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Tag: डॉ. प्रताप मोहन “भारतीय”

लम्हों में सिमटी ज़िंदगी
कविता

लम्हों में सिमटी ज़िंदगी

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** ज़िंदगी लम्हों में सिमटी है। खुशी और गम में बंटी है। ******* कुछ लम्हें खुशी के होते हैं। कुछ लम्हें दुःख देते हैं। और हम ज़िंदगी भर यूं ही रोते हैं। ******* लम्हा जिंदगी का एक क्षण है। जो बदलता हर पल है। ******* लम्हें चाहें क्षण भर के हो। पर याद उम्र भर की होती हैं। इसी के सहारे हमें गम या खुशी नसीब होती है। ******* कभी फुरसत के लम्हें होते है कभी काम के लम्हें होते हैं। परन्तु हर वक्त मेरे प्रियतम मेरी यादों में होते है। ******* चुरा लो खूबसूरत लम्हें इस जिंदगी से क्योंकि कितनी बाकी है जिंदगी? किसीको पता नहीं। ******* लम्हों पर भारी पड़ गई है महंगाई। इसलिए फुर्सत के लम्हें नहीं मिलते मेरे भाई। ******* अफसोस न कीजिए बुरे लम्हों को। बुरे थे इसलिये जल्दी चले गये । *****...
स्वास्थ्य ही सब कुछ है
कविता

स्वास्थ्य ही सब कुछ है

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** अच्छा स्वास्थ्य ही हमारे जीवन का आधार है। बिना अच्छे स्वास्थ्य के जीना बेकार है। ******** धन चला गया तो वो दोबारा वापस आ जायेगा। परन्तु स्वास्थ्य की कमी को कोई दूर नही जब कर पायेगा। ******* जब आदमी स्वास्थ्य होता है। तभी हर चीज का आनंद लेता है। ******* करोड़ों रुपये भी बेकार है। यदि आप बीमार है। ******** पहले अच्छा स्वास्थ्य बाद में सारे बाकी काम। खुद भी पालन करें और जमाने को दे ये पैगाम। ******* समय पर खाना, समय पे सोना यदि यह कर लिया। तो जिंदगी में कभी नहीं पड़ेगा रोना। ******* स्वास्थ्य व्यक्ति से ही स्वास्थ्य राष्ट्र बनेगा। यदि होंगे हम बलशाली तो सारा विश्व हमसे डरेगा। ******* परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्व...
तेरा अहसास …
कविता

तेरा अहसास …

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** दूर होकर भी जो तुम्हारे पास होने का कराता है आभास वही कहलाता हैं अहसास। ******* जब भी मुझे तुम्हारे पास होने का एहसास होता है वह पल मेरे लिए बहुत खास होता है। ******* अहसास से हमें मानसिक बल मिलता है। उसी के आशा से सुनहरा कल मिलता है । ******* अहसास खत्म होने से रिश्ता खत्म हो जाता है क्योंकि बंधन रिश्तों का नहीं बल्कि अहसास का होता है। ******* दूर रहकर भी तेरा अहसास होता है। तू सामने नही पर हर ख्वाब में साथ होता है। ******* अहसास आशा उम्मीद जगाये रखता है। दूर होकर भी प्रियतम को पास बनाए रखता है। ******* जीने के लिये जैसे जरूरी है सांस। वैसे ही जरूरी है हर वक्त तेरा अहसास। परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा क...
मैं ना होती तो …
कविता

मैं ना होती तो …

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** किसी के होनें न होने से दुनियां नहीं रुकती है। सीटे खाली होती हैं तभी तो भरती है। ******* उनके न होने से कुछ फर्क नही पड़ेगा। सूरज पूरब से उगता है वही से उगेगा। ****** यह हमारा वहम है कि मेरे न रहने पर क्या होगा? वही होगा जो कि भगवान को मंजूर होगा। ******* "मैं" शब्द अहंकार का प्रतीक है इसे अपनी ज़िंदगी से हटाए। और अपनी जिंदगी को अच्छे से आगे बढ़ाए। ******* मैं ना होती तो जरूर और कोई आयेगा। शायद मुझसे अच्छा कर जायेगा। ******* हम तो बस यही दुआ करते रहें। हम रहे या न रहें बाकी सब सलामत रहें। परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, ल...
मृदुल वाणी
कविता

