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Tag: हितेश्वर बर्मन ‘चैतन्य’

नवरात्रि कलश स्थापना
कविता

नवरात्रि कलश स्थापना

हितेश्वर बर्मन 'चैतन्य' डंगनिया, सारंगढ़ (छत्तीसगढ़) ******************** सबसे पहले साफ स्थान से मिट्टी लायें, अब गंगाजल छिड़कर उसे पवित्र बनायें। मिट्टी को चौड़े मुंह वाले बर्तन में रखें, तत्पश्चात उसमें जौ या सप्तधान्य बोएं। उसके ऊपर कलश में जल भरकर रखें, कलश के ऊपरी भाग में कलावा बांधें। कलश जल में लौंग, हल्दी व सुपारी डालें, दूर्वा और रुपए का सिक्का डालना न भूलें। कलश के ऊपर आम या अशोक के पल्लव को रखें, अब एक नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर रखें। नारियल को कलश के ऊपर श्रद्धाभाव से रखें, इस पर माता की चुन्नी और कलावा जरूर बांधे। मातारानी की कृपा से कलश स्थापना सफलतापूर्वक हो गई, फूल, कपूर, अगरबत्ती, ज्योत के साथ पूजा की बारी आ गई। नौ दिनों तक मां दुर्गा से संबंधित मंत्रों का जाप करना है, श्रध्दा-भक्ति के साथ उनकी विधि-विधान से पूजा करना है।...
गुरु को प्रणाम
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गुरु को प्रणाम

हितेश्वर बर्मन 'चैतन्य' डंगनिया, सारंगढ़ (छत्तीसगढ़) ******************** मेरा गुरु मेरे लिए पूज्यनीय है, खुद से भी ज्यादा आदरणीय है। जिसने दिया मुझे अनमोल ज्ञान, वो ज्ञानी मेरे लिए है सबसे महान। मेरे गुरु ने मुझे भविष्य की राह दिखाया है, कँटीले रास्ते में भी शान से चलना सिखाया है। मेरे जीवन से जिसने अंधकार को दूर किया है, जिसने मेरे मस्तिष्क को ज्ञान से भर दिया है। प्रणाम उनके चरणों में जिसने मुझे तालिम दी, जिनके कृपादृष्टि से मैंने विद्या हासिल की। वो मेरे जीवन का नित्य पथ प्रदर्शक है, वो मेरे जीवन का एक मार्गदर्शक है। उनके चरणों में कोटि-कोटि नमन, प्रफुल्लित मन से हार्दिक अभिनंदन। गुरु-शिष्य का ये पवित्र नाता अमर रहे, पूरा संसार शिक्षक दिवस मनाता रहे। परिचय :-  हितेश्वर बर्मन 'चैतन्य' निवासी : डंगनिया, जिला : सारंगढ़ - बिलाईगढ़ (छत्तीसगढ़) घोषण...
स्वतंत्रता दिवस मनायेंगे
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स्वतंत्रता दिवस मनायेंगे

हितेश्वर बर्मन 'चैतन्य' डंगनिया, सारंगढ़ (छत्तीसगढ़) ******************** आज हम स्वतंत्रता दिवस मनायेंगे, गर्व से लालकिला में तिरंगा फहरायेंगे। आजादी के लिए जिन्होंने बलिदान दिये हैं, उन वीरों के जय -जयकार हम लगायेंगे। हम भारत माँ की संतानें देश का मान बढ़ायेंगे, मातृभूमि की रक्षा खातिर अपना शीश भी कटायेंगे। सरहद ही ओर आँख उठाकर देखे जो दुश्मन, सीमा के उस पार ही मार उसे गिरायेंगे। ये धरती है मर-मिटने वाले बलिदानों की, आने वाले पीढ़ी को याद हम दिलायेंगे। कभी सोने की चिड़िया कही जाती थी, देश की गौरवशाली इतिहास भी बतायेंगे। देश के वीरों और वीरांगनाओं को नमन करेंगे, नतमस्तक होकर श्रद्धा-सुमन अर्पण करेंगे। शहीदों के सम्मान में आरती सजायेंगे, आज हम स्वतंत्रता दिवस मनायेंगे। परिचय :-  हितेश्वर बर्मन 'चैतन्य' निवासी : डंगनिया, जिला : सारंगढ़ - बिलाईगढ़ (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र :...
शहीदों की कुर्बानी
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शहीदों की कुर्बानी

