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Tag: डॉ. राजीव डोगरा “विमल”

दिव्य प्रेम
कविता

दिव्य प्रेम

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** जब मैं शांत हो जाऊंगा तुम अशांत हो उठोगे हृदय के अंतकरण तक। मेरा मौन सदा के लिए तुम्हारे हृदय में अशांति को विद्यमान कर देगा। मेरे प्रेम की अभिव्यक्ति तुम्हारे लिए करना कठिन से भी कठिन हो जाएगी। नव नासिका का भेदन करता हुआ मैं कभी दशम द्वार के परमानंद के अमृत कलश का अमृत पीता हूँ। तो कभी अनाहत मैं बैठे अपने इष्ट का स्पर्श कर हंसता मुस्कुराता हुआ फिर इस धरा पर चुपचाप लौट आता हूं। अपने अतृप्त हृदय के लिए तुम्हें सहस्रार का भेदन कर दिव्य प्रेम सरिता में डूब कर मुझ में लीन होना ही होगा। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्ष...
कुछ सिखा है
कविता

कुछ सिखा है

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** टूटे हुए लफ्ज़ों को बटोर कर मैंना लिखना सिखा हैं। बहतें अश्कों के दरिया में डूबकर मैंना तैरना सिखा है। जिस मिट्टी में मेरे अपनों ने ही मुझे मिट्टी किया, उस मिट्टी से मैंना खुद को ढालना सिखा हैं। जिस ऊंचाई के अहं में लोगों ने मुझे नीचे गिराए, उस ऊंचाई के भी आसमाँ को मैंना छूना सिखा है। मुकाम-ऐ-दौर में अपनों से ही मुझे जो ठोकरें मिली, उन ठोकरों से मैंना आगे बढ़ना सीखा हैं। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।  ...
सर्वदर्शी
कविता

सर्वदर्शी

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** किताबों के बाद इंसानों को पढ़ने का शौक पैदा हुआ, इतना पढ़ा कि वो भी पढ़ लिया जो कभी नहीं पढ़ना चाहिए था उनके अंतर्मन का। तुमको देखने के बाद इंसानों को देखने का शौक पैदा हुआ, इतना देखा कि वो भी देख लिया जो वो छुपाना चाहते थे सदा दुनिया से। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।  ...
विद्यालय स्मृति चिन्ह
कविता

विद्यालय स्मृति चिन्ह

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** दहलीज लांघी जब विद्यालय की तो याद आया जा चुके वक्त में बच्चों का हंसना-मुस्कुराना, एक दूसरे से लड़ना और फिर गले से लग जाना। अध्यापक की ज़रा सी डांट पर बच्चों का रूठ जाना पहले नम आंखें कर फिर अश्रु बहाना। अध्यापक का जरा सा देखकर मुस्कुराना, फिर अपनी ममता की छाया में लेकर मां की तरह चुप करवाना। मगर जब वक्त ने अपनी दहलीज लगी तो अध्यापक ने कहा, "सामने जो बैठे थे कल मेरे वो बच्चे कहां?" विद्यालय के बाहर खड़े बच्चों ने कहा, "डांटा कर भी जीवन का सही राह दिखाते मेरे वो अध्यापक कहा?" परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, ...
अपराजित
कविता

अपराजित

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** मुझे दीवाना न समझना मुझे इश्क का परवाना न समझना , मैं रहता हूं अक्सर ह्रदय में तुम्हारे मुझे आवारगी का किनारा न समझना। मुझे बेगाना मत समझना मुझे अपना भी मत समझना मैं रहता हूं अक्सर ख़ुदा की आवारगी में मुझे यूँ ही बेचारा मत समझना। मुझे हारा हुआ मत समझना मुझे पराजय का सितारा मत समझना मैं रहता हूं अक्सर बड़ी जीत की तलाश में मुझे यूँ दुनिया से हारा मानव न समझना। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।  ...
स्नेहपाश
कविता

स्नेहपाश

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** आओ तुमको अपनी कहानी का पात्र बनाऊ करे लोग सजदा तुमको भी मेरे नाम से ऐसा मुकाम बनाऊ। कहते हैं लोग कि मोहब्बत में बड़ी गहराई होती है आओ तुम्हें दोस्ती के समुद्र में डूबाकर भी तैरना सिखाऊ। सुना है तुमको लोगों पर ऐतबार नहीं है आओ तुमको स्नेहपाश में बांधकर अपनेपान का ज़रा एहसास करवाऊ। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्...
काज़िब
कविता

