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Tag: इंद्रजीत सिहाग “नोहरी”

यूँ कागज पर लिखने से क्या फ़ायदा
कविता

यूँ कागज पर लिखने से क्या फ़ायदा

इंद्रजीत सिहाग "नोहरी" गोरखाना, नोहर (राजस्थान) ******************** यूँ कागज पर लिखने से क्या फायदा, बरसात में भीग जाएगा बचेगा नहीं, तुमने पत्थर सा दिल कह तो दिया, पत्थर पर लिखोगे तो मिटेगा नहीं। मैं तो दसतपा था फिर क्यों बुलाया, तन पर मधुमास लपेटे हुए, शरद की शीत में कमल मुरझाया, प्यास तन में लिए हुए। तुमने मुँह छिपाया तो ऐसा लगा, अब सूरज उगेगा नहीं.... यूँ कागज पर लिखने से क्या फायदा, बरसात में भीग जाएगा बचेगा नहीं। मैं बसंत की तीज मना लुँगा, तुम्हें कौन ऋतु बसंती बताएगा। तुम अपनी धरोहर तो दिखा, तुम्हारी धरोहर दिल में बसा लुँगा, यूँ नयनों में नयन मत डालना, फिर ये दिल किसी की मानेगा नहीं। यूं कागज़ पर लिखने से क्या फायदा, बरसात में भीग जाएगा बचेगा नहीं, तुमने पत्थर सा दिल कह तो दिया, पत्थर पर लिखोगे तो मिटेगा नहीं। आँख बंद की तो तुम लैला सी ...
हम राजस्थानी
कविता

हम राजस्थानी

इंद्रजीत सिहाग "नोहरी" गोरखाना, नोहर (राजस्थान) ******************** हम सबसे सच्चे सबसे अच्छे वो राजस्थानी हैं, हम गोगानवमी को गोगामेड़ी में जाकर बजाते टन्नी हैं। हम देवनारायण जी की फड़ सबसे लम्बी बताते हैं, हम पाबूजी की फड़ सबसे छोटी पढ़ाते हैं। हम रामदेव जी के रामदेवरा में धोक लगातें हैं, हम उस तेजाजी की लीलण सी धूम मचाते हैं। हम करणी माता के वो सफेद काबा कहलाते हैं , हम जीण माता का सबसे लम्बा गीत गाते हैं। हम शीतला माता के बास्योङा का भोग लगाते हैं, हम उस सुगाली माता के वंशज हैं जिसको क्रांति का योग बताते हैं। हम उस खाटूश्याम के सेवक हैं जो शिश के दानी हैं, हम सबसे सच्चे सबसे अच्छे वो राजस्थानी हैं। हम उस हल्दी घाटी की मिट्टी से तिलक सजाते हैं, हम दुश्मन को सूरजमल सी झलक दिखलाते हैं। हम राव जोधा के जोधपुर को बसाने वाले हैं, हम सबको पुष्कर झील दिखाने वाल...
मेङ पर बैठा संगिनी साथ
कविता

मेङ पर बैठा संगिनी साथ

इंद्रजीत सिहाग "नोहरी" गोरखाना, नोहर (राजस्थान) ******************** देखा भी तो क्या देखा अगर देखा नहीं गोरखाना। देखता हुं दृश्य अब जब मैं मेङ पर खेत की बैठा संगिनी साथ। यह हरा ठिगना मौठ बांधे मुरैठा रंगिन शीश पर, फूलों से सजकर खङा हैं। देखा भी तो क्या देखा, अगर देखा नहीं गोरखाना। बीच में बाजरी हठिली देह पतली, कमर लचीली बांध शीश पर चांदी मुकुट लहर-लहर लहराव है देखा भी तो क्या देखा अगर देखा नहीं गोरखाना। और ग्वार की न पूछो, सबसे अलग अकङ दिखावै। हरे पत्तों से लदा फंदा हैं हरे पन्ने सी फली चमकावै है। प्रकृति अनुराग रस बरसावै है। देखा भी तो क्या देखा अगर देखा नहीं गोरखाना।। परिचय :-  इंद्रजीत सिहाग "नोहरी" उपनाम : "नोहरी" पिताजी का नाम : श्री भानीराम सिहाग माताजी का नाम : कांता देवी अर्धांगिनी का नाम : माया देवी जन्म दिनांक : १३/०७/१९९...
गुरुओं का आभार
कविता

गुरुओं का आभार

इंद्रजीत सिहाग "नोहरी" गोरखाना, नोहर (राजस्थान) ******************** गुरु क्या होते हैं सबको आज बताने आया हूं, मैं सभी गुरुओं का आभार जताने आया हूं। अगर गुरु वशिष्ठ ना होते तो शायद राम श्री राम ना होते, अगर गुरु सन्दीपन ना होते तो शायद कृष्ण घनश्याम ना होते। गुरु द्रोणाचार्य बिन कोई कैसे अर्जुन बन सकता है, गुरु रमाकांत आचरेकर बिन कोई कैसे सचीन बन सकता है। गुरु नरहरिदास बिन कोई कैसे सगुण का पाठ पढ़ा सकता, गुरु रामानन्द बिन कोई कैसे निर्गुण का पाठ पढ़ा सकता है। गुरु गोखले ने गांधी जैसा उज्ज्वल भविष्य दिया, गुरु रामावतार, बलवंत ने आपको नादान बालक दिया।। गुरु क्या होते हैं सबको आज बताने आया हूं, मैं सभी गुरुओं का आभार जताने आया हूं। परिचय :-  इंद्रजीत सिहाग "नोहरी" उपनाम : "नोहरी" पिताजी का नाम : श्री भानीराम सिहाग माताजी का नाम :...
गौमाता की पुकार
कविता

गौमाता की पुकार

इंद्रजीत सिहाग "नोहरी" गोरखाना, नोहर (राजस्थान) ******************** गाय गुणो की खान है, जाने जानन हार। अमृत समान दुध मिलता, सबकाबेङा पार। औ मूरली वाले सुणले अब पुकार, तेरे बिना मरु में अब तो लेले अवतार।। आपकी गईयो के क्या हो गया कन्हैया, हर एक के बदन पर हो गया गंठिया। पीङा, क्रंदन को सहते रोज जाती बैकुंठ , आंसू टेरती पुकारती कहां छुप गया कन्हैया।। इन गईयों ने कब किसी को दर्द दिया , जग में यूं नहीं कहलाई कामधेनु गईया । जग जीवन को नवजात की तरह पाला , आपकी गईया पुकारती है कृष्ण कन्हैया।। परिचय :-  इंद्रजीत सिहाग "नोहरी" उपनाम : "नोहरी" पिताजी का नाम : श्री भानीराम सिहाग माताजी का नाम : कांता देवी अर्धांगिनी का नाम : माया देवी जन्म दिनांक : १३/०७/१९९१ सम्प्रति : शिक्षक शिक्षा : दो बार स्नातकोत्तर, बीएड निवासी : गोरखाना तहसील नोहर ज़िला-...