मृदुल वाणी

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** हमारी वाणी ही हमारी पहिचान हैं। बिना वाणी के हमारा शरीर बेजान है। ****** वाणी मधुर हो तो सुनने में आनंद आता है। और कठोर हो तो मन खराब हो जाता है। ******* मीठी वाणी बोलने वाला तीखे मिर्च भी बेच देता है। कठोर वाणी बोलने वाला मिठाई भी नहीं बेच पता है। ******* नफरत करते है सभी कठोर वाणी बोलने वाले से। प्यार करते है सभी मृदुल वाणी बोलने वालों से। ******* मीठी वाणी से पराये भी अपने हो जाते हैं। कड़वा बोलने से अपने भी दूर हो जाते है। ******* कोई गीत गाता है कोई भाषण देता है। जब उनकी भाषा होती है मृदुल तो सुनने में आनंद आता है। ******* मधुर वाणी हमें तरक्की के रास्ते पर ले जाती है। कठोर वाणी हमें ऊपर से नीचे गिरती है। ******* यदि आप चाहते है जिंदगी में आगे बढ़ना। तो हमेशा अपनी वाणी ...
कड़ी मेहनत के बिना
कविता

कड़ी मेहनत के बिना

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** कड़ी मेहनत के बिना सफलता नहीं मिलती हैं। बिना कुआं खोदे प्यास नही बुझती है। ****** मेहनत के साथ जब अच्छी किस्मत होती है। तब ही हमारी जिंदगी अच्छे से संवरती है। ****************** एक मजदूर दिन भर धूप में तप कर दो-चार सौ रूपये कमाता है। एक अफसर आफिस में बैठ कर दिन भर लाखों रूपये रिश्वत खाता है। ****** किस्मत अच्छी हो तो लाटरी भी निकल आती है। किस्मत खराब हो तो सारी कमाई भी डूब जाती है। ****** मेहनत के साथ-साथ यदि अच्छी किस्मत मिल जाये। तो दिन दुगनी, रात चौगुनी लक्ष्मी जी आपके घर आये। ******* केवल किस्मत के भरोसे न बैठे मेहनत भी करते जाय। इस प्रकार अपनी जिंदगी को संवारते जाय। ******* हमारी तकदीर भी अच्छे कर्मों से लिखती है। बुरे कर्म और कामचोरी में जिंदगी बिगड़ती है। परिचय : डॉ. प्र...
खुद की खोज कर
कविता

खुद की खोज कर

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** दुनियां दारी के चक्कर में हमने खुद को भुलाया है। हम कौन हैं ये आज तक कोई समझ नहीं पाया है। ******* सारे जमाने की खबर हमें होती है। पर हम कौन है? यह जानने की कोशिश हमसे नही होती है। ******* सबसे पहिले आप खुद पर दे ध्यान । जब आप स्वास्थ्य रहेंगे तो ही सब पर दे पायेंगे ध्यान। ****** जिसने खुद को समझा है उसने खुदा को पाया है। बाकी ने तो अपना जीवन व्यर्थ में गावायां है। ******* में कौन हूं? दुनियां में क्यों आया हूं? इन प्रश्नों को जिसने हल किया है। वास्तव में जिंदगी जीने का मजा उसने लिया है। ****** भले करें चिंता जमाने की परन्तु खुद का भी ध्यान रखें। सबके साथ चलते रहें पर खुद का भी ध्यान रखें । परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शप...
तेरे जाने के बाद
कविता