काज़िब

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** कितने मंत्रमुग्ध हो औरों के लिए अपने लिए थोड़ा होते तो क्या बात थीं। कितने मंत्रमुग्ध हो झूठ अहम के लिए किसी पर रहम के लिए होता तो क्या बात थीं। कितने मंत्रमुग्ध हो मतलबी हंसी के लिए मासूम मुस्कराहट के लिए होता तो क्या बात थीं। कितने मंत्रमुग्ध हो दूसरों को नीचा दिखाने के लिए खुद के व्यक्तित्व को ऊंचा उठाने के लिए होते तो क्या बात थी। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छ...
नई दिशा
लघुकथा

नई दिशा

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** मन्नत एक सीधी सादी और घर की इकलौती बेटी थी। हर काम करने में सबसे आगे रहती थी बस दूसरों के आगे बात करने में उसको हिचकिचाहट होती थी और अक्सर ज्यादा लोगों को देखकर वो घबरा जाती थी। इस बार गांव में बने नए विद्यालय का उद्घाटन होना था। जिसमें प्रदेश के शिक्षा मंत्री मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हो रहे थे। मन्नत के पिता गांव के सरपंच थे इसलिए कार्यक्रम का सारा भार उसके पिता पर था और वो पिता का हर काम में हाथ बटा रही थी। आयोजन का दिन आया सभी बहुत खुश थे क्योंकि शिक्षा मंत्री स्वयं पहली बार उनके गांव में आ रहे थे मगर कार्यक्रम के आरंभ में ही बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई क्योंकि जिस मंच संचालक को बुलाया गया था वो किसी कारण नहीं आ रहा था और उधर मंत्री जी के आने का समय भी हो रहा था। मन्नत के पिता ने गांव के सभी लोगों स...
अजनबी तन्हाई
कविता

अजनबी तन्हाई

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** कौन सा दर्द अपने सीने में छुपाए रखते हो? मुस्कुराहट के पीछे कौन सा गम अपने ह्रदय में दबाए रखते हो? कहते हो तुम लोगों से अक्सर कि मुझे कोई गम नहीं ? फिर इस तन्हाई के आलम में किस से गुफ्तगू का माहौल बनाए रखते हो? सुना है लोगों से कि तुम बहुत बातें करते हो पर आता है नाम मेरा तो क्यों अपने लबों पर खामोशी और आंखों में मुस्कुराहट रखते हो? परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छाया...
इंतजार
कविता

इंतजार

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** अंधेरों को जैसे रोशनी का इंतजार है। नफरत को जैसे मोहब्बत का इंतजार है। बादलों को जैसे बरसने का इंतजार है। राहों को जैसे हमराही का इंतजार है। वृक्षों को जैसे खिलते हुए पत्तों का इंतजार है। सूखी भूमि को जैसे वर्षा का इंतजार है। सावन को जैसे बहारों का इंतजार है। वैसे मुझे तुम्हारा मेरे जीवन में इंतजार है। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, र...
चिड़िया
कविता

चिड़िया

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** उड़ती चिड़िया आसमान में दोनों पंख फैलाए। छोटी सी अपनी चोंच से दाना-दाना चुग खाएं। अपने पंख फैलाए उड़ती पूर्व से पश्चिम उत्तर से दक्षिण हर कोने पर अपना हक़ जमाती। डाल-डाल पर पात-पात पर बैठ अपना मधुर गीत सबको सुनाती। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी क...
सबसे बड़ा समाजसेवी
लघुकथा

सबसे बड़ा समाजसेवी

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** एक समय की बात हैं एक गाँव में रघुवीर नाम का व्यक्ति रहता था। रघुवीर बड़ा नेक दिल और हर किसी के दुःख को अपना दुःख समझ कर उसकी मदद करने वाला व्यक्ति था। इस बार रघुवीर के गांव में कुछ अधिक ही बारिश हुई जिससे गांव में बाढ़ की स्थिति बन गई और बाढ़ के कारण गांव के बहुत से घर तबाह हो गए। रघुवीर दिन रात सभी की सेवा करने में लगा रहता। रघुवीर कभी किसी के लिए घर से खाना बनाकर लेकर जाता तो कभी किसी बेघर को अपने घर में शरण देता। बरसात के बाद गांव में एक कार्यक्रम रखा गया जिसमें बाढ़ के दिनों में समाज सेवा करने वाले लोगों को सम्मानित किया जाना था। कार्यक्रम में रघुवीर को भी बुलाया गया। रघुवीर बड़े चाव से अपने मित्र के साथ कार्यक्रम में पहुंचा। कार्यक्रम में गांव के बड़े-बड़े प्रतिष्ठित व्यक्ति भी शामिल हुए। एक-एक करके...
आधुनिक व्यक्तित्व
कविता

