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Tag: नितेश मंडवारिया

माँ से बोली आयु
कविता

माँ से बोली आयु

नितेश मंडवारिया नीमच (मध्य प्रदेश) ******************** बोली माँ से नन्ही आयु रख लो वापस पूरी-आलू लो खिचड़ी भी तुम ही खा लो रखो यहाँ मत दाल उठा लो सेब न मुझको कुछ भाता है यह सब कौन है जो खाता है बनो न मेरी नानी मम्मी ले जाओ बिरयानी मम्मी कहाँ पुलाव मैं खा पाती हूँ बस भूखी ही रह जाती हूँ सुन कर बोली मम्मी प्यारी गलत है बिटिया रानी बात तुम्हारी बच्चे सब कुछ जो खाते है वे सेहतमंद रह पाते है बड़ी हो तुम यह बात पता है नहीं दूध में सारी गिजा है। परिचय :- नितेश मंडवारिया निवासी : नीमच (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय ह...
यादगार जन्मदिन
बाल कहानियां

यादगार जन्मदिन

नितेश मंडवारिया नीमच (मध्य प्रदेश) ******************** विदिशा अपना पांचवा जन्मदिन मनाने छुट्टियों में नानाजी के घर वाराणसी आयी हुई थी। जब वह धूल से खेलती तो माँ आकांक्षा उसे मना करती, वह दौड़ते हुए नानाजी के पास जाती और शिकायत करती देखिए नानाजी, माँ मुझे खेलने नहीं देती। नानाजी नाराजगी जताते कहते आकांक्षा! क्यों मना करती? खेलने दो। यह सुनकर विदिशा खुश हो जाती और खेलने निकल जाती। कभी मौसी प्रज्ञा के साथ बिल्ली के म्याऊं म्याऊं की नक़ल करती, तो कभी मामा नितेश और वैभव के साथ पकड़म पकड़ाई खेलती। तो कभी परनानी को कहती कहानी सुनाओ। तो कभी परनाना के कंधो पर जा बैठती। तो कभी नानी को कहती मंदिर घुमाने चलो। नानाजी ने शाम को भजन संध्या रखी, धूमधाम से विदिशा का जन्मदिन मनाया। इस प्रकार छुट्टियों के बीतते देर न लगी और जाने का दिन आ गया। घर से जाने वाले दिन वह कहने लगी नानाजी, आप भी मेर...
विदिशा का जन्मदिन
लघुकथा

विदिशा का जन्मदिन

नितेश मंडवारिया नीमच (मध्य प्रदेश) ******************** विदिशा आज बहुत खुश थी। उसका चौथा जन्मदिन जो था। शाम को उसके दोस्त घर पर आने वाले थे। मां आकांक्षा ने मटर पनीर, पराठे, पकौड़े और खीर की तैयारी कर ली थी। वह अपनी ही दुनिया में मस्त थी। तभी उसके पापा आशीष ने आवाज़ लगाई, बिटिया रानी नहा-धोकर तैयार हो जाओ। पहले मंदिर फिर बाजार चलेंगे। विदिशा ने शीघ्र ही तैयार होकर हर वर्ष की तरह दादा-दादी के पांव छुए। फिर खुशी से उछलते हुए पापा-मम्मी के साथ चली गई। खरीदारी हो जाने के बाद वे केक और चॉकलेट की दुकान पर पहुंचे। विदिशा की पसंदीदा चॉकलेट की तरफ इशारा करते हुए आशीष ने दुकानदार से उसे पैक करने के लिए कहा पर, नहीं अंकल, उसे नहीं पैक करना सुनकर आकांक्षा चौंक गई और विदिशा से कहा, पर बेटा वह तुम्हारी फेवरिट चॉकलेट है पिछली बार भी तुमने अपने दोस्तों को वही चॉकलेट दी थी। पर इस बार नहीं ...
पताका मेरी शान है
कविता

पताका मेरी शान है

नितेश मंडवारिया नीमच (मध्य प्रदेश) ******************** पताका देश की शान है, भारत की पहचान है, लहर-लहर लहराये ये, हम सब का अरमान है। बढ़ाये ताकत वीर की, वसुमती की आन है, पहुँचा है समुन्नति पर, ये छूता आसमान है। भिन्न-भिन्न धर्म, जाति, संप्रदाय, भाषा का सम्मान है, मसीहा है, खुदा है और यही तो भगवान है। इसमें हमारी धड़कने, ये देश का अभिमान है, राष्ट्रगान का ज्ञान है, ध्यान का संधान है। मातृभूमि में शांति लाने को, होता लहूलुहान है, नील अंबर में लहराने का, यही इसे वरदान है। यहीं सवेरा है, साँझ भी, इसके तले जहान है, ये तीन रंग माँ शारदा के, मान का परवान है। देश के इस पताका की, आजादी ही मुस्कान है, पताका प्यारा, माटी प्यारी, प्यारा हिंदुस्तान है। परिचय :- नितेश मंडवारिया निवासी : नीमच (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता ...
रिटायरमेंट
लघुकथा