तेरे जाने के बाद

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** आयेगी बहुत तेरी याद तेरे जाने के बाद। दिल करेगा फ़रियाद तेरे जाने के बाद। ****** जब जाना था छोड़कर तो आई ही क्यों थी। जब साथ नहीं था निभाना तो आई ही क्यों थी। ****** ये तेरी बेवफाई हमें बहुत तड़पायेगी। दिन तो कैसे भी कट जायेगा रात नहीं गुजर पायेगी। ****** सच्चा प्यार करने वाले दूसरे के लिये जान देते है। खुद को तन्हा कर दूसरे का जीवन गुलजार कर देते है। ****** मेरा दिल तेरी अमानत है। नही रहेगा दूसरा कोई तेरे जाने के बाद। ****** नहीं भुला पाऊंगा कभी तुम्हारी याद। मरते दम तक तुमको करता रहूंगा याद। परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानिया...
बचपन
कविता

बचपन

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** उम्र हो गई है अब मेरी पचपन। नहीं भूल पाया हूं अब तक बचपन। न किसी की चिंता थी न कोई फिक्र थी। दुनियां में कुछ भी होता रहे हमारी जिंदगी बेखबर थी। हमेशा अपनी मस्ती में मस्त रहते थे। मां को छोड़कर अन्य किसी से नहीं डरते थे। "माल्या"नही थे फिर भी जहाज चलाते थे। बरसात के पानी में कागज़ की नांव चलाते थे। सारा दिन खेलना कूदना सारा दिन मस्ती करना रोना और हंसना कभी चुप नही रहना। व्यापार का खेल खेलकर लाखों रुपये कमाए। तब शायद आज हम सच्चे व्यापारी बन पाए। चिंता और तनाव शब्द हमारे शब्द कोश में नहीं था। जिंदगी में एक अलग प्रकार ही का मजा ही था। बीत गया बचपन बस उसकी यादें अब शेष है। मेरे जीवन में बचपन का महत्व विशेष है। परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क-...
अन्न-जल
संस्मरण

अन्न-जल

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** मैं बद्दी (हि.प्र.) में रहता हूं और मेरी बुआ दमोह(म.प्र.) में रहती हैं। तीन महीने पहिले बुआजी का फोन आया। उन्होंने बताया कि २५ दिसंबर को मेरे पोते की शादी है और तुम्हे जरूर आना है। वैसे भी शादी के अवसर पर ढेर सारे रिश्तेदारों से मुलाकात हो जाती है इसलिए मेरा भी प्रयास रहता है कि मैं इस प्रकार के प्रत्येक कार्यक्रम में जरूर उपस्थित रहूं। २५ दिसम्बर को उनके यहां शादी थी मैने २३ दिसम्बर को अपना रेल आरक्षण करा के रख लिया। मैं २३ दिसम्बर को बस से दिल्ली के लिए रवाना हुआ क्योंकि दिल्ली से आगे के लिये रेलगाड़ी में आरक्षण करा के रखा था। बस जैसे ही दिल्ली की सीमा में घुसी ट्रैफिक बहुत जाम था एक से डेढ़ घंटा इस ट्रैफिक से निकलने में लग गया। बस से उतर कर ऑटो से रेलवे स्टेशन की ओर बढ़ा यहां पर भी ट्रैफिक में जाम लगा हुआ था। स...
सारे धर्म नेक है
कविता

