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Tag: निज़ाम फतेहपुरी

दम में नहीं है दम
ग़ज़ल

दम में नहीं है दम

निज़ाम फतेहपुरी मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** वज़्न- २२१ २१२१ १२२१ २१२ अरकान- माफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईल फ़ाइलुन दम में नहीं है दम कोई फिर भी नहीं है कम। हर शख़्स कह रहा है कि आगे रहेंगे हम।। शेरो सुख़न की दुनिया में कुछ ऐसे खो गया। सुख में रहा न खुश कभी दुख का रहा न ग़म।। कुर्सी पे बैठकर वही औक़ात भूला है। झूठा है खानदानी जो मक्कार है परम।। कलियुग का सच यही है कि सच पे है भारी झूठ। सच-सच है प्यार कर ले तू नफ़रत करे अथम।। झूठी चमक है दुनिया की झूठी है साॅस ये। नाड़ी हकीम पकड़े है फिर भी गई वो थम।। अच्छे बुरे का फैसला तो होगा हश्र में। करता है काम नेक जो आहिस्ता निकले दम।। भौं ऑंख सब फड़क रही उल्टी निज़ाम की। विद'अत को मानता नहीं चाहे जो हो सनम।। परिचय :- निज़ाम फतेहपुरी निवासी : मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) भारत श...
झूठी है ज़िंदगी यहाॅं
ग़ज़ल

झूठी है ज़िंदगी यहाॅं

निज़ाम फतेहपुरी मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** वज़्न- २२१ २१२१ १२२१ २१२ अरकान- माफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईल फ़ाइलुन झूठी है ज़िंदगी यहाॅं मेहमान हम सभी। असली है घर ॲंधेरे में सोचा है कुछ कभी।। आ जाए मौत कब ये किसी को नहीं पता। मौका है तौबा कर ले गुनाहों से तू अभी।। नेकी का फल है नेक बुराई का फल बुरा। नेकी करोगे नेकी मिलेगी वहाॅं जभी।। आवाज़ हक़ की हमने हमेशा उठाई है। सच बोलता रहा हूॅं बुरा बन गया तभी।। मतलब निज़ाम समझा जो दुनिया में आने का। जाने पे हॅंस रहा वही बाक़ी दुखी सभी।। परिचय :- निज़ाम फतेहपुरी निवासी : मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) भारत शपथ : मेरी कविताएँ और गजल पूर्णतः मौलिक, स्वरचित हैं आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करव...
ग़ज़ल मेरे नाम की
ग़ज़ल

ग़ज़ल मेरे नाम की

निज़ाम फतेहपुरी मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** वज़्न- २२१ २१२१ १२२१ २१२ अरकान- माफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईल फ़ाइलुन पहचान ही मेरी है ग़ज़ल मेरे नाम की। बूढ़ा हूॅं मेरी अब नहीं तस्वीर काम की। आए न जो समझ में गजल वो ग़ज़ल नहीं। भाषा सरल हो शेर में अदबी पयाम की।। वह दानियत के सच का ये जब से चढ़ा नशा। चाहत नहीं है अब मुझे साक़ी के जाम की।। मंजिल है क़ब्र मेरी मैं उसके क़रीब हूॅं। तारीफ़ हो रही मेरे फिर भी कलाम की।। मेहनत की खाऍंगे वो जो ईमानदार हैं। मक्कार झूठे खा रहे सारे हराम की।। ख़ामोश हो गए हैं वो कुर्सी पे बैठ कर। आवाज पहले जो थे उठते अवाम की।। बे-ख़ौफ़ हैं दरिंदे ये जिनकी पनाह में। हाथों में उनके आ गई चाबी निज़ाम की।। परिचय :- निज़ाम फतेहपुरी निवासी : मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) भारत शपथ : मेरी कविताएँ और गजल पूर...
कल का पता नहीं
ग़ज़ल

