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Tag: रतन खंगारोत

मुरलीधर
भजन

मुरलीधर

रतन खंगारोत कलवार रोड झोटवाड़ा (राजस्थान) ******************** मन बसिया, रंग रसिया गोपाल, तुझे छलिया कहूं या कहूं नंदलाल। हजारों नाम और असंख्य है अवतार, मधुर तेरी मुरली की हैं, तान ओ मुरलीधर।। गोकुलवासियों ने कोई पुण्य कमाया, जो मुरलीधर उनका सखा बन आया। सुख-दुःख का साथी बना नंदलाला, त्रिलोकी का नाथ बन गया रखवाला।। हंसी ठिठोली से चले जीवन की नैया, तारणहार ही बन गया सबका खवैया। सब ग्रामवासियों को बहुत प्रेम से समझाया, पर्वत की पूजा का जीवन में महत्व बताया।। पूजा टली इंद्र की तो, उसका क्रोध जगा, सात दिनों तक वर्षा का सैलाब लगा। त्राहि त्राहि मच गया जब चहूं ओर, तब हरी हर आये सुन दिन हीन पुकार।। गोवर्धन पर्वत को उंगली पर उठाया, सब जीवों को उसके नीचे बसाया। मुरली की मधुर तान सुन सब भूल गए दुख और काज, तब से ही गिरधर बन गए गोवर्धन महाराज।। परिचय : रतन ...
अयोध्या चले
कविता

अयोध्या चले

रतन खंगारोत कलवार रोड झोटवाड़ा (राजस्थान) ******************** आज तो है अलौकिक दिवस, हर तरफ खुशी के दीप जले। मेरे राम, सिया को संग लेकर, आज अयोध्या धाम चले।। सरयू की लहरों की रागिनी, संगीत मधुर सुना रही है। अयोध्या की पावन धरा से, महक मेरे श्री राम की आ रही है।। प्रफुल्लित हुआ हर जीव मन, मगन होकर नाच रहे हैं मोर। कोयल की मधुर वाणी सुन, खिल उठा अयोध्या चहुँओर।। कैसा अदभुत मिलन है यह, एक परिवार बनी पूरी नगरी। प्रेम के फूलों से खिला राजा दशरथ का घर, और महक गई पूरी अयोध्या नगरी।। धन्य-धन्य हो राजा दशरथ, जो प्रभु ने अंगना मे जन्म लिया। बड़ा पुण्य कमाया होगा माँ कौशल्या ने, जो पालनहार ने ही रिश्तों को मान दिया।। परिचय : रतन खंगारोत निवासी : कलवार रोड झोटवाड़ा (राजस्थान) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित...
मेरा भाई
कविता

मेरा भाई

रतन खंगारोत कलवार रोड झोटवाड़ा (राजस्थान) ******************** मेरे जीवन के सच्चे साथी, तुझ बिन मै कुछ नहीं, तुझसे ही तो मेरी सुबह और शाम है, इस जग मे मेरे भाई जैसा कोई और नहीं।। मेरे आँखो की चमक है तू, मेरे जीवन की हर रौनक है तू। तुझ से ही खिलता हमारा घर आँगन, तेरी मुस्कान से ही चलती हमारी धड़कन।। हमारे घर का उजाला है तू भाई, मम्मा-पापा की आँखों का तारा है तू। तुझसे ही बढ़ती हमारी खुशियो की उम्र, श्री राम जैसा पुत्र है, मेरे भाई तू।। गुलाब की जैसी महक हो तुम, अंधेरों को मिटाता पूनम का चांद हो तुम। तुमसे ही तो रोशन है हमारा जीवन, लक्ष्मण के जैसा ही भाई हो तुम।। परिचय : रतन खंगारोत निवासी : कलवार रोड झोटवाड़ा (राजस्थान) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।...
दिप जलाएं
कविता