हितेश्वर बर्मन 'चैतन्य' डंगनिया, सारंगढ़ (छत्तीसगढ़) ******************** आजादी का ये पल शहीदों की मेहरबानी है, शीश कटाने वाले देशभक्तों की कुर्बानी है। सदियों तक अमर रहेगी स्वतंत्रता की ये कहानी है , तिरंगे की लाल रंग बलिदान की अमर निशानी है। स्वतंत्रता के लिए वीरों का वर्षों तक संघर्ष हुआ, तब जाकर देश में आजादी का सूर्योदय हुआ। आजादी के खातिर कितनों ने दी अपनी कुर्बानी है, मातृभूमि के खातिर जिन्होंने दी अपनी जवानी है। आजादी की एक-एक सांस की कीमत चुकायी है, मातृभूमि के वीर सपूतों ने मौत को गले लगायी है। उनके कर्जों को जीवन भर चुकाया नहीं जायेगा, उनके एहसानों को कभी भुलाया नहीं जायेगा। लालकिला पर जब-जब तिरंगा लहरायेगी, तब-तब उन वीर शहीदों की याद आयेगी। परिचय :-  हितेश्वर बर्मन 'चैतन्य' निवासी : डंगनिया, जिला : सारंगढ़ - बिलाईगढ़ (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं...
धर्म जरूरी है
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धर्म जरूरी है

हितेश्वर बर्मन 'चैतन्य' डंगनिया, सारंगढ़ (छत्तीसगढ़) ******************** इंसानियत के लिए धर्म बहुत जरूरी है। इसके बिना जीवन बिल्कुल अधूरी है।। जिस दिन इस संसार से धर्म मिट जायेगा। उसी दिन से सारे रिश्ते-नाते टूट जायेगा।। माँ-बाप, भाई-बहन की परिभाषा नहीं रहेगी। धर्म के बिना आदमी और औरत ही बचेगी।। भाई अपनी बहन का बलात्कार करेगा। इंसान, इंसान नहीं जानवर बन जायेगा।। अभी भी समय है, धर्म का रास्ता न रोको। कानून का सहारा लेकर बेवजह न टोंको।। किसी के षड़यंत्र भरी बातों पर न आओ। इंसानियत के लिए सनातन धर्म अपनाओ।। भारतीय संस्कृति का अपमान मत करो। लिव-इन रिलेशन जैसे कानून मत बनाओ।। हमारी पुरातन संस्कृति को बचाओ। भारत देश से पाश्चात्य संस्कृति हटाओ।। धर्म को ध्यान में रखकर कानून बनाओ। कानून को धर्म से ऊपर मत बताओ।। कानून अपराध करने पर सजा दे सकती है। किन्तु धर्म अपराध करने से रो...
अंतर्मन की पुकार उठी है
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अंतर्मन की पुकार उठी है

हितेश्वर बर्मन 'चैतन्य' डंगनिया, सारंगढ़ (छत्तीसगढ़) ******************** अंतर्मन की पुकार उठी है आज मन में कई सवाल उठी है मन से मन की पुकार उठी है सवालों के जवाब से ही सवाल उठी है। जनता ने सरकार से पूछी है पाँच वर्षों की हिसाब मांगी है जवाब सुनकर जनता उलझी हुई है खुद की बनायी सरकार से ही रुठी हुई है। आज अंतर्मन की पुकार उठी है सरकार भ्रष्टाचार करके मस्त बैठी है इधर जनता अत्याचार से त्रस्त बैठी है राजतंत्र के आला-अधिकारी भी, उसी भ्रष्टता वाली बीमारी से ग्रस्त बैठी है। जनता दिन-रात मेहनत कर रही है सरकार उसका हिसाब ले रही है किस पर कितना टैक्स लगाना है सरकार मन ही मन सोच रही है। जनता को चूसने का मस्त बहाना है टैक्स लगाकर शाही खजाना बढ़ाना है कागज़ में ही सभी काम को निपटाना है अधूरे काम की पूरी जानकारी चिपकाना है। आज अंतर्मन की पुकार उठी है सोयी जनता अब जाग चुकी है ख...
औरत के अनेकों रूप
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औरत के अनेकों रूप

