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Tag: केदार प्रसाद चौहान

शत शत नमन
कविता

शत शत नमन

केदार प्रसाद चौहान गुरान (सांवेर) इंदौर ****************** जो भी गया वहां लौटकर वापस आज तक कोई नहीं आया जो भी गया वह बहुत खूब गया इंदौर की सरजमी का चमकता सितारा डूब गया इंदौर से सिनेमा जगत में जाने के बाद मुंबई में स्वर का सूरज व्यस्त हो गया लता दीदी के रूप में बसंत पंचमी के दिन मां शारदा की गोद में अस्त हो गया आपके जाने से अधूरा रहेगा स्वर संगीत का यह चमन स्वर साम्रागी लता दीदी को समर्पित श्रद्धा सुमन मां शारदा की पुत्री आपको हमारा शत शत नमन शत शत नमन परिचय :-  "आशु कवि" केदार प्रसाद चौहान के.पी. चौहान "समीर सागर"  निवास - गुरान (सांवेर) इंदौर आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानि...
परीक्षा
कविता, बाल कविताएं

परीक्षा

केदार प्रसाद चौहान गुरान (सांवेर) इंदौर ****************** वैसे तो हमारा जीवन भी एक परीक्षा है जो कदम कदम पर हम अनुभव करते हैं यह भी एक शिक्षा है जीवन में सफलता अर्जित करने के लिए हम रात दिन पुस्तक पढ़ते हैं उम्मीदों की सीढ़ियां चुनकर प्रतिदिन आगे बढ़ते हैं हमें जो मुकाम हासिल करना है उसके लिए करते हैं मेहनत और सपने बूनते है बच्चे अपनी पसंद का सब्जेक्ट चुनते हैं मन लगाकर पढ़ाई करने वाले बच्चे आसानी से सफल हो जाते हैं अपनी मंजिल पर पहुंच जाते हैं फिर मनचाहा फल पाते हैं पेपर हो चाहे किसी भी सब्जेक्ट का उससे नहीं घबराते हैं जो बच्चे टेंशन नहीं लेते हैं परीक्षा का वह बहुत ही आसानी से सफल हो जाते हैं मेरी सलाह है आपसे परीक्षा से कभी नहीं घबराना चाहिए बनाकर टाइम टेबल पढ़ाई में जुट जाना चाहिए समय पर खाना, समय पर पढ़ना समय पर सोना और ...
चिंगारी
कविता

चिंगारी

केदार प्रसाद चौहान गुरान (सांवेर) इंदौर ****************** जलती हुई चिंगारी हमेशा समाज को रोशन करती है दूसरों की भलाई के लिए स्वयं जल जाती है और जलने वालों का भी पोषण करती है ना ही कभी किसी का और समाज का शोषण करती है चूल्हे में दबीहुई चिंगारी से जब राख हटाते हैं तभी चूल्हा जलापाते हैं और रोटी पकाकर खाते हैं तब मानव रूपी पुतले अपना पेट भर पाते हैं तब इतराते हैं फिर वह होली जलाने वाली आग हो या चूल्हे में दबी चिंगारी जब हट जाती है उसपर चढ़ी राख तो हरे भरे जंगल को भी जलकर करदेती है खाक ऊंचे-ऊंचे पेड़ जो आसमान को छूकर अपने घमंड मैं ईतराते हैं वह भी चूल्हे में दबी चिंगारी की आग से राख हो जाते हैं तब उसकी अहमियत पता चलती है के एक छोटी सी चिंगारी पूरे जंगल पर पड़ गई भारी परिचय :-  "आशु कवि" केदार प्रसाद चौहान के.पी. चौहान "समीर सागर"  निवास - ग...
कान्हा बनाम खान नदी
कविता

कान्हा बनाम खान नदी

मोहब्बत को ही इंसानियत की शान कहते हैं अध्यापक हूं शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय का गुरान में मुझे "आशु कवि" के.पी. चौहान कहते है कान्हा नदी का उद्गम स्थान है इंदौर जिले का मुंडी गांव जीसे आज लोग खान कहते हैं राजवाड़ा इंदौर की कृष्णपुरा छत्री पर संगम हुआ सरस्वती नदी से और त्रिवेणी में शिप्रा नदी मैं हुआ संगम जिसे शनि मंदिर पर त्रिवेणी का घाट महान कहते हैं कान्हा नदी कहूं तुझे या खान क्या कहकर करूं मां सरिता तेरा गुणगान तट पर बैठा हूं तेरे और कविता की पंक्तियों में लिख रहा हूं मां तेरा बखान मेरे गांव को कहते हैं गुरान निश दीन कल-कल करती स्वच्छ और निर्मल जल की धारा बहा करती थी जो तेरी महानता की कहानी कहा करती थी तेरे ही तट पर अपना बचपन जिया मैंने जिसका पानी कई बार पिया मैंने अब देख कर दुर्गति इस अमृत जैसे दूषित जल की भूल गया हूं मैं वह नदी बीते हुए कल की आज मैं कैसे तेरा गुणगान करूं ...
कलम का सिपाही
कविता

