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Tag: प्रीतम कुमार साहू

गजानंद स्वामी
आंचलिक बोली, भजन

गजानंद स्वामी

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** छत्तीसगढ़ी रिद्धी सिद्धि के तै स्वामी, तोरेच गुन ल गावत हँव ! सजे सिहासन आके बइठो,पँवरी म माथ नवावंत हँव !! हे गणपति, गणनायक स्वामी, महिमा तोर बड़ भारी हे ! माथ म मोर मुकुट सजत हे, मुसवा तोर सवारी हे !! साँझा बिहिनिया करँव आरती, लडवन भोग लगावंत हँव ! सजे सिहासन आके बइठो, पँवरी म माथ नवावंत हँव !! माता हवय तोर पारबती अउ पिता हवय बम भोला ! दिन दुखियन के लाज रखौ, बिनती करत हँव तोला !! पान-फूल अउ नरियर भेला, मै हर तोला चघावंत हँव ! सजे सिहासन आके बइठो, पँवरी म माथ नवावंत हँव !! अंधरा ल अखीयन देथस अउ बाँझन ल पुत देवइयाँ बल,बुद्धी के तै हर दाता, सबके बिगड़े काम बनइयाँ !! हे गणराज, गजानंद स्वामी मै हर तोला मनावंत हव ! सजे सिहासन आके बइठो, पँवरी म माथ नवावंत हँव !! परिचय :- प्रीतम कुमार साह...
तिहार तीजा पोरा
आंचलिक बोली, कविता

तिहार तीजा पोरा

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** छत्तीसगढ़ी कविता भादों महीना के तिहार तीजा पोरा! दाई, बहिनी मन ल रहिथे अगोरा! बछर म आथे बेटी माइ के तिहार, मइके जाए के करत रहिथे जोरा!! बरसत पानी करिया बादर छाय हे! भाई ह बहिनी ल तीजा ले आए हे! दाई के मया अउ ददा के दुलार ल, ठेठरी, खुरमी संग म धर के लाए हे!! भाई ल देख के बहिनी मुसकावत हे! मने मन म मइके ल सोरियावत हे! ले अब सुरु होगे तीजा के तियारी हे, गुलगुला भजिया, अइरसा बनावत हे!! मइके आके सुख दुख गोठियावत हे! जम्मों तिजहारिन करू भात खावत हे! नीरजला उपास रहे जम्मों उपासनिन, भोला शंकर कना माथ ल नवावत हे!! परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। ...
कर्म से किस्मत
कविता

कर्म से किस्मत

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** जंग अपनी थी जंग लड़े हम लड़ के खुद सम्हल गए हम..!! दर्द था दिल में जताया नहीं अश्क आँखों से बहाया नहीं..!! राहें अपनी खुद गड़कर हम बाधाओं से खुद लड़कर हम..!! लक्ष्य मार्ग पर बढ़कर हम सफल हुए मेहनत कर हम..!! किस्मत पर भरोसा किए नहीं कर्म से किस्मत लिखें हम..!! परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, ...
वीर सपूत
कविता

वीर सपूत

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** आजादी के वीरों सपूतों का, आओ यश गान करें! श्रद्धा, सुमन अर्पित कर, उनका हम सम्मान करें !! कतरा कतरा खून देकर, जो देश बचाया करते है..! ऐसे वीर सपूतों का, हम सब यश गाया करते है !! घर से दूर सरहद में रहकर, देश का गान करते है! सर्दी, गर्मी, बरसात सहकर, तिरंगे की मान रखते है !! दुश्मनों से लड़ते-लड़ते, जो वीर गति को पाते है! ऐसे वीर सपूत जग में, मरकर अमर हो जाते हैं..!! आओ मिलकर देशहित में, कुछ अच्छा काम करें! पेड़ लगाकर धरती में, वीरों के हम नाम करें..! राष्ट्रहित में मर मिटने को जीवन अर्पण करते है ! ऐसे वीर सपूतों का हम, शत-शत वंदन करते है..!! परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह र...
राखी तिहार
आंचलिक बोली