कल का पता नहीं

निज़ाम फतेहपुरी मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** वज़्न- २२१ २१२१ १२२१ २१२ अरकान- माफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईल फ़ाइलुन जो आज तेरा सच वही कल का पता नहीं। देखा हो जिसने कल कोई ऐसा मिला नहीं।। जितना मिला बहुत है ज़ियादा करोगे क्या। कुछ ले के जाते क़ब्र में इंसाॅं दिखा नहीं।। कल पर न छोड़ कुछ भी जो करना है कर अभी। आ जाए कब बुलावा कोई जानता नहीं।। दौलत तेरी तेरी नहीं शोहरत नहीं तेरी। बस इक वहम था तेरा जो मर कर रहा नहीं।। साथी बहुत थे जीते जी तनहा है क़ब्र में। दो गज़ ज़मीं है गहरी कोई दूसरा नहीं।। आगे से पीछे आ गए कब पीछे चलते हम। आई है अक़्ल देर से जब कुछ बचा नहीं।। इक वक़्त था निज़ाम वो तेरा उरूज था। पीछे हो आज रहनुमा अपना चुना नहीं।। परिचय :- निज़ाम फतेहपुरी निवासी : मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) भारत शपथ : मेरी कविताएँ और...
ख़ुद को बचा ख़ुदी से
ग़ज़ल

ख़ुद को बचा ख़ुदी से

निज़ाम फतेहपुरी मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** वज़्न- २२१ २१२१ १२२१ २१२ अरकान- माफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईल फ़ाइलुन ख़ुद को बचा ख़ुदी से बचे ही रहेंगे हम। कल भी भले थे सबके भले ही रहेंगे हम।। साज़िश तमाम हो रही सच को मिटाने की। मिटने न देंगे सच को अड़े ही रहेंगे हम।। होता नहीं रईस कभी जो अमीर है। पैदा हुए रईस बने ही रहेंगे हम।। नफ़रत है उनके दिल में हमारे लिए भरी। अच्छा करेंगे फिर भी बुरे ही रहेंगे हम।। हमको गिराने वाले तो ख़ुद गिर गए निज़ाम। जब तक ख़ुदा है साथ उठे ही रहेंगे हम। परिचय :- निज़ाम फतेहपुरी निवासी : मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) भारत शपथ : मेरी कविताएँ और गजल पूर्णतः मौलिक, स्वरचित हैं आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित कर...
मुर्दों की बस्ती में
ग़ज़ल

मुर्दों की बस्ती में

निज़ाम फतेहपुरी मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** वज़्न- २२१ २१२१ १२२१ २१२ अरकान- माफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईल फ़ाइलुन मुर्दों की बस्ती में यहाॅं ज़िंदा कोई नहीं। आवाज़ हक़ की डर से उठता कोई नहीं।। हद पार हो गई है ज़ुल्मों सितम की अब। किस पर करें भरोसा की अपना कोई नहीं।। अपने भी अपने अब यहाॅं अपने रहे कहाॅं। नफ़रत की ऑंधी चल रही अच्छा कोई नहीं।। मरना है सबको पैदा यहाॅं पर हुआ है जो। ज़िंदा रहा जहाॅं में हमेशा कोई नहीं।। ऑंखों में पट्टी बाॅंध के बे-अक़्ल जीते हैं। ये चार दिन की ज़िंदगी समझा कोई नहीं।। किसका शिकार हो रहा किसका विकास है। सब दिख रहा है मुल्क में अंधा कोई नहीं।। बेख़ौफ़ है दरिंदे ये कैसा निज़ाम है। इस बे-लगाम भीड़ में इंसाॅं कोई नहीं।। परिचय :- निज़ाम फतेहपुरी निवासी : मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) शपथ : मेरी...
ज़िंदा हूॅं जी रहा मेरी मंज़िल क़रीब है
ग़ज़ल

ज़िंदा हूॅं जी रहा मेरी मंज़िल क़रीब है

निज़ाम फतेहपुरी मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** वज़्न- २२१ २१२१ १२२१ २१२ अरकान- माफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईल फ़ाइलुन ज़िंदा हूॅं जी रहा मेरी मंज़िल क़रीब है। आ जाए कब बुलावा सफ़र ये अजीब है।। ऐसी गुज़ारी उम्र की गुमनाम हो गए। अपना न कोई दोस्त न कोई रक़ीब है।। नफ़रत उगल रहा है जबाॅं से जो रात दिन। कैसे कहूॅं उसे कि वो अच्छा नजीब है।। लाशों का ढेर देख के आता नहीं तरस। होता है क़त्ल-ए-आम तो हॅंसता मुहीब है।। कैसा फ़क़ीर है ये जो घूमे विमान से। किस्मत हो सबकी ऐसी की फिर भी ग़रीब है।। आवाज जो उठाते थे ख़ामोश हो गए। दरबारी बन गया जो वो अच्छा अदीब है।। जिसको मैं ढूॅंढता रहा दुनिया की भीड़ में। वो पास है न दूर ये कैसा नसीब है।। जैसा करेगा जो वहाॅं वैसा भरेगा वो। मैदान-ए-हश्र सबका ख़ुदा ही हसीब है।। जन्नत निज़ाम उसकी है जो है रसूल का। ...
बस हॅंसी हैं वो तो होने दो
ग़ज़ल

बस हॅंसी हैं वो तो होने दो

निज़ाम फतेहपुरी मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** वज़्न- २१२२ २१२२ २१२२ १२ बस हॅंसी हैं वो तो होने दो नज़र में मेरे नइं। यूॅं किसी से झूठ कह दूॅं ये हुनर में मेरे नइं।। तुम कहीं अपना चलाओ जाके जादू हुस्न का। औरों को होगी ज़रूरत तेरी घर में मेरे नइं।। ज़िंदगी तो एक धोका है फ़ना होंगे सभी। हैं मुसाफ़िर सब कोई साथी सफ़र में मेरे नइं।। सच हमेशा कहता हूॅं मैं लड़ता हूॅं सच के लिए। बस ख़ुदा का डर है डर दुनिया का डर में मेरे नइं।। जो अगर कुछ सीखना है तुमको मुझसे ऐ 'निज़ाम'। तो अदब से पास बैठो मेरे सिर में मेरे नइं।। परिचय :- निज़ाम फतेहपुरी निवासी : मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) शपथ : मेरी कविताएँ और गजल पूर्णतः मौलिक, स्वरचित हैं आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के ...
वो बचा रहा है गिरा के …
ग़ज़ल

वो बचा रहा है गिरा के …

निज़ाम फतेहपुरी मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** वज़्न- ११२१२ ११२१२ ११२१२ ११२१२ वो बचा रहा है गिरा के जो, वो अज़ीज़ है या रक़ीब है। न समझ सका उसे आज तक, कि वो कौन है जो अजीब है।। मेरी ज़िंदगी का जो हाल है, वो कमाल मेरा अमाल है। जो किया उसी का सिला है सब, मैंने ख़ुद लिखा ये नसीब है।। जिसे ढूँढता रहा उम्र भर, रहा साथ-साथ दिखा न पर। मेरा साथ उसका अजीब है, न वो दूर है न क़रीब है।। जहाँ दिल में प्यार बसा हुआ, वहीं जन्म शायरी का हुआ। जो क़लम से आग उगल रहा, वो नजीब है न अदीब है।। भरी नफ़रतें जहाँ दिल में हों, वहाँ दिल सुकूँ कहाँ पाएगा। जो फ़िज़ा में ज़हर मिला रहा, वो मुहिब नही है मुहीब है।। वो डरे ज़माने के ख़ौफ़ से, जिसे मौत पर है यक़ीं नहीं। मैं डरूँ किसी से जहाँ में क्यूँ, मेरे साथ मेरा हबीब है।। यहाँ आया जो उसे जाना है, यही ला-फ़ना वो निज़ाम है। है...
अंगूर की ये बेटी
ग़ज़ल

अंगूर की ये बेटी

निज़ाम फतेहपुरी मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) ******************************** २२१ २१२२ २२१ २१२२ अरकान- मफ़ऊल फ़ाइलातुन मफ़ऊल फ़ाइलातुन अंगूर की ये बेटी कितनी है ग़म कि मारी। रहती है क़ैद हरदम बोतल में ये बेचारी।। बेबस समझ के इसको जिसने भी चाहा छेड़ा। कितनों ने साथ इसके यूँ रात है गुजारी।। दर-दर भटक रही है सड़कों पे बिक रही है। है बदनसीब कितनी अंगूर की दुलारी।। गलियों से ये महल तक हर रात बनती दुल्हन। देखो नसीब इसका फिर भी रही कुंवारी।। ग़म हो या हो खुशी ये होती शरीक सब में। फिर भी इसे बुरी क्यों कहती है दुनिया सारी।। दिल टूटा जब किसी का इसने दिया सहारा। ग़म के मरीज़ों को है ये जान से भी प्यारी।। समझा न ग़म किसी ने देखो निज़ाम इसका। हँस-हँस के सह रही है हर ज़ुल्म ये बेचारी।। परिचय :- निज़ाम फतेहपुरी निवासी : मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश)...
खेलन को होली
ग़ज़ल

खेलन को होली

निज़ाम फतेहपुरी मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) ******************************** खेलन को होली आज तेरे द्वार आया हूँ। खाकर के गोला भांग का मैं यार आया हूँ।। मानो बुरा न यार है त्यौहार होली का। खुशियाँ मनाने अपने मैं परिवार आया हूँ।। छिपकर कहाँ है बैठा जरा सामने तो आ। पहले भी रंगने तुझको मैं हर बार आया हूँ।। चौखट पे तेरे आज भी रौनक है फाग की। शोभन में पाने प्यार मैं सरकार आया हूँ।। होली निज़ाम खेल के मस्ती में मस्त है। कुछ तो करो कृपा तेरे दरबार आया हूँ।। परिचय :- निज़ाम फतेहपुरी निवासी : मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) शपथ : मेरी कविताएँ और गजल पूर्णतः मौलिक, स्वरचित हैं आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां,...
लेकर निगाह-ए-नाज़ के ख़ंजर
ग़ज़ल

लेकर निगाह-ए-नाज़ के ख़ंजर

निज़ाम फतेहपुरी मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) ******************************** लेकर निगाह-ए-नाज़ के ख़ंजर नए-नए। मिलते हैं शहरे ग़ैर में दिलवर नए-नए।। तहज़ीबे नौ का दौर है हर बात है नई। औरत भी अब बदल रही शौहर नए-नए।। आएगी जैसे-जैसे क़यामत करीब जब। देखोगे और भी यहाँ मंज़र नए-नए।। कुर्सी पे हमने जिनको बिठाया था शान से। ढाते हैं अब सितम वही हम पर नए-नए।। जो रास्ता बता रहे खादी लिबास में। रहज़न से कम नहीं हैं ये रहबर नए-नए।। मिलती है बेकसूर को अक्सर सजा यहाँ। डरते नहीं गुनाह से अफसर नए-नए।। हमदर्द बन के लोगों ने लूटा निज़ाम को। मिलते रहे हमेशा सितमगर नए-नए।। परिचय :- निज़ाम फतेहपुरी निवासी : मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) शपथ : मेरी कविताएँ और गजल पूर्णतः मौलिक, स्वरचित हैं आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रका...
ऐ मौत अभी तू वापस जा
कविता

ऐ मौत अभी तू वापस जा

निज़ाम फतेहपुरी मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** ऐ मौत अभी तू वापस जा बीमार की हसरत बाक़ी है। बस देख लूँ उनको फिर आना दीदार की हसरत बाक़ी है।। ग़म जिसने दिए इतने मुझको खुशहाल वो कैसे रहते हैं। आया न समझ में इतनी बस ग़मख़्वार की हसरत बाक़ी है।। साक़ी ने पिलाई जी भर के बोतल न बची मयख़ाने में। फिर भी है शिकायत पीने की मयख़्वार की हसरत बाक़ी है।। अपनों की मोहब्बत से यारों ग़ैरों कि ये नफ़रत अच्छी है। पीकर भी न भूले हम जिसको उस यार की हसरत बाक़ी है।। समझा न किसी ने ग़म मेरा जी भरके निज़ाम अब पीता हूँ। मैं एक शराबी शायर हूँ बस प्यार की हसरत बाक़ी है।। परिचय :- निज़ाम फतेहपुरी निवासी : मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) शपथ : मेरी कविताएँ और गजल पूर्णतः मौलिक, स्वरचित हैं आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प...
रग-रग के लहू से लिख्खी है
ग़ज़ल

रग-रग के लहू से लिख्खी है

निज़ाम फतेहपुरी मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** रग-रग के लहू से लिख्खी है हम अपनी कहानी क्यों बेचें। हर लफ़्ज़ अमानत है उनकी वो अहद-ए-जवानी क्यों बेचें।। ये गीत ही तो बस अपने हैं हमको जो किसी ने बक्से हैं। तुम दाम लगाने आए हो हम उनकी निशानी क्यों बेचें।। फ़नकार को जो कुछ देकर खुद नोटों से तिजोरी भरते हैं। हम ऐसे दलालों के हाथों वो याद पुरानी क्यों बेचें।। लफ़्ज़ो में पिरोयी हैं यादें जो जान से हमको प्यारी हैं। क़ीमत ही नहीं जिनकी कोई घड़ियां वो सुहानी क्यों बेचें।। शोहरत के लिए बिकने से तो गुमनाम निज़ाम अच्छा यारों। बेबाक क़लम है अपनी ये हम इसकी रवानी क्यों बेचें। परिचय :- निज़ाम फतेहपुरी निवासी : मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) शपथ : मेरी कविताएँ और गजल पूर्णतः मौलिक, स्वरचित हैं आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपन...
किसे मैं सुनाऊँ ये ग़म का फ़साना
ग़ज़ल

किसे मैं सुनाऊँ ये ग़म का फ़साना

निज़ाम फतेहपुरी मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** किसे मैं सुनाऊँ ये ग़म का फ़साना। सुनेगा तो रो देगा ज़ालिम ज़माना।। सितम बिजलियों ने वो ढाए न पूछो। जला मेरे आगे मेरा आशियाना।। बहुत कुछ बचाया बचाते-बचाते। मगर लुट गया फिर भी मेरा ठिकाना।। न सोचा न समझा मोहब्बत को मेरी। जुदा हो गए वो बना कर बहाना।। वफ़ा करके कुछ भी नहीं हमने पाया। न करते वफ़ा ग़म न पड़ता उठाना।। जिधर से मैं गुजरूँ यही लोग कहते। हटो आ रहा है वो देखो दीवाना।। निज़ाम आख़री ये नसीहत है मेरी। हसीनों से दिल मत कभी तुम लगाना।। परिचय :- निज़ाम फतेहपुरी निवासी : मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) शपथ : मेरी कविताएँ और गजल पूर्णतः मौलिक, स्वरचित हैं आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपनी ...
किसी को जहाँ में किसी ने छला है।
ग़ज़ल

किसी को जहाँ में किसी ने छला है।

निज़ाम फतेहपुरी मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** किसी को जहाँ में किसी ने छला है। मुझे तो मेरी बेबसी ने छला है।। रही चार दिन तक जुदा हो गई फिर। मुझे उम्र भर हर खुशी ने छाला है।। बढ़ी तिश्नगी जिस क़दर पी किसी ने। उसे क्या पता मय कशी ने छला है।। अंधेरों से डर के भी क्या कीजिएगा। पतिंगे को जब रोशनी ने छला है।। ये दुश्मन हैं बेहतर की खुलकर खड़े हैं। छला है तो बस दोस्ती ने छला है।। नहीं कोई शिकवा किसी से जहाँ में। मुझे ख़ुद मेरी ज़िंदगी ने छला है।। छलावा है दुनिया निज़ाम इससे बचना। यहाँ हर किसी को किसी ने छला है।। परिचय :- निज़ाम फतेहपुरी निवासी : मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) शपथ : मेरी कविताएँ और गजल पूर्णतः मौलिक, स्वरचित हैं आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्र...
मौत आई नहीं
कविता

मौत आई नहीं

निज़ाम फतेहपुरी मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** मौत आई नहीं फिर भी मारा गया। खेलने जब जुआ ये नकारा गया।। हार कर भी कभी होश आया नहीं। कर्ज लेकर हमेशा दुबारा गया।। जिसको आदत जुआ की बुरी पड़ गई। समझो गर्दिश में उसका सितारा गया।। अब बचा पास मेरे है कुछ भी नहीं। जो था सुख चैन दिलका वो सारा गया।। मुझको चंदे का देखो मिला है कफ़न। कैसे ज़िंदा जनाज़ा हमारा गया।। हर जुआरी का होता यही हाल है। जिसने खेला इसे वो बेचारा गया।। कर दिया इसने बदनाम देखो निज़ाम। मैं जुआरी भी कह कर पुकारा गया।। परिचय :- निज़ाम फतेहपुरी निवासी : मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) शपथ : मेरी कविताएँ और गजल पूर्णतः मौलिक, स्वरचित हैं आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्...
जाँ की हिफाजत नहीं है
ग़ज़ल

जाँ की हिफाजत नहीं है

निज़ाम फतेहपुरी मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** ग़ज़ल नक्ल हो अच्छी आदत नहीं है। कहे खुद की सब में ये ताकत नहीं है।। है आसान इतना नहीं शेर कहना। हुनर है क़लम का सियासत नहीं है।। नहीं छपते दीवान ग़ज़लें चुराकर। अगर पास खुद की लियाक़त नहीं है।। हिलाता है दरबार में दुम जो यारों। कहे सच ये उसमें सदाक़त नहीं है।। जो डरता नहीं है सुख़नवर वही है। सही बात कहना बगावत नहीं है।। सभी खुश रहें बस यही चाहता हूँ। हमारी किसी से अदावत नहीं है।। दबाया है झूठों ने सच इस कदर से। कि सच भी ये सचमें सलामत नहीं है।। दरिंदे भी अब रहनुमा बन रहे हैं। ये अच्छे दिनों की अलामत नहीं है।। निज़ाम आज बिगड़ा है ऐसा जहाँ मे। किसी की भी जाँ की हिफाजत नहीं है।। परिचय :- निज़ाम फतेहपुरी निवासी : मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) शपथ : मेरी कविताएँ और गजल पूर्णतः मौलिक, स्वरचित हैं आप भी अप...
मुझे रास आई न दुनिया तुम्हारी
ग़ज़ल

मुझे रास आई न दुनिया तुम्हारी

निज़ाम फतेहपुरी मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** ग़ज़ल - २१२ २१२ २१२ २१२ मुझे रास आई न दुनिया तुम्हारी। परेशां तुम्हारा यहाँ है पुजारी।। सुखी है वही जो ग़लत है जहाँ में। सही आदमी बन गया है भिखारी।। दरिंदे हैं बे-ख़ौफ़ कितने यहाँ पर। सरेआम लुटती बाजारों में नारी।। जो सौ में सवा सौ काहे झूठ यारों। वही रहनुमा बन गया है मदारी।। यही डर है सबको सही बोलने में। कहीं घट न जाए ये इज़्ज़त हमारी।। बड़ा तो वही है जो चलता अकड़ कर। शरीफों का जीना जहाँ में है भारी।। निज़ाम अब कहाँ जाए या रब बताओ। भरी है बुराई से दुनिया ये सारी।। परिचय :- निज़ाम फतेहपुरी निवासी : मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) शपथ : मेरी कविताएँ और गजल पूर्णतः मौलिक, स्वरचित हैं आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, रा...
जिंदगी इक सफ़र है
ग़ज़ल

जिंदगी इक सफ़र है

निज़ाम फतेहपुरी मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** ग़ज़ल - २१२ २१२ २१२ २१२ अरकान- फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन जिंदगी इक सफ़र है नहीं और कुछ। मौत के डर से डर है नहीं और कुछ।। तेरी दौलत महल तेरा धोका है सब। क़ब्र ही असली घर है नहीं और कुछ।। प्यार से प्यार है प्यार ही बंदगी। प्यार से बढ़के ज़र है नहीं और कुछ।। नफ़रतों से हुआ कुछ न हासिल कभी। ग़म इधर जो उधर है नहीं और कुछ।। घटना घटती यहाँ जो वो छपती कहाँ। सिर्फ झूठी ख़बर है नहीं और कुछ।। बोलते सच जो थे क्यों वो ख़ामोश हैं। ख़ौफ़ का ये असर है नहीं और कुछ।। जो भी जाहिल को फ़ाज़िल कहेगा 'निज़ाम'। अब उसी की कदर है नहीं और कुछ।। परिचय :- निज़ाम फतेहपुरी निवासी : मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) शपथ : मेरी कविताएँ और गजल पूर्णतः मौलिक, स्वरचित हैं आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परि...
जिगर के ख़ून
ग़ज़ल

जिगर के ख़ून

निज़ाम फतेहपुरी मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** ग़ज़ल - १२२२ १२२२ १२२२ १२२२ अरकान- मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन जिगर के ख़ून से लिखना वही तहरीर बनती है। इन्हीं कागज़ के टुकड़ों पर नई तक़दीर बनती है।। ग़ज़ल इतनी कही फिर भी न समझा हम भी शायर हैं। मेरी भी ज़िंदगी गुमनाम इक तस्वीर बनती है।। किसी को जीते जी शोहरत किसी को मरने पर मिलती। कहीं ग़ालिब बनी किस्मत कहीं ये मीर बनती है।। तुम्हारी सोच कैसे इतनी छोटी हो गई यारों। हमारे नर्म लहजे से भी तुमको पीर बनती है।। 'निज़ाम' अपनी क़लम रखकर दुबारा क्यों उठाई है। बुढ़ापे में बता राजू कहीं जागीर बनती है।। परिचय :- निज़ाम फतेहपुरी निवासी : मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) शपथ : मेरी कविताएँ और गजल पूर्णतः मौलिक, स्वरचित हैं आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो ...
चल चल रे मुसाफ़िर
ग़ज़ल

चल चल रे मुसाफ़िर

निज़ाम फतेहपुरी मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** ग़ज़ल - २२१ १२२२ २२१ १२२२ अरकान- मफ़ऊल मुफ़ाईलुन मफ़ऊल मुफ़ाईलुन चल चल रे मुसाफ़िर चल है मौत यहाँ हर पल मालूम किसी को क्या आए की न आए कल भूखा ही वो सो जाए दिन भर जो चलाए हल सोया है जो कांटों में उठता वही अपने बल वो दिल भी कोई दिल है जिस दिल में न हो हलचल ढकते हैं बराबर वो टिकता ही नहीं आँचल इतरा न जवानी पर ये जाएगी इक दिन ढल विश्वास किया जिसपे उसने ही लिया है छल रोशन तो हुई राहें घर बार गया जब जल कहते हैं सभी मुझको तुम तो न कहो पागल जो ताज को ठुकरा कर सच लिखता कलम के बल शायर वही अच्छा है जिसका नहीं कोई दल करनी का 'निज़ाम' अपनी मिलना है सभी को फल अब ढूंढ रहे हो हल जब बीत गए सब पल परिचय :- निज़ाम फतेहपुरी निवासी : मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) शपथ : मेरी कविताएँ और गजल पूर्णतः मौलिक, स्वरचित हैं आप भी अप...
निगाहे इश्क़ में
ग़ज़ल

निगाहे इश्क़ में

निज़ाम फतेहपुरी मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** १२२२ १२२२ १२२२ १२२२ अरकान- मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन कैसी निगाहे इश्क़ में तासीर हो गई। जिस पर पड़ी नज़र तेरी तस्वीर हो गई।। निकला न ख़ून जिस्म से घायल हुआ हुँ यूँ। क़ातिल नज़र थी ऐसी जो शमशीर हो गई।। बाहों मे बंध के हो गया क़ैदी किसी का मैं। माला गले की पांव में ज़ंजीर हो गई।। घर में बचा है कुछ न जरूरत है कुछ मुझे। दीवानगी मेरी मेरी जागीर हो गई।। कल तक सभी थे साथी जहाँ में "निज़ाम" के। तन्हा हूँ आज कैसी ये तक़दीर हो गई।। परिचय :- निज़ाम फतेहपुरी निवासी : मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।  आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीयहिंदी रक्...
कोई भी शख़्स
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कोई भी शख़्स

निज़ाम फतेहपुरी मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** १२२२ १२२२ १२२२ १२२२ अरकान- मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन कोई भी शख़्स हर मैदान में क़ाबिल नहीं होता। जो आक़िल है कभी वो मौत से ग़ाफ़िल नहीं होता।। उसे इंसान कहना भी है इक तौहीन इसाँ की। जो सुख दुख में भी अपनों के कभी शामिल नहीं होता।। कोई रंजो अलम होता न होता दर्द-ए-दिल यारो। सुकूँ से कटते दिन जीना यहाँ मुश्किल नहीं होता।। सुनाते थक गया हूँ दास्तान-ए-ग़म ज़माने को। किसी से कुछ बताने के लिए अब दिल नहीं होता।। है नाशुक्री वफ़ा के बदले में कुछ चाहना यारो। वफ़ा हासिल है ख़ुद इससे बड़ा हासिल नहीं होता।। ये है बहर-ए-ग़म-ए-हस्ती इसी में डूबना होगा। यही साहिल है इसमें दूसरा साहिल नहीं होता।। लुटाते हैं मता-ए-जाँ भी राह-ए हक़ मे दिल वाले। जमा करता वो धन दुनिया में जो आक़िल नहीं होता।। मशक्कत के बिना हमने तो कुछ मिलते न...
ख़ुद पर भरोसा
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ख़ुद पर भरोसा

निज़ाम फतेहपुरी मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** बहर मीटर-१२२२ १२२२ १२२२ १२२२ अरकान- मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन जिसे ख़ुद पर भरोसा है किसी से वो नहीं रोता। उसे देखा है बढ़ते जो जवानी मे नहीं सोता।। नहाए कितना भी गीदड़ वो गीदड़ ही रहेगा बस। चमक रहती है जब की शेर अपना मुँह नहीं धोता।। सफ़ेदी पर न जा मेरी अगर कुछ अक़्ल है थोड़ी। बुढ़ापे में किसी का दिल कभी बूढ़ा नहीं होता।। पड़ी हो आग पर गर राख तो बस दूर ही रहना। की अंगारा कभी अपनी तपिश जल्दी नहीं खोता।। निज़ाम ऐसा करो कुछ काम दुनिया नाम ले तेरा। वही शायर है अच्छा जो कभी नफ़रत नहीं बोता।। . परिचय :- निज़ाम फतेहपुरी निवासी : मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) शपथ : मेरी कविताएँ और गजल पूर्णतः मौलिक, स्वरचित हैं आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प...