंद्र नारायण मिश्र माता का नाम - श्रीमती कांती देवी मिश्रा जन्मतिथि - ३/१०/१९६९ जन्मस्थान - ग्राम - कंजिया, पोस्ट-अटरामपुर, जनपद- प्रयाग राज (इलाहाबाद) निवासी - पारा, लखनऊ, उ. प्र. शिक्षा - बी ए, बी एड, एल एल बी कार्य - वकालत, उच्च न्यायालय खंडपीठ लखनऊ सम्मान - सर्वश्रेष्ठ युवा रचनाकार २००५ (युवा रचनाकार मंच लखनऊ), चेतना श्री २००३, चेतना साहित्य परिषद लखनऊ, भगत सिंह सम्मान २००८, शिव सिंह सरोज ...
रात भर वो
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रात भर वो

नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. ******************** आसमाँ से नज़ारा लुटाता रहा। रात भर वो सितारा लुभाता रहा। कुछ सलीक़े उसी से चलो सीख लें, वास्ता जो सभी से निभाता रहा। मुस्कुराहट हमें भी वहाँ आ गई, ये ज़माना जहाँ मुस्कुराता रहा। चाँद सूरज की तरहाँ है उसका सफ़र, जो उजालों का दरिया बहाता रहा। जानता है रिवायत, शराफ़त सभी, वो झुकाकर भी नज़रें मिलाता रहा। . लेखक परिचय :- नाम ... नवीन माथुर पंचोली निवास ... अमझेरा धार मप्र सम्प्रति ... शिक्षक प्रकाशन ... देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन। तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान ... साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी ...
हम भी कुछ जरा
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हम भी कुछ जरा

शाहरुख मोईन अररिया बिहार ******************** अब हम भी कुछ जरा बेहतर लिखते है, तभी तो सोने को पीतल मोम को पत्थर लिखते है। फरेब मक्कारी साजिश होती रहती है, तभी तो हम हाथों में उनके खंजर लिखते है। कतरे को दरिया कहे है दुनियां सारी, रब की रज़ा को हम समुंद्र लिखते है। मुफलिसी ने समेटे रखा मुझको दायरों में, जख्मों को कुरेद के ही बातें बेहतर लिखते है। आलम ये मेमना बन के जी रहे है लोग, जहरीली सियासत को हम अजगर लिखते है। दर्द जो लिखता हूं गरीबों के, पढ़ के खुश है सब, जालिम दुनियां कहती है हम पीकर लिखते है। शाहरुख छोड़ो ना उम्मीदें ये तो फर्क है, कागजों पे दर्द हम बहुत सहेजकर लिखते है। . लेखक परिचय :- शाहरुख मोईन अररिया बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख...
आपसे आपका ख़फ़ा होना
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आपसे आपका ख़फ़ा होना

नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. ******************** आपसे आपका ख़फ़ा होना । तब मुनासिब है फ़ासला होना। इश्क़ में क़ायदा नही कोई, यार से यार का जुदा होना। है जमीं - आसमाँ अलग लेकिन, ये भरम दूर का मिला होना। लाख चेहरे ने कह दिया सब कुछ, कुछ जरूरी रहा कहा होना। सब जहाँ आपका रहे बनकर, चाहिये आप में वफ़ा होना। मिल गया कौन, कब, कहाँ ,कैसे, हाले किस्मत है वो लिखा होना। . लेखक परिचय :- नाम ... नवीन माथुर पंचोली निवास ... अमझेरा धार मप्र सम्प्रति ... शिक्षक प्रकाशन ... देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन। तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान ... साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, ...
आपको पा लूँ …
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आपको पा लूँ …

प्रमोद त्यागी (शाफिर मुज़फ़्फ़री) (मुजफ्फरनगर) ******************** आपको पा लूँ ना ये हसरत सजायेगें कभी वक्त है अब चल रहे हैं फिर ना आयेगें कभी सर्द है यह लौ भी अब तो हसरतें- दीदार की शम्मा तेरी आरज़ू की फिर जलायेगें कभी जख्म बस हासिल हुए जिस दौर में अब तक मुझे गुज़रे हुए उस दौर से तुमको मिलायेगें कभी बुझ गई हर सम्त अब तो शम्मा ए महफिल यहां बिखरे हुए जज्बात अपने फिर दिखायेगें कभी खुश्क लब हैं चश्मे पुरनम क्यों है दिल नाशाद सा पर्दा दर पर्दा हकीकत का हटायेगें कभी रोते-रोते आज फिर लो हो गई हसरत जवां बरबादियों के जश्न में खुद को लुटायेगें कभी गाफिल रहे गुलशन में "शाफिर" बेखुदी अंदाज़ में नाज़ुक गुलों से इस तरह भी जख्म खायेंगेंं कभी . लेखक परिचय :- प्रमोद त्यागी (शाफिर मुज़फ़्फ़री) ग्राम- सौंहजनी तगान जिला- मुजफ्फरनगर प्रदेश- उत्तरप्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी ...
मयकदा पानें के बाद
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मयकदा पानें के बाद

