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Tag: अविनाश अग्निहोत्री

बर्ताव
लघुकथा

बर्ताव

अविनाश अग्निहोत्री इंदौर म.प्र. ******************** राजेश के ड्राइवर पिता को जब उसके मालिक के बच्चे भी नाम से ही पुकारते।तो यह बात राजेश को बड़ी बुरी लगती।वो सोचता कि आज भले वो गरीब है।पर एक दिन उसके पास भी यही शानो शौकत होगी।तब उसके पिता के नाम को भी सब अदब से लिया करेंगे।उसके बाल मन का ये विचार बड़ा होते होते दृढ़ संकल्प बन गया।और अपनी अच्छी पढ़ाई और आरक्षण के फायदे के चलते,आज वो भी एक बड़ा अधिकारी बन चुका है।अब उसके पास भी रसूख के साथ वो सब है।जिसकी कभी बचपन मे उसने कल्पना की थी।आज उसके साथ उसके पूरे परिवार को भी उसकी इस तरक्की पर नाज है।पर अब वो भी अपने पिता की उम्र के, अपने ड्राइवर व माली आदि नोकरो को उनका नाम लेकर ही पुकारता है।और जरा जरा सी भूलो पर सबके सामने उन्हें फटकारने में अपनी शान समझता है।जो आज उसके नोकरो के बच्चों को भी वैसे ही बुरा लगता है।जैसे कभी उसे लगता था।पर आज शायद रा...
एक फूल दो माली
लघुकथा

एक फूल दो माली

एक फूल दो माली अविनाश अग्निहोत्री ===================================================================================================================== रॉय साहब व उनकी पत्नी, एक सड़क दुर्घटना में अपने इकलौते बेटे व बहु को खो देने के बाद। उनकी आख़री निशानी अपने आठ वर्षीय पोते की परवरिश उसी लाड़ प्यार से कर रहे थे। जैसी कभी उन्होने अपने बेटे मधुर की करी थी। यह देख रॉय साहब के एक पुराने मित्र उन दोनों से बोले, आपके बेटे मधुर ने शादी के बाद आप दोनों से जैसा व्यवहार किया। ऐसा तो कोई सौतेला भी न करे। और उसकी पत्नी ने तो आप जैसे देवपुरुष व सीधी साधी भाभी को। दहेज प्रताड़ना का झूठा आरोप लगा। इस बुढ़ापे में,जेल तक के दर्शन करवा दिये। तब भला आप उनकी ही इस संतान को किस उम्मीद से इतने लाड़ प्यार से पाल रहे है। अपने मित्र की बात सुन, रॉय साहब गोद मे बैठे अपने पोते के सर पर हाँथ फेरते हुए। गम्भीर स्व...