कलम का सिपाही

केदार प्रसाद चौहान गुरान (सांवेर) इंदौर ****************** देश के जन सेवकों को मैं जय हिंद कहता हूं कलम का सिपाही हूं मैं सत्य कहता हूं।। लोग तो सिर्फ वादा करते हैं और मैं लिख कर देता हूं देश की जनता के लिए जो अपनी त्याग -तपस्या मेहनत -लगन और परिश्रम के बल पर छोड़कर अपना घर- परिवार जनता की सुरक्षा के लिए खड़े हो जाते हैं बनकर दीवार चाहे कोरोना महामारी हो या फिर आ जाए बाल बच्चों सहित उसकी पत्नी हंता हमारे देश के जन -सेवकों के साथ खड़ी हे देश की जनता धन्य है वह लोग जो दिन -रात करते हैं जन सेवा चाहे भारी वर्षा बाढ़ आंधी या अन्य प्राकृतिक आपदा औरआजाए चाहे तूफान करोना जैसी महामारी मैं भी लगा दी अपनी दिलों जान मानते हैं अपनी ड्यूटी को सर्वोपरि परिवार से भी महान फिर वह चाहे सुरक्षाकर्मी डॉक्टर-जनसेवक समाजसेवी संस्थाओं देश के सैनिकों और पुलिस के जवानों को शिक्षक -के .पी .चौहान का शत -शत नम...
हे परमपिता
कविता

हे परमपिता

केदार प्रसाद चौहान गुरान (सांवेर) इंदौर ****************** हे परमपिता परमात्मा। आपसे है प्रार्थना।। दूर करो सब संकट। सुखी करो हर जीवात्मा।। कोरोना वायरस का। करो खात्मा।। ताकि सुखी रहे। सब जीवात्मा।। जो जन। सेवा में लगे हैं।। उन्हें शक्ति प्रदान करो। जो परमात्मा में। विलीन हो गए हैं।। उन्हें मुक्ति प्रदान करो। असहाय। गरीब और भूखे।। इंसानों को। अन्नजल प्रदान करो।। दवाई खोज निकालो।। कोरोना वायरस की। इसका इलाज करो।। संक्रमित लोगों को। दो जीवन दान। और जो स्वस्थ हैं।। उन्हें अभयदान। प्रदान करो।। संकट में है। सारी दुनिया।। प्राणी मात्र का। संकट हरो।। जो लोग। अपना घर -बार छोड़कर।। जा रहे हैं। सड़क पर दौड़ कर।। उन्हें सद्बुद्धि। प्रदान करो।। जो निवेदन। कर रहे हैं।। प्रधानमंत्री जी। उनके निवेदन का। सम्मान करो।। अपनी गलती से। मत लो दूसरों की जान।। और स्वयं भी। मत बेमौत मारो।। पूरे विश्व पर। म...
आपके लबों से
कविता

आपके लबों से

केदार प्रसाद चौहान गुरान (सांवेर) इंदौर ****************** देख कर लगता है की। गुलाब ने भी। आपके लबों से।। लाली चुराई होगी। देख कर आपका सौंदर्य।। पूर्णिमा की चांदनी भी। शरमाई होगी।। बादलों में घूमते हुए। जैसे यह जल भरे बादल।। है वैसे ही आपकी आंखों का। यह सुंदर काजल।। पेड़ों पर झूमती लताओं का वेश। ऐसे ही सुंदर लग रहे हैं आपके केस।। देखकर यह सुंदर परिदृश्य। बदल गया सारा परिवेश।। फूलों से सज कर जैसे। झुक गई हो डाली।। वैसे ही आपकी। सुंदरता है निराली।। . परिचय :-  "आशु कवि" केदार प्रसाद चौहान के.पी. चौहान "समीर सागर"  निवास - गुरान (सांवेर) इंदौर आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप कर...