रिटायरमेंट

नितेश मंडवारिया नीमच (मध्य प्रदेश) ******************** रिटायरमेंट के बाद खुद से सम्मुख होने का मौका मिला। जिंदगी बेफिक्री से उनके कंधे पर सर रख कर थकान मिटा रही थी... रिटायरमेंट के बाद मंडवारिया जी एक दम फ्री हो गए थे। बच्चों की शादियां कर दी थीं। बस एक सपना था कि रिटायरमेंट के बाद मिले पैसों से पत्नी को विदेश की सैर करवानी है। सो टिकट ऑनलाइन बुक करवाया। स्विट्ज़रलैंड में होटल बुक करवाया। बच्चों को पहले ही खबर कर दी थी। बच्चे खुश थे कि पापा अब तो अपनी जिंदगी मम्मी के साथ खुल कर जिएं। आखिर वो दिन भी आ गया। पहली बार हवाई जहाज में सफर करने का मौका मिला। नौकरी के दौरान जिम्मेदारी के बोझ ने कभी जिंदगी को खुल के जीने का मौका ही नहीं दिया। कभी होम लोन, कभी बच्चों की पढ़ाई तो कभी बच्चों की शादी की चिंता। पत्नी की दबी हुई आकांक्षाए मन में घुटती रहीं। कभी कोई शिकायत नहीं की। बस पति,...
रिश्ते
कविता

रिश्ते

नितेश मंडवारिया नीमच (मध्य प्रदेश) ******************** रिश्ते अपने रिश्तों से दूर होने लगे है, क्यों लोग इस कदर मजबूर होने लगे हैं। दुश्मनो से दोस्त कर रहें है इल्तजा, कपटहीन चेहरे कितने मगरूर होने लगे है। ज़माने का कैसा हो गया मिजाज, भ्रातृ भाव कितने बेनूर होने लगे है। आजमा कर देख निर्दय ज़माने को, चेहरे पर कई चेहरे जरुर होने लगे है। रिश्ते,नाते सब विचित्र मायाजाल, पैसे ही चेहरों के नूर होने लगे है। चाह न रख स्वर्णिम पंखो की अब, सारे सपने अब चूर चूर होने लगें है। तंगहाली, कविता हमारी हमसफर, अल्लाह के करम, पुरनूर होने लगें हैं। परिचय :- नितेश मंडवारिया निवासी : नीमच (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि रा...
हौंसला मेरा बढ़ाओ जरा
कविता

हौंसला मेरा बढ़ाओ जरा

नितेश मंडवारिया नीमच (मध्य प्रदेश) ******************** हौंसला मेरा बढ़ाओ जरा, तुम मेरे साथ आओ जरा दुश्मनों से तो मार खाए नहीं, दोस्तों को भी आजमाओ जरा मार डालेगी वरना जहनी शिकन, होश में हूं, और थोड़ा पिलाओ जरा कौन अपना है कुछ पता तो चले, शम्मा कुछ देर बुझाओ तो जरा दिल में महसूस धड़कने होंगी, हाथ संजीव से मिलाओ तो जरा हम तो तैयार ही बैठे हैं, हो सके यारों, गले लगाओ जरा आस्तीन में छुपा के रखते हो, दोस्तों मौका है, चलाओ तो जरा परिचय :- नितेश मंडवारिया निवासी : नीमच (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच...
एक कदम
कविता

एक कदम

नितेश मंडवारिया नीमच (मध्य प्रदेश) ******************** सुनो-सुनो-सुनो, ध्यान लगाकर सुनो। स्वच्छ भारत का सपना था, गांधी जी के ध्यान में।। स्वच्छ रहो-स्वच्छ रहो, गांधीजी के पथ पे चलो। भवन-गली या मोहल्ला, कही भी ना हो कचरे का हल्ला। हम सबको आगे आना है स्वच्छता को अपनाना है।। पर्यावरण को बचाना है, कूड़ा-करकट गंदगी को हटाना है। सुनो-सुनो-सुनो, ध्यान लगाकर सुनो। विद्यालय-मंदिर हो या सार्वजनिक क्षेत्र, सबको साफ रखना है। हर घर आंगन को चमकाना है, स्वच्छता को अपनाना है।। हर घर जन्मोत्सव पर एक पेड़ लगाना है। प्रकृति को बचाना है, पॉल्यूशन को हटाना है।। सुनो-सुनो-सुनो, ध्यान लगाकर सुनो। हर घर शौचालय का करे उपयोग, बच्चे-बूढे और जवान। हम सबको बात समझनी है, भयंकर बीमारियों से बचना है।। स्वच्छ रहो-स्वच्छ रहो, गांधीजी के पथ पे चलो। हम सबको प्रतिज्ञा...