सारे धर्म नेक है

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** सभी धर्मो का करे सम्मान। भारतीय संविधान देता है यह पैगाम। हमारे देश की सबसे बड़ी विशेषता धर्म निरपेक्षता। एक देश-अनेक धर्म करते रहो अच्छे कर्म। मत पालो भ्रम अच्छे है सारे धर्म। धर्म निरपेक्षता का उदाहरण भारत में पाया जाता हैं। यहां हर मुस्लमान भी दीवाली मनाता है। पाले अपने धर्म को और करे दूसरो का सम्मान सब एक दूसरे मे मिलकर रहें हिंदू हो या मुसलमान। सारे धर्म अच्छे है सारे धर्म नेक है। एक है भारत देश पर यहां धर्म अनेक है। गुरुद्वारे के लंगर में सभी लोग जाते है। ईद की सेवईया हिंदू भाई भी खाते हैं। अपने धर्म को शिद्दत से निभाये। न करे ऐसे काम कि दूसरे को तकलीफ हो जाय। कहीं अली की जय है कहीं बजरंगबली की जय है। हमारे देश में तो सारे धर्मो की जय है। परिचय : डॉ. प्रताप...
मेरी मां
कविता

मेरी मां

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** जन्मदाता है मां जिंदगी उसी से शुरू होती हैं। चाहे हमारे बच्चे हो जाय फिर भी मां की जरूरत होती हैं। एक छोटा अक्षर है मां जिसमे पूरी दुनिया समाई है। धरती पर मां भगवान के रूप में आयी हैं। मां ही प्रथम शिक्षक मां ही भगवान है। मां के बिना यह दुनियां वीरान है। चोट मुझे लगती है दर्द उनको होता है। अगर मैं बीमार हो जाऊं तो उनका जीना हराम हो जाता हैं। जब तक न पहुँचूँ घर बार-बार फोन लगती है। मुझे कुछ भी हो जाय, तो रोने लग जाती हैं। मां डांट भी प्यार से लगती है। मेरे उज्जवल भविष्य के लिये, अपना वर्तमान दाव पर लगती हैं। अब नहीं रही मां उनकी यादें ही शेष है। अब मां की स्मृतियां ही मेरे लिये विशेष है। परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं ...
सच्चाई की राह में
कविता

सच्चाई की राह में

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** बहुत कांटे मिलेंगे सच्चाई की राह में। बहुत लोग रोड़ा लगायेंगे सच्चाई की राह में। आसान नहीं है चलना सच्चाई की राह में। दोस्त दुश्मन बन जायेंगे सच्चाई की राह में। ये दुनियां सच्चाई पसंद नहीं करती है। झूठ बोल कर अपना गुजारा करती है। जो भी सच्चाई की राह में चला है। उसको अपनो ने ही छला है। झूठ का कोई भविष्य नहीं सच हमेशा जीतेगा। चलते रहिये सच्चाई की राह पर भविष्य उज्जवल रहेगा। परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच ...
रोशनी का त्योंहार
कविता

रोशनी का त्योंहार

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** दीपावली है रोशनी का त्योहार इसे मनाये दिल के अंदर का अंधेरा हटाये। दियो से जगमग रोशनी आती है मन को प्रफुल्लित कर जाती है। किसी गरीब के घर को भी करें रोशन करने का प्रयास तभी सच्ची खुशी का होगा आपको आभास। अंधेरो को निगलती है रोशनी काश सबके दुखों को निगल जाय रोशनी। एक दीपक भी अंधेरे को खा जाता है। रोशनी देकर आपके जीवन में बहार लता है। इस दीपावली पर नफरतों के दिये जलाओ और। खुशियों का प्रकाश पाओ। परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं,...
मुसाफिर
कविता

मुसाफिर

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** जो व्यक्ति कर रहा होता है सफर। उसे ही हम कहते है मुसाफिर। ****** इस दुनिया में हम मुसाफिर है मगर हमने यहां के स्थायी निवासी की गलत फहमी पाल ली है। ****** यदि अच्छा मिल जाता हैं हमसफर तो बहुत अच्छे से कटता है मुसाफिर का सफर। ****** अपने सफर को खुशनुमा बनाये, जब भी बने मुसाफिर समान कम ले जाये। ****** मंजिल मिल जाने पर पूरा हो जाता हैं सफर फिर चलने वाला नहीं होता मुसाफिर। ****** थक सा गया हूं जिंदगी के सफर में, अब मुझसे मुसाफिरी नहीं होती । ****** इस जिंदगी में कभी खुशी कभी गम आते है, परंतु मुसाफिर हर दौर में मुस्कुराते हैं। परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है। ...
तुम्हारे दिये दर्द
कविता