राखी तिहार

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** छत्तीसगढ़ी कविता भाई बहिनी के सुग्घर मया दुलार! आगे संगी राखी पुन्नी के तिहार!! भाई हर बहिनी के करत हे अगोरा! बहिनी हर राखी के करत हे जोरा !! भाई के मया बहिनी ला बलावत हे!! राखी बांधे के बहिनी सुध लमावत हे! लाल, हरियर, न पिऊरा राखी बिसावत हे! भाई-बहिनी के मया पलपलावत हे!! गुलाल, चंदन ले बहिनी थारी सजाइस! आरती उतार के चंदन चोवा लगाइस!! राखी पहिरा के मिठाई ल खवावत हे! बहिनी हर भाई ले आशीर्वाद पावत हे!! राखी तिहार ला जूरमिल मनावत हे! सुख दुख के गोठ ल गोठियावत हे!! बहिनी कहिस चल मोला घर जाना हे! अवइया बछर लहूट अउ आना हे…!! परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित ए...
महादेवा
भजन

महादेवा

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** छत्तीसगढ़ी भाषा में भजन काल के महाकाल कहावय, शिव शंकर महादेवा भक्तनमन के भाग जागे जेन करे तोर सेवा। अंग म राख, भभूत चुपरे बईला म करें सवारी भूत, प्रेत अउ मरी मसान जम्मों तोर संगवारी।I दानी नइ हे तोर असन कस हे सम्भू त्रिपुरारी कतका तोर जस ल गावँव महिमा हे बड़भारी।I गंगा हर तोर जटा म साधे, कहाय तै जटाधारी बघुवा के तै खाल पहिरे जय हो डमरूधारी।I गणेश, कार्तिक तोर लाल कहावय पार्वती सुवारी तोर पउँरी म माथ नवावँय जम्मो नर, नारी।I असुर मन कतकोंन छलिस तोला सिधवा जान हलाहल के पान करइय्या नीलकंठ भगवान।I परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। ...
सावन महीना
आंचलिक बोली, कविता

सावन महीना

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** छत्तीसगढ़ी कविता सावन महीना बड़ मन भावन सबो के मन ल भावत हे! हरियर-हरियर खेत दिखत हे कोयली गीत सुनावत हे !! झरझर-झरझर पानी गिरइ तरिया डबरी लबलबावत हे! खोचका, डबरा पानी भरगे मेचका हर घलो मेछरावत हे !! किसानमन के दिनबादर आगे किसानी गोठ गोठियात हे! करे बियासी नांगर धोवय जुरमिल हरेली जबर मनावत हे!! सावन सोमवारी रहे उपवास शिवभोला के गुण गावत हे! बेल, धतुरा, नरियर धरे शिव भोला म पानी रितोवत हे !! बोलबम के जयकारा लगावत कांवरिया मन ह जावत हे! सावन महीना बड़ मन भावन सबो के मन ला भावत हे!! परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप...
रुख लगावव… रुख बचावव…
आंचलिक बोली, कविता

रुख लगावव… रुख बचावव…

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** छत्तीसगढ़ी कविता रुख लगावव, रुख बचावव बारी बखरी खेत खार म, बंजर धरती अउ कछार म, जुरमिल के जम्मों संगवारी, सुग्घर रुख राई लगावव..!! रुख राई के अब्बड़ महत्ता औषधि गुन ले भरे हवय ! फर, फूल अउ शुद्ध हवा, रुख-राई ले मिलत हवय..!! रुख बिना जिनगी अबिरथा, रुख म जिनगी समाय हवय ! झन कांटो रुख-राई ल संगी, जिनगी के इही आधार हरय !! काँट काँट के जम्मों रुख राई, चातर झन कर भुइयाँ ला ! आज लगाबे ता काली पाबे, सुग्घर रुख-राई के छइयाँ ला !! रुