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Tag: सौरभ डोरवाल

बचपन
कविता

बचपन

सौरभ डोरवाल जयपुर (राजस्थान) ******************** खोया है बचपन, जवानी की हसीं उम्मीद में। जैसे बेच डाला हो सबकुछ, मामूली खरीद में।। बचपन खोया, खोया भाई-बहनों का प्यार। मोह्हले की रंगत खोयी, खोये सभी त्यौहार।। मौज छुटी, मासूमियत छुटी, छुटा दोस्तों का हाथ। दिखावे के रिश्ते बनाये, लगाये बैठे है जो घात।। बचपन के खेल खोये, खोये गिल्ली-डंडा और माल दड़ी। बचपन वाला समय, नही बताती अब हाथ घड़ी।। सूर्योदय सा बचपन बीता, बीत रही दोपहर सी जवानी। कब सूर्यास्त हो जाये क्या पता, कब ख़त्म हो जाये कहानी।। सूर्यास्त होने से पहले, एक बार फिर फिर जिन्दगी को जिया जाये। चलो गाँव की तरफ सौरभ, मोहल्ले में फिर से बचपन वाली मस्तियाँ की जाये।। परिचय : सौरभ डोरवाल निवासी : भोजपुरा, जिला- जयपुर (राजस्थान) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं म...
भीष्म–कृष्ण संवाद
कविता

भीष्म–कृष्ण संवाद

सौरभ डोरवाल जयपुर (राजस्थान) ******************** मृत्यु शैया पर लेटे-लेटे, भीष्म के मन में ये विचार आया। भीष्म ने श्री कृष्ण के सामने, अपनी बात को दोहराया।। क्या सही है और क्या गलत, इसका उत्तर ना कोई दे पाया। अपनी बात को अपने-अपने ढंग से, सभी ने सही ठहराया।। क्या सही है और क्या गलत, हे माधव ! मुझको बतलाओ। मृत्यु आने से पहले हे माधव, मेरी दुविधा को दूर भगावो।। इस पर श्री कृष्ण बोले- हे पितामह भीष्म, तुम्हारी दुविधा का समाधान बतलाऊंगा । क्या सही है और क्या गलत, इसका भेद बतलाऊंगा।। पूछो राजन, जो संशय हो मन में। यूँ चिन्तित रहना अच्छा नही, कुरुक्षेत्र के रण में।। पितामह भीष्म बोले- हे माधव! माना द्रोपदी का चीर हरण पाप था। पर इतना बताओ हे नाथ! द्रोणाचार्य के साथ हुआ क्या वो इंसाफ था।। माना माधव पांड्वो के साथ हुआ वो छल था। पर माधव जो धृतराष्ट्र और गा...
संघर्ष
कविता

संघर्ष

सौरभ डोरवाल जयपुर (राजस्थान) ******************** संघर्ष उसी को चुनता है, जो लायक इसके होता है। जो चलना भी ना शुरू करे, वो अनंत आकाश को खोता है।। राज-पुत्र होकर भी, संघर्ष राम ने चुना था। चौदह वर्ष वनवास काटकर, राज-पाठ का मौका भुना था।। संघर्ष राजा हरिश्चंद्र ने किया जीवन भर, तब संघर्षों के आदि कहलाए। राज खोया, पुत्र खोया, तब हरिश्चंद्र सत्यवादी कहलाए।। संघर्षों को बिना चुने, ना कोई मंजिल को पाता है। बिना संघर्ष जीवन क्षण भंगुर, केवल आता और जाता है।। संघर्ष के ही कारण गोताखोर, नदी पार कर जाता है। सौरभ केवल किताबों को पढ़कर, कोई तैरना नहीं सीख पाता है।। परिचय : सौरभ डोरवाल निवासी : भोजपुरा, जिला- जयपुर (राजस्थान) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।...