आधुनिक व्यक्तित्व

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** बहुत कुछ लिखते हैं लिखने वाले मगर लिख नहीं पाते अपने गुनाहों को कभी। बहुत कुछ कहते हैं कहने वाले मगर कह नहीं पाते अपने जुर्मो को कभी। बहुत कुछ सुनाते हैं सुनाने वाले मगर सुना नहीं पाते अपनी कमियों को कभी। बहुत कुछ दिखाते है दिखाने वाले मगर दिखा नहीं पाते दबे हुए जज्बातों को कभी। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक म...
सुंदरतम
कविता

सुंदरतम

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** जल ने प्रलय मचा रखी है आसमाँ की मोहब्बत में दुनिया तबाह कर रखी है। सोचते हो मोहब्बत बस तुमने ही की है यहाँ ओह नहीं नहीं ... हवा ने पानी से पानी ने हवा से आंखों से आंखें मिला रखी है। सोचते हो खूबसूरत बस तुम ही हो यहां ओह नहीं नहीं ... पर्वतों ने अपनी सुंदरता से सारी दुनिया अपने कदमों में झुका रखी है। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं...
बेरहम
कविता

बेरहम

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** सिफारिश-ऐ-दौर चला है अपनों की जगह कोई ओर चला है। खुदगर्ज-ऐ-दौर चला है निस्वार्थी मनुज की जगह मतलबखोरों का क्षण चला है। बेवफ़ा-ऐ-दौर चला है महोब्बत की जगह रूप सम्मोहन का काल चला है। मलाल-ऐ-दौर चला है हमदर्द की जगह बेदर्द इंसा का वक़्त चला है। जहालत-ऐ-दौर चला है संज्ञान की जगह अविद्या का अंधकार का चला है। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते ...
मिथ्या फड़फड़ाहट
कविता

मिथ्या फड़फड़ाहट

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** क्यों? अब टूट गया अहम का वहम तुम तो कहते थे सब कुछ मैं ही हूं। मेरे इशारे पर ही सब चलता है मैं न चाहूं तो यहां पत्ता भी न हिलता है क्या ? अब भी कोई पूछता मांगता है? शायद नहीं क्योंकि जिद्दी व्यक्तित्व हर किसी को रास नहीं आता है। बीत गया न वक्त चली गई न सत्ता आहत कर रहे है न अपने क्या अब भी बचा है अहम का वहम? परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित क...
असहजता
कविता

असहजता

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** संघर्ष है तो हारने के डर से फिर विराम क्यों? राम है तो औरों से फिर काम क्यों? ज्ञान है तो फिर अज्ञानता का भार क्यों? जीत की तलब है तो फिर हार का खौफ क्यों? अजनबी हूँ तो फिर इतना अपनापन क्यों? अहम है तो फिर वहम भरी बातें क्यों? सहज हो तो फिर व्यवहार में असहजता क्यों? ज्ञात है सब तो फिर अज्ञात का बोध क्यों? जीवंत हो तो फिर मरण से भय क्यों? परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाच...
मेरे माधव
कविता

मेरे माधव

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** माधव तेरे शहर के लोग अक्सर मोहब्बत का नाम लेकर डसते हैं। माधव तेरे शहर के लोग नाम तो तेरा लेते है पर तुम जैसी प्रेम प्रीति न करते हैं। माधव तेरे शहर के लोग कान्हा-कान्हा तो करते हैं मगर तुम जैसा रण में साथ न देते हैं। माधव तेरे शहर के लोग प्रेम तो बहुत करते हैं मगर तुम जैसे निभाने से डरते हैं। माधव तेरे शहर के लोग सत्यता का गुणगान तो करते है मगर तुम जैसे सत्य के लिए लड़ने से डरते हैं। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख...
आनंद अनुभूति
कविता

आनंद अनुभूति

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** मृत्यु योग बनता रहा पर मेरे महाकाल काल का भक्षण करते रहे। शत्रु योग बनता रहा पर मेरी मां काली शत्रुओं का रक्त पान करती रही। भयभीत करने का प्रयास लोग करते रहे मगर मेरे कालभैरव भय के साथ भयाकारक का भी भयानक विनाश करते रहें। दुरात्मा योग बनता रहा पर मेरे सदाशिव ज्ञानामृत देकर पापयुक्त करते रहे। वियोग का योग बनता रहा पर मेरी मां काली का ममतामई स्पर्श आनंदमय करता रहा। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी ...
संशय
कविता

संशय

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** हां मैं लिखता हूं तुम्हारी मुस्कुराहट में अपना वजूद लिखता हूं। हां मैं देखता हूं तुम्हारी छुपती निगाहों में अपना अस्तित्व देखता हूं। हां मैं मुस्कुराता हूं तुम्हारी स्मृति में खोकर हृदय तल से मुस्काता हूं। हां मैं डरता हूं एक बेनाम रिश्ते को एक नाम देने से डरता हूं। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कव...
मेरे सतगुरु
कविता

मेरे सतगुरु

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** कौन जाने मेरे सतगुरु तुम बिन मुझ कौन जाने। कौन तारे मेरे सतगुरु तुम बिन मुझ कौन तारे। कौन संभाले मेरे सतगुरु तुम बिन मुझ कौन संभाले। कौन समझे मेरे सतगुरु तुम बिन मुझ कौन समझे। कौन सँवारे मेरे सतगुरु तुम बिन मुझ कौन सँवारे। कौन ज्ञान चक्षु दें मेरे सतगुरु तुम बिन मुझ कौन दें। कौन भव पार करें मेरे सतगुरू तुम बिन मुझ कौन पार करें। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित...
अनूठा व्यक्तित्व
कविता

अनूठा व्यक्तित्व

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** जो देखना चाहते हैं मेरी तबाही का मंजर उनको बता दूं मैं सर्वदा बहने वाला हूं पर तुम शाश्वत न रहने वाले हो। जो देखना चाहते हैं मेरी आंखों में आंसू उनको बता दूँ मैं इस आब-ए-चश्म में डूब कर ही तैरना सीखा है। जो देखना चाहते हैं गम-ए-हयात में मुझे डूबता हुआ उनको बता दूँ इसी समुद्र में विजय की नौका पर हर मंजिल फ़तह करना सीखा है। जो देखना चाहते हैं मुझे दूसरों के आगे नत हुआ उनको बता दूँ माँ काली के आगे सिर झुका कर ही सिर उठाकर जीना सीखा है। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
पुनःस्मृति
कविता

पुनःस्मृति

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** मेरी हर बात में तुमको मेरी हर मुलाकात याद आएगी। मेरी हर मुलाकात में तुमको मेरी हर मुस्कुराहट याद आएगी। मेरी हर मुस्कुराहट में तुमको मेरी हर पुकार याद आएगी। मेरी हर पुकार में तुमको मेरी हर आह याद आएगी। मेरी हर आह में तुमको मेरी हर चाह याद आएगी। मेरी हर चाह में तुमको प्रेम की नई राह याद आएगी। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्री...
ज़िंदगी तेरा कोई पता नहीं
कविता

ज़िंदगी तेरा कोई पता नहीं

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** ज़िंदगी तेरा कोई पता नहीं कब आती हो और कब चली जाती हो। लोग सोचते हैं शायद किसी का कसूर होगा मगर आती हो तो हज़ारो बेकसूरों को भी अपने साथ ले जाती हो। कोई तड़फता है अपनों लिए कोई रोता है औरों के लिए पर तुम छोड़ती नहीं किसी को भी अपने साथ ले जाने को। जब मरता है कोई एक तो अफ़सोस-ऐ-आलम कहते है सब पर जब मरते है हज़ारों तो ख़ौफ़-ऐ- क़यामत कहते हैं सब। तू भी कभी तड़फती रूहों को अपने गले लगाए ज़रा रोए कर मरते हुए किसी चेहरें को खिल-खिला कर ज़रा हँसाए कर। मानता हूँ की ख़ौफ़ तेरे रोम-रोम में बसा हैं फिर भी किसी मरते हुए इंसा के माथे को चूम ज़रा-ज़रा सा मुस्काया कर। ज़िंदगी तेरा कोई पता नहीं कब आती हो और कब चली जाती हो। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम...
अनंत सनातन
कविता

अनंत सनातन

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** दिन बीत जाते हैं मगर नहीं बीतता वह लम्हा जो हमें अपने ईश के समीप ले जाता है। अवधि बीत जाती है मगर नहीं बीतता वह पल जो हमें जड़ता से चेतन की ओर सदा के लिए ले जाता है। समय बीत जाता है मगर नहीं बीतता वह क्षण जो हमें शाश्वत के करीब ले जाता है। वक़्त बीत जाता है मगर नहीं बीतता वो निमिष जो हमें अविनाशी के निकट ले जाता है। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्...