दिप जलाएं

रतन खंगारोत कलवार रोड झोटवाड़ा (राजस्थान) ******************** राम घर आये हैं, सब मिलकर दिप जलाएं। सज गई पुरी नगरी, आओ मिलकर खुशियाँ मनाएं।। राम है मर्यादा पुरुषोत्तम, वचन के लिए वन को चुना। हसते- हसते महलों को छोड़ा, अयोध्या का हो गया हर कोना सुना।। सीता भी पतिव्रता नारी, महल सुख छोड़, हरी संग चली। फूलों पर चलने वाली, अब पानी भी पिये भर-भर अंजलि।। लक्ष्मण जैसा जग में भाई नहीं, राज छोड़ भाई के चरण शरण ली। कहीं नहीं लक्ष्मण जैसा और भाई, चौदह वर्ष में नींद की झपकी न ली।। ऐसे युगों-युगों के पैहरी, आज घर आये है। रौशन करें अपना घर, और मंगल गीत गाये हैं।। परिचय : रतन खंगारोत निवासी : कलवार रोड झोटवाड़ा (राजस्थान) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कवित...
मेरे आदर्श
कविता

मेरे आदर्श

रतन खंगारोत कलवार रोड झोटवाड़ा (राजस्थान) ******************** क्या अर्पण करूं तुझे हे! माधव, जो मानव जीवन तुमने दिया। मेरे पापों की मैली चुनरिया पर, कुछ सितारे शायद पुण्य के होंगे।। यह जीवन है कितना अनमोल, मैं निमूर्ख यह समझ ना पाई। तब मेरे पिता का रूप धरकर, गोविंद, तुमने ही तो राह दिखाई।। जब जीवन की उलझने बढ़ने लगी, मैं दिन- दुखी और चित्त उलझाया। तब मेरे गुरु के रूप में ही, माधव तुमने तो दिया जलाया।। मेरे आदर्श मेरे गुरुवर की वाणी, मेरे उसूल मेरे पिता के वचन। किसी का दिल न दुखे और न राह भटकू, तभी सार्थक होगा मेरा यह जीवन।। परिचय : रतन खंगारोत निवासी : कलवार रोड झोटवाड़ा (राजस्थान) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी ...
विजया दशमी
कविता

विजया दशमी

रतन खंगारोत कलवार रोड झोटवाड़ा (राजस्थान) ******************** सनातन-संस्कृति की रक्षक, यह अखंड धर्म की कहानी है। यह अधर्म पर धर्म की विजय गाथा, यह विजयदशमी पर्व की कहानी है।। नारी का मान है अनमोल, रावण के अहंकार का क्या है तोल। मान-मर्यादा से है जीवन, तभी तो मारा गया दुष्ट रावण।। यह बुराई पर अच्छाई की है जीत, यह अज्ञान पर ज्ञान की है जीत। श्री राम ने अहंकारी रावण को मारा, जैसे सत्य ने असत्य को मारा।। शौर्य-साहस का है गुंजन, युद्ध भूमि में होता है क्रूंदन। नाभि में भी अमृत छुप ना सका, शक्ति से दानव बच न सका।। है रघुवर के वंदन का दिवस, शौर्य-तिलक और शस्त्र पूजन का दिवस। निश्चल प्रीत और सेवा का है दिवस, विजयदशमी है, रावण दहन का दिवस।। परिचय : रतन खंगारोत निवासी : कलवार रोड झोटवाड़ा (राजस्थान) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुर...
हिंदी की महिमा
कविता

हिंदी की महिमा

रतन खंगारोत कलवार रोड झोटवाड़ा (राजस्थान) ******************** हिंदी आन है, हिंदी मान है, हिंदी, हिंद की पहचान है, यह देवनागरी की जान है।। हिंदी शब्द है, हिंदी प्रबंध है, हिंदी वर्ण की व्याख्या है। यह देवनागरी की जान है।। हिंदी प्रीत है, मनमीत है , हिंदी सात सुरों का संगीत है, हिंदी युगों-युगों का गीत है, यह देवनागरी की जान है।। हिंदी धरती है, हिंदी आकाश है, हिंदी चांद है, हिंदी चकोर है, हिंदी सूरज का अखंड प्रकाश है, यह देवनागरी की जान है।। हिंदी गंगा है, हिंदी यमुना है, हिंदी नर्मदा की जलधार है, यह देवनागरी की जान है।। हिंदी प्राण है, हिंदी त्राण है, हिंदी हर जन की पालनहार है, हिंदी रोम-रोम से होता आत्मसार है, यह देवनागरी की जान है।। विष्णु है, हिंदी राम है, हिंदी कृष्ण का भागवत ज्ञान है, यह देवनागरी की जान है।। हिंदी ओम है, हिंदी ओमकार है, ...
वर्षा की बूंदे
कविता

वर्षा की बूंदे

रतन खंगारोत कलवार रोड झोटवाड़ा (राजस्थान) ******************** काले-काले मतवाले बादल, वर्षा का पैगाम है लाये। उमड़-घूमड़ और इठलाकर, प्रेम का यह संदेश सुनाये।।१।। आते-जाते जब बादल गरजे, बिजली भी अपना रूप दिखाए। गरज और चमक जब मिले साथ में, मानव-जन और हर जीव घबराए।।२।। अद्भुत, छटा निराली इसकी, कभी प्रेम तो कभी डर लग जाए। छमक-छमक कर मोर नाचे, बूंदें ऐसी की हीरे और मोती बिखराए।।३।। वर्षा की बूंदे जब धरा से मिली, कण-कण उसका महका गया । ऐसी छटा बिखरी नभ में, कोयल, पपिहा गीत है, गाये।।४।। हरियाली की चुनर ओढ़े, प्रकृति ने सोलह शृंगार किये। अदभुत, अनोखा रूप इसका, वर्षा के संग-संग जिए ।।५।। परिचय : रतन खंगारोत निवासी : कलवार रोड झोटवाड़ा (राजस्थान) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। ...
दहेज
कविता

दहेज

रतन खंगारोत कलवार रोड झोटवाड़ा (राजस्थान) ******************** दहेज दानव कुछ बोल रहा है, मुंह अपना ये कितना खोल रहा है, प्रेम को तराजू मे तोल रहा है, रिश्तों मे विष ये घोल रहा है। शिक्षा का कोई महत्व नहीं, संस्कारों का कोई अस्तित्व नही, झूठ का यहाँ बाजार लगा, और सत्य का कोई खरीददार नही। डॉक्टर, इंजीनियर बनाये बेटे, फिर झोली ले बाजार चले, खरीद लो कोई मेरे घर का चिराग, हरे- गुलाबी नोट चले। जिसको अपने लहू से बनाया , श्रमवारि से जिसे तृप्त किया, नाजो से पाली अपनी बिटिया को, अब पराये घर को विदा किया। पराई बेटी का कोई मोह नही, संस्कारों का यहाँ कोई मोल नही, कौनसी गाडी? कैश कितना? सोने का अब कोई तोल नहीं। लालच का ये रुप निराला, बहरूपियों का नित लगता मेला, इससे बचना है अब मुशिकल, शांतिदूत का इसने पहना है चोला। भाँति-भाँति के लगा मुखोटे, दानव ने कई रुप...
माँ का खत
कविता

माँ का खत

रतन खंगारोत कलवार रोड झोटवाड़ा (राजस्थान) ******************** बहुत दिनों के बाद मेरी मां का खत आया है। उसकी सोंधी खुशबू ने मेरा गांव याद दिलाया है। वह घर-आंगन में खेलना और पेड़ों पर चढ़ना। उछल -कूद करके सारा दिन मां को बहुत सताना। इसने मेरे बचपन की सारी नादानियों को याद दिलाया है। बहुत दिनों के बाद मेरी मां का खत आया है। उसकी सोंधी खुशबू ने मेरा गांव याद दिलाया है। सबका लाड़ला था मैं, वहां न कोई पराया था। हर घर से ही मैंने प्यार बहुत पाया था। बहुत मजबूत था, हम यारों का याराना। खुशी का हर गीत ही मैंने बचपन में ही गया है। बहुत दिनों के बाद मेरी मां का खत आया है। उसकी सोंधी खुशबू ने मेरा गांव याद दिलाया है। शुद्ध हवा और शीतल पानी। झरने-नदियां कहती अपनी ही कहानी। तालाबों में मैंने देखी मीन की अठखेलियां। बारिश की नन्ही बूंदों ने हर तरु का मन हर्ष...