तुम्हारे दिये दर्द

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** तुम्हारे दिये दर्द तुम्हारी याद दिलाते हैं मेरे दिल के घावों को और ताजा कर जाते हैं जब दर्द ही देना था तो तुमने प्यार क्यों किया अपने साथ ही मेरा जीवन भी बर्बाद क्यों किया सच्चे प्रेमी प्यार मैं दर्द नहीं देते हैं वो तो हर दर्द को अपना समझ कर सहते हैं उफ़ भी नहीं करते दर्द पाकर रोते रहते हैं चेहरा छुपाकर ऐसी क्या मजबूरी थी कि मुझे धोका दिया प्यार की जगह दर्द ही दर्द दिया अब तुम्हारे दर्द ही अमानत है मेरे पास जिंदगी भर रहेगें वो मेरे खास तुम्हें कोई दर्द न दे मेरी यही दुआ है मत करना किसी से छल‌ जो मेरे साथ हुआ है परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है। ...
मन की पीड़ा
कविता

मन की पीड़ा

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** जब मन की पीड़ा आंसू बन कर गालों पर आती है यही सिसकी कहलाती है सिसकते है हम बिछड़े प्रियतम की यादों में खो जाते हैं हम याद कर उनकी बातों में आंसू सिसकी की शान बढ़ाते हैं बिना रुके गिरते जाते हैं कुदरत के आगे नही चलती किसकी दुखी आत्मा की आवाज होती है सिसकी कौन याद करता है ये हिचकियां बयां करती है और हमारे दिल का दर्द ये सिसकियां बयां करती है जीभर के रोओ मत सिसका करो किसी बेवफा की याद में यूं न तड़पा करो सिसकियों में हम अपने ग़म पीते हैं मन मारकर जीते हैं परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन...
ज्ञान का सागर
कविता

ज्ञान का सागर

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** देखने में छोटी होती है पर इसमें होता ज्ञान का भंडार है इसके बिना शिक्षा की कल्पना करना बेकार है पुस्तकें ज्ञान प्राप्ति का जरिया है इसमे बहता ज्ञान का दरिया है पुस्तकें हमारे अकेलेपन में साथी होती है बोरियत को दूर भगाती है पुस्तकें ज्ञान के साथ-साथ हमारा मनोरंजन भी कराती है कभी हंसाती है और कभी रूलाती है पुस्तक को अपना जीवनसाथी बनाएँ खुद को प्रगति के पथ पर आगे बढ़ाएँ पुस्तकें होती है हमारी मित्र और गुरु जब भी समय मिले पढ़ना करें शुरू पुस्तकें हमें अंधकार से रोशनी की तरफ ले जाती है हमारे जीवन को उज्जवल बनाती है परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है। ...
आंखें बोलती है
कविता

आंखें बोलती है

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** मुंह से ज्यादा आंखें बोलती है दिल के सारे राज खोलती है किसी के प्रति उमड़ती है घृणा किसी के प्रति होता है प्यार आंख हर चीज बयां करती है मेरे यार उनकी आंखों की गहराई हम आज तक नाप न पाये जितना अंदर जाने की कोशिश की इसका कोई अंत न पाये आंखें काली या भूरी इन आंखों के बिना दुनियाँ है अघूरी किसी को दुखी देखकर भर आती है आंखें आंसुओं को समेटकर लाती है आंखें तुम्हारी आंखों से ज्यादा नशा नहीं मिलता मयखाने में बस तू मेरी हो जाय फिर क्या रखा है जमाने में आंखें हमारी होती है सपने किसी और के होते है किसी के प्यार में अक्सर हम यूं ही खोये होते है परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पू...