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Tag: उत्कर्ष सोनबोइर

पंडित जी के मोक्ष
कविता

पंडित जी के मोक्ष

उत्कर्ष सोनबोइर खुर्सीपार भिलाई ******************** कंधे से कंधे मिला कर चलने वाला दोस्त, जब आपको कंधो पर बैठाकर समूचा बस्तर दशहरा दिखा दिया हो! एक ऐसा दोस्त जो हॉस्टल से घर जाने के बाद सेमेस्टर ब्रेक में भी आपको कॉल करता हो... और हर बार ये फोन लगाकर पूछता हो कि "कब आथस बे?" एक ऐसा दोस्त जिसे घर पहुँच कर बताना पड़े की "हां पहुँच गे हो बे" जो तुम्हें हॉस्टल आने की हर खबर सुनते ही बस स्टेशन पर हर बार लेने पहुँच जाए। वो हर एक दोस्त का बेस्ट फ्रेंड है पर उसके नज़र में हर एक दोस्त बेस्ट है। वो जंहा बैठे वंहा महफ़िल बन जाए मुझे वो कुछ इस तरह मिला गया जैसे देवभोग के खदान से हीरा बेस्ट सीआर, यारों का यार, सीनियरस का मान, कॉलेज की शान सभी के दिलों में राज करने वाला नाम है - मोक्ष परिचय :- उत्कर्ष सोनबोइर (विधार्थी) निवासी : खुर्...
नवरात्रि और नारी
कविता, स्तुति

नवरात्रि और नारी

उत्कर्ष सोनबोइर खुर्सीपार भिलाई ******************** नारी जिससे देवता भी हारे काली जिससे स्वयं शंभु हारे द्रौपदी जिससे पांडव कौरव हारे वो स्वयं किल्ला कंकालिन तो आदि दुरगहीन माँ चण्डिका है कभी नरसिंह अवतार की भगिनी रतनपुर की माँ महामाया है राजा कामदल की आशापुरा वो डोंगरगढ़ बमलाई है वो बाबा बर्फानी की आरध्या नंदगहिन माँ पाताल भैरवी है वो बस्तर की माई महतारी देवी दंतेश्वरी शक्ति स्वरूपा है कोरबा की मंगल धारणी सर्वमंगला देवी स्वरूप है वो झलमाल गंगा मइया जैसे शीतल गांव-गांव की शीतला महारानी है। दुर्गम राक्षस मर्दानी देवी दुर्गा चण्ड मुण्ड संघारणी महिसासुरमर्दिनि है शशि शीश धारणी, त्रिनेत्र शोभनी वो त्रि देव पूजनीय माँ शक्ति है नारी है वो जग अवतारी वो सृष्टि की महतारी है। जिससे रावण, पांडव, राम, कृष्ण, विष्णु, स्वयं शंभु भी हारे है वो नारी है ज...
भूलन द मेज़ : फिल्म समीक्षा
फिल्म

भूलन द मेज़ : फिल्म समीक्षा

उत्कर्ष सोनबोइर खुर्सीपार भिलाई ******************** मुझे इस छत्तीसगढ़ी फिल्म का, बहुत दिनों से इंतजार था, २७ मई को रिलीज़ होनें के बाद, मुझे इस फिल्म को देखने की उत्सुकता और भी बढ़ गई, हां और मेरें परीक्षा होतें ही मैंने भिलाई के मुक्ता सिनेमा में देख ही लिया। भूलन द मेज़, पहली ऐसी छत्तीसगढ़ी फिल्म है जो राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए नामित हुई और गत वर्ष उपराष्ट्रपति, श्री एम वेंकैया नायडू जी के कर कमलों द्वारा भूलन द मेज़ को राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाज़ा भी गया। छत्तीसगढ़ नई फिल्म नीति के तहत इस फिल्म को एक करोड़ रूपये का अनुदान राशि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा दिया जाएगा। यह फिल्म संजीव बख्शी के उपन्यास 'भूलन कांदा' पर आधारित है, पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी जी वरिष्ठ निबंधकार के सानिध्य और दादी की दुलार ने उन्हें लेखक बनने प्रेरित किया, मैं तो कहूंगा की उन्हें साहित्य प्रेम व...
वसीयत
कविता

वसीयत

उत्कर्ष सोनबोइर खुर्सीपार भिलाई ******************** मां मेरे पैदा होते ही तु मुझे क्यों नही मारी देती तू मुझे एक चुटकी भर नमक ही चटा देती, तूने मुझे क्यों पाला मां, मां मेरे पैदा होते ही तू आंगन पर कुआं खुदवा लेती और उसी में डकेल देती, तू क्यों उसी पानी से गंगा स्नान नही कर लेती, उस कुआं को पत्थर से ढंक कर क्यों नही बंद कर देती मां, तू मुझे जन्म देते ही मार देती! तू अण्डी और कपास के बीज फोड़ खा लेती बेटी पैदा करने के बाद तू बांझ क्यों नही हो जाती मां, मां घर के आंगन में चिकनी मिट्टी ला कर कपास का पेड़ लागा लेती, उससे जो फल आए उसे अपनी बहु को खिला देना मां, ताकि तुम्हारी बहु भी बेटी मुक्त हो जाए! मां बेटी तो पर गोत्र होती है, इसे भगवान ने ही बनाया है न... एक दिन मैं भी चली जाऊंगी मां तेरा बोझ भी हल्का हो जाएगा, बेटी तो उड़ती च...