प्रमोद त्यागी (शाफिर मुज़फ़्फ़री) (मुजफ्फरनगर) ******************** मैं नशे में ठीक था मैं मयकदा पानें के बाद बस परेशान ही रहा हूँ होश में आनें के बाद शख्सियत खुद की तराशो सादगी से इस कदर आपकी तारीफ हो यहाँ आपके जानें के बाद जब भी मिलता है वो अब भी आदतन मजबूर है पूछता है हाल वो मुझ पर सितम ढानें के बाद खुद से गर ना मिल सके इस बार कोई गम नहीं फिर शुरू होती है माला आखिरी दानें के बाद दुश्मनी मुझसे है या फिर है अदा उसकी कोई फिर सितम करता है वो कितना भी समझाने के बाद जिस तरह भी आजमाओ मुझको तुम मेरे सनम तुमको ना मुझसा मिलेगा मेरे अफसानें के बाद अब तलक भटका हुआ शाफिर" नशे में चूर था आज संभला हूं मैं लेकिन ठोकरे खानें के बाद . लेखक परिचय :- प्रमोद त्यागी (शाफिर मुज़फ़्फ़री) ग्राम- सौंहजनी तगान जिला- मुजफ्फरनगर प्रदेश- उत्तरप्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच ...
कौन तकता है
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कौन तकता है

नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. ******************** कौन तकता है बार-बार किसे। इस क़दर राहे इंतज़ार किसे। अपनी आँखों में कुछ नमी लेकर, यूँ रुलाता है जार-जार किसे। जब निभाये हैं वास्ते उसने, फिर जताता है एतबार किसे। ख़ुद छुपाता है ग़म सभी अपने, और कहता है राज़दार किसे। रात की नींद, चैन सब खोया, दे दिया उसने अपना प्यार किसे। . लेखक परिचय :- नाम ... नवीन माथुर पंचोली निवास ... अमझेरा धार मप्र सम्प्रति ... शिक्षक प्रकाशन ... देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन। तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान ... साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindiraksh...
जय छठ महारानी
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जय छठ महारानी

भारत भूषण पाठक धौनी (झारखंड) ******************** जय, जय, जय छठ महारानी। महिमा तोरी को न जानी।। जन के काया निर्मल कर दीजे।। माँ भारती के कष्ट हर लीजे।। जय, जय, जय छठ महारानी। संकट हरणी, जगत संचालिनी।। प्रथम दिवस को नहाये-खावै। कद्दू-भात का भोग लगावै।। द्वितीय दिवस खरना आवै। खीर मातु को भोग लगावे।। तृतीय दिवस पूजन का आवे। अस्तांचल सूर्य को अर्घय चढ़ावे।। चतुर्थ दिवस उदित सूर्य को। डाला छठ नाम यशगान को।। . लेखक परिचय :-  नाम - भारत भूषण पाठक लेखनी नाम - तुच्छ कवि 'भारत ' निवासी - ग्राम पो०-धौनी (शुम्भेश्वर नाथ) जिला दुमका(झारखंड) कार्यक्षेत्र - आई.एस.डी., सरैयाहाट में कार्यरत शिक्षक योग्यता - बीकाॅम (प्रतिष्ठा) साथ ही डी.एल.एड.सम्पूर्ण होने वाला है। काव्यक्षेत्र में तुच्छ प्रयास - साहित्यपीडिया पर मेरी एक रचना माँ तू ममता की विशाल व्योम को स्थान मिल चुकी है काव्य प्रतियोगिता में। ...
कोहरे से झांकता हुआ
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कोहरे से झांकता हुआ

लक्ष्मीकांत मुकुल रोहतास (बिहार) ******************** कोहरे से झांकता हुआ आया मांगी थी रोशनी ये क्या आया सूर्य रथ पर सवार था कोई उसके आते ही जलजला आया घोंसले पंछियों के फिर उजड़े फिर कहीं से बहेलिया आया दूर अब भी बहार आँखों से दरमियाँ बस ये फ़ासला आया काकी की रेत में भूली बटुली मेघ गरजा तो जल बहा आया जो गया था उधर उम्मीदों से उसका चेहरा बुझा बुझा आया बागों में शोख तितलियां भी थीं पर नहीं फूल का पता आया . लेखक परिचय :- लक्ष्मीकांत मुकुल जन्म – ०८ जनवरी १९७३ निवासी – रोहतास (बिहार) शिक्षा – विधि स्नातक संप्रति - स्वतंत्र लेखन / सामाजिक कार्य। किसान कवि/मौन प्रतिरोध का कवि। कवितायें एवं आलेख विभिन्न पत्र – पत्रिकाओं में प्रकाशित, पुष्पांजलि प्रकाशन, दिल्ली से कविता संकलन “लाल चोंच वाले पंछी’’ प्रकाशित आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फ...
होना था जो साथ मेरे हो गया
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होना था जो साथ मेरे हो गया

प्रमोद त्यागी (शाफिर मुज़फ़्फ़री) (मुजफ्फरनगर) ******************** होना था जो साथ मेरे हो गया क्या बतायें क्या मिला क्या खो गया आज फिर दीया जला है कब्र पर हो ना हो वो आज फिर से रो गया भूखे बच्चे को सुनाकर लोरियां माँ ने देखा रोते रोते सो गया उम्र गुज़री पूरी तब आया समझ आज तक आया नहीं है जो गया हर तरफ काँटों का जंगल है यहाँ कौन था जो बीज ऐसे बो गया छिननें की ज़िद तो बस ज़िद रह गयी जिसका जो उसको मुबारक हो गया तुनें "शाफिर" जो किये मैले गुनाह आँख का इक आँसू सब कुछ धो गया . लेखक परिचय :- प्रमोद त्यागी (शाफिर मुज़फ़्फ़री) ग्राम- सौंहजनी तगान जिला- मुजफ्फरनगर प्रदेश- उत्तरप्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहा...