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दीप बनो, जो जग को जगाए
सत्य की राह
चीज
नई दिशा
पश्चाताप क्या हैं?
शिवदत्त डोंगरे पुनासा जिला खंडवा (मध्य प्रदेश) ******************* पश्चाताप स्मृति रंध्रों से पीड़ा का रिसाव है पश्चाताप हमारी समझ और विवेक का अधूरापन है और हमारे बेहतर मनुष्य होते जाने का प्रमाण भी। पश्चाताप हमारी वस्तुपरकता को ठण्डी निर्ममता से बचाता है और सारी गतिविधियों के केन्द्र में मनुष्य को रखना सिखाता है। पश्चाताप इतिहास […]
मुँडेर-मुँडेर बिखरी ख़ुशियाँ
छत्र छाजेड़ “फक्कड़” आनंद विहार (दिल्ली) ******************** मुँडेर-मुँडेर बिखरी ख़ुशियाँ टिमटिमाये दीप क़तारों में मन प्रफुल्लित हुआ है आनंदित लक्ष्मी के आकार प्रकारों में झिलमिलाये दीपशिखा की लौ प्रीत जुड़ी प्रीत के तारों से रजनीगंधा सुमन सौरभ ले मुस्काये मधुर बहारों से महक उठे घर आँगन सारे ऋंगार, मिष्ठान, उपहारों से छिप-छिप चिहुंकै नव युगल […]
पता नहीं क्यों?
आज ऐसे क्रान्तिकारी चाहिए
गिरेन्द्रसिंह भदौरिया “प्राण” इन्दौर (मध्य प्रदेश) ******************** गीतिका छ्न्द में जो स्वयं कर्तव्य पथ की, साधना को साध लें। आपदा की आँधियों को, मुट्ठियों में बाँध लें। थरथरा उट्ठें कलेजे, नाम सुनकर पाप के। शब्द अपने आप उल्टे, लौट जाएँ शाप के।। क्रूर होकर जो अहं को, खूँटियों पर टाँग दें। हर प्रहर मुर्गे सरीखी, […]
जीवन का सार
तुम कुछ कहो … हम कुछ कहें
नादान है इंसान
प्रेम करना सीखें
शिक्षा
मीना भट्ट “सिद्धार्थ” जबलपुर (मध्य प्रदेश) ******************** शिक्षा से कल्याण है, सहज बढ़ाती ज्ञान। शिक्षा तो वरदान है, देती है सम्मान।। देती है सम्मान, करे जीवन उजियारा। करती है उद्धार, भगाती है अँधियारा।। अज्ञानी नादान, पढ़ो लो गुरु से दीक्षा। करे सदा उपकार, निखारे जीवन शिक्षा।। ज्ञानी शिष्ट सुशील हो, सतत् पढ़ो विज्ञान। जीवन होगा […]
मेरे आदर्श
रतन खंगारोत कलवार रोड झोटवाड़ा (राजस्थान) ******************** क्या अर्पण करूं तुझे हे! माधव, जो मानव जीवन तुमने दिया। मेरे पापों की मैली चुनरिया पर, कुछ सितारे शायद पुण्य के होंगे।। यह जीवन है कितना अनमोल, मैं निमूर्ख यह समझ ना पाई। तब मेरे पिता का रूप धरकर, गोविंद, तुमने ही तो राह दिखाई।। जब जीवन […]
परिवर्तन लाना पड़ता है
राजेन्द्र लाहिरी पामगढ़ (छत्तीसगढ़) ******************** अपने आप आती है बारिश, थमने नहीं स्वीकारती कोई गुजारिश, आंधी के आने का कोई काल नहीं है, जिसे रोकने के लिए कोई जाल नहीं है, खुद-बखुद आ जाती है तूफान, क्या पता ले ले कितनों की जान, मगर किसी की जान लिए बिना महापुरुष गण परिवर्तन लाते हैं, तात्कालिक […]
प्रकाशोत्सव की कुंडलिया
प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** दीवाली का आगमन, छाया है उल्लास। सकल निराशा दूर अब, पले नया विश्वास।। पले नया विश्वास, उजाला मंगल गाता। दीपक बनकर दिव्य, आज तो है मुस्काता।। नया हुआ परिवेश, दमकती रजनी काली। करें धर्म का गान, विहँसती है दीवाली।। अँधियारे की हार है, जीवन अब खुशहाल। […]
शुभम् दीपावली
कमल किशोर नीमा उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** आओ दीपावली हम मनाएँ। घर आँगन में दीपक जलाएँ। युग युगान्तर से है मान्यताएं। राम वन गमन से लौट आए। आओ ….. ऐश्वर्य, वैभव की माता लक्ष्मी जी। संग गणपति, सरस्वती भी पुजाये। उतारें आरती और करें प्रार्थनाएँ। सब भक्तों की पूरण हो कामनाएँ। आओ…… पूर्वजों ने जो […]
अगणित व्याल
स्वच्छंदता
ये कहानियाँ
छत्र छाजेड़ “फक्कड़” आनंद विहार (दिल्ली) ******************** कुछ हैरानियाँ कुछ परेशानियाँ वक्त से मिले आघातों की निशानियाँ जीवन से जुड़ी अतीत की अनगिन कहानियाँ मैं चाहता हूँ उन्हें भुलाना मगर कदम कदम अनेकों तथाकथित शुभचिंतक तैयार रहते हैं स्मरण कराने को फिर से वो कहानियाँ….. इतिहास भरा है छोटे बड़े भांति भांति के जख्मों से […]
साकार रूप लेता सपना
श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी लखनऊ (उत्तर प्रदेश) ******************** एक दिन मैं यूँ ही सड़क पर गुजर रहा था, रास्ते पर कुछ गिरा पड़ा था, बीमार, भूख-प्यास, से निढाल, सड़क के आध बीच लगा जैसे मेरा स्वप्न पड़ा हो !! एक श्वान था, जीवित किन्तु मरणासन्न स्थिति में! आत्मा सहित अपनी श्वास की तरह समेत लिया स्वयं […]
विजया दशमी
रतन खंगारोत कलवार रोड झोटवाड़ा (राजस्थान) ******************** सनातन-संस्कृति की रक्षक, यह अखंड धर्म की कहानी है। यह अधर्म पर धर्म की विजय गाथा, यह विजयदशमी पर्व की कहानी है।। नारी का मान है अनमोल, रावण के अहंकार का क्या है तोल। मान-मर्यादा से है जीवन, तभी तो मारा गया दुष्ट रावण।। यह बुराई पर अच्छाई […]
जौम्बी बना रहे
भीमराव ‘जीवन’ बैतूल (मध्य प्रदेश) ******************** अंधकार के कलुष रंग में, कण-कण सना रहे। इसीलिए तो कुंभकार मठ अब, जौम्बी बना रहे।। कुटिल वृत्तियों के मौसम ने, पाया अब विस्तार। लोकतंत्र की शाखाओं पर, चलने लगे कुठार।। जुगनू लगा रहे अब नारे, यह तम तना रहे।। इसीलिए तो कुंभकार मठ, जौम्बी बना रहे।। धूर्त कथानक […]