हितेश्वर बर्मन 'चैतन्य' डंगनिया, सारंगढ़ (छत्तीसगढ़) ******************** औरत के रूप है अनेक, कोई दुष्ट तो कोई है नेक। कोई धारण करे सीता का रूप, तो कोई है सुपर्णखा का स्वरूप।। कोई है साक्षात लक्ष्मी का स्वरूप, तो कोई धरे कुलक्षिणी का रूप। कोई बढ़ाये अपने कुल का मान, तो कोई करे पूर्वजों का अपमान।। कोई बनाये अपने घर को ही स्वर्ग, तो कोई गृहनाश करके बनाए नर्क। कुछ औरतें कहलाते हैं मर्यादित, तो कोई है डायन से परिभाषित।। कोई पति का दुःख-दर्द सुलझाए, तो कोई कोर्ट-कचहरी में उलझाए। कोई प्राणनाथ के रहे जीवनभर साथ, तो कोई करे पीठ पीछे ही आघात।। कोई अपने स्वामी को आबाद करे, तो कोई घर-परिवार को बर्बाद करे। कोई पति से बेइंतहा मोहब्बत करे, तो कोई उसके नाम से ही नफ़रत करे।। परिचय :-  हितेश्वर बर्मन 'चैतन्य' निवासी : डंगनिया, जिला : सारंगढ़ - बिलाईगढ़ (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्...
निशाचर
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निशाचर

हितेश्वर बर्मन 'चैतन्य' डंगनिया, सारंगढ़ (छत्तीसगढ़) ******************** देखो तो आज इस जमाने में, बिना अखबार के समाचार आया है। दिन के उजियारे को मिटाने, निशाचर के रूप में अंधकार आया है।। जो दिन में डरा-डरा सा रहता है, वो शाम ढलते ही भौंकने आया है। रात के अंधेरी सुनसान - गली में, राहगीरों का रास्ता रोकने आया है।। जिसको खुद दिशा का पता नहीं, वो मेरी दशा बिगाड़ने आया है। मुझसे जबरन झगड़ा करके, शराब का नशा निकालने आया है।। इंसान कुत्ता बनकर भौंक रहा है, शाम होते ही गली - चौराहों में। मुझे जान मारने की धमकी देने आया है, बहुत नफरत भरी है उसकी निगाहों में।। उसके पैर राह में डगमगा रहा है, फिर भी न जाने क्यों चिल्ला रहा है। मेरा उससे कोई दुश्मनी ही नहीं, फिर भी वो मुझ पर तिलमिला रहा है।। परिचय :-  हितेश्वर बर्मन 'चैतन्य' निवासी : डंगनिया, जिला : सारंगढ़ - बिलाईगढ़ (...
कविता

भ्रास

हितेश्वर बर्मन 'चैतन्य' डंगनिया, सारंगढ़ (छत्तीसगढ़) ******************** जरुरी नहीं है कि सिर्फ काँटा ही तकलीफ दे काँटे का क्या है ? वो तो कभी न कभी निकल ही जाएगा। पर मैं मन में छुपे हुए, भ्रास को कैसे बाहर निकालूं ? जो यदि बाहर निकल गया, तो दूसरों को तीर की भांति चुभेगा। और यदि बाहर न निकला, तो मुझे भीतर ही भीतर सीना भेदकर गहरी ज़ख्म पहुँचायेगा। न किसी से कुछ कह सकूंगा न तो ज्यादा दिन गले अंदर रख सकूंगा ! ये भ्रास मुझे दीमक की तरह खायेगा। मैं मन ही मन जलकर खाक हो जाऊंगा ज़ुबान होते हुए भी बोल न पाऊंगा क्रोधाग्नि मे मेरा कलेजा जल जाएगा फिर भी बाहर से कुछ नज़र नहीं आयेगा। ये भ्रास मुझ पर ही वार करेगा गले से उतरकर सीने में, तीर की भांति जा चुभेगा मैं कुछ नहीं कर पाऊंगा ये मेरे ही जिस्म को ढाल बनायेगा। सोचता हूँ मन की भ्रास निकाल दूँ गले में अटके हुए को...
कानून की चक्की
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कानून की चक्की

हितेश्वर बर्मन 'चैतन्य' डंगनिया, सारंगढ़ (छत्तीसगढ़) ******************** कानून की चक्की में रिश्ते - नाते, सगे - संबंधी सब पीस जाते हैं। अदालत की चक्कर काटते-काटते, जूता - जूती सब घिस जाते हैं।। मौका देख सुनसान गली - चौराहों में, शातिर जुर्म करते हैं रात के अंधेरे में। जोर है पक्ष - विपक्ष के दलीलों में, अदालत को सबूत चाहिए सवेरे में।। कभी - कभी कानून की चक्की, चलते - चलते जाम हो जाती है। लोगों को इंसाफ मांगते - मांगते, सुबह से लेकर शाम हो जाती है।। अच्छा वकील ढूंढने के लिए, खुद को वकील बनना पड़ता है। काले - कोट वालों की भीड़ से, एक को ही चुनना पड़ता है।। वकीलों को भगवान समझकर, नोटों का चढ़ावा देना पड़ता है। अपने दिल पे पत्थर रखकर, रिश्वतखोरी को बढ़ावा देना पड़ता है।। परिचय :-  हितेश्वर बर्मन 'चैतन्य' निवासी : डंगनिया, जिला : सारंगढ़ - बिलाईगढ़ (छत्तीसगढ़) ...
कुछ लोग
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कुछ लोग

