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Tag: पं. भारमल गर्ग “विलक्षण”

प्रेम का दोष …?
आलेख

प्रेम का दोष …?

पं. भारमल गर्ग "विलक्षण" जालोर (राजस्थान) ******************** यदि मेरा हृदय किसी से अनजाने में, अनचाहे, पर अटूट प्रेम कर बैठता, और मैं उस प्रेम को केवल इसलिए कुचल देता क्योंकि वह समाज की निर्धारित सीमाओं के भीतर नहीं था? नहीं... मैं उस प्रेम को स्वीकार कर लेता। उस आकर्षण को, उस आत्मीयता को, उस जीवन भर के साथ का वचन देने वाले भाव को, विवाह के पवित्र बंधन में बाँध लेता। किन्तु यह कल्पना मात्र ही रोमांच उत्पन्न कर देती है। क्योंकि मेरा यह निर्णय, जो मेरे और मेरे प्रेमी/प्रेमिका के लिए जीवन की नई प्रभात होता, वही समाज के एक वर्ग के लिए काली घटा बनकर आता। और इस काली घटा के तले सैकड़ों जीवन नष्ट हो जाते- कोई अपने सम्मान के नाम पर आत्मघात कर लेता, तो कोई कथित 'सम्मान' बचाने के नाम पर हिंसा की भेंट चढ़ जाता। यह कोई अतिशयोक्ति नहीं, यह भारतीय समाज के उस क्रूर यथार्थ का काला पक्ष है जहाँ '...