हितेश्वर बर्मन 'चैतन्य' डंगनिया, सारंगढ़ (छत्तीसगढ़) ******************** कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो मरकर भी जिंदा रहते हैं। तो कुछ ऐसे भी होते हैं, जो जीवनभर निंदा करते हैं।। कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो जीवन में आदरणीय होते हैं। तो कुछ ऐसे भी होते हैं, जो महत्वहीन निंदनीय होते हैं।। कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो हमेशा आंखों में बसते हैं। तो कुछ ऐसे भी होते हैं, जो आंखों में खटकते हैं।। कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो मरकर भी आभास होते हैं। तो कुछ ऐसे भी होते हैं, जो जिंदा होकर भी लाश होते हैं।। कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो अपने सपने पूरा कर दिखाते हैं। तो कुछ ऐसे भी होते हैं, जो सपने ही नहीं देख पाते हैं।। कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो किसी को अपने वश में करते हैं। तो कुछ ऐसे भी होते हैं, जो खुद दूसरों के वश में रहते हैं।। कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो भाग्य बदलकर सपने साकार करते...
ऐ वक्त जरा ठहर जा
कविता

ऐ वक्त जरा ठहर जा

हितेश्वर बर्मन 'चैतन्य' डंगनिया, सारंगढ़ (छत्तीसगढ़) ******************** ऐ वक्त जरा ठहर जा, मेरी भी सुन जरा रुक जा। तेरे जाने से मैं छुट जाऊंगा, तू चला गया तो मैं मंजिल को कैसे पाऊंगा।। ऐ वक्त जरा थम जा, आ मेरे साथ जरा विश्राम तो कर ले। मुझे अपनी मंजिल का बेसब्री से इंतजार है, जरा रूक जा अपने साथ मुझे भी ले जा।। ऐ वक्त जरा पीछे मुड़कर भी देख ले, तेरा पीछा करते-करते मैं भी आ रहा हूँ। मेरा हाथ पकड़ कर मुझे खींच ले, समय का दो बूंद मेरे ऊपर भी सींच दे।। ऐ वक्त जरा मेरी बातें भी सुन ले, न बढ़ इतनी तेजी से जरा ठहर जा। तू इतनी जल्दी में कहां जा रहा है, बिना मंजिल के बस चलता ही जा रहा है।। ऐ वक्त जरा ठहर जा, एक पल मेरे ऊपर भी नजर तो उठा। कर न मुझे यूं अनदेखा, जरा थम जा मुझसे एक पल नज़र तो मिला।। तूझे रोकना मेरे सामर्थ्य में नहीं है, ऐ जाते हुए लम्हें मुझे अलविदा...
महानायक बाबा साहब
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महानायक बाबा साहब

हितेश्वर बर्मन 'चैतन्य' डंगनिया, सारंगढ़ (छत्तीसगढ़) ******************** बाबा साहब ने लिखा विश्व का सबसे बड़ा संविधान मानवता का अधिकार दिया सबको एक समान। अपनी कलम से सदियों तक अमिट इतिहास लिखा संविधान बनाते वक्त दूरदर्शिता का भी ध्यान रखा। क्या होती है कलम की ताकत दुनिया को दिखाया जाति-भेदभाव, छुआछूत को पलभर में मिटाया। जब बाबा साहब ने हक-अधिकार का कानून बनाया तब जाकर देश के गरीबों व मजदूरों को सूकुन आया। सदियों से दलितों को पढ़ने-लिखने का अधिकार न था आरक्षण दिया बाबा साहब ने इसके बिना उद्धार न था। मानवता की रक्षा के लिए धार्मिक राष्ट्र बनने न दिया बाबा साहब ने धर्म-निरपेक्ष राष्ट्र का प्रस्ताव दिया। भारत को विश्व में सबसे ऊंचा, सबसे प्यारा महान बनाया विविधता से भरी देश में सबके हित के लिए विधान बनाया। किसानों को जंमीदारो के शोषण, अत्याचार से मुक्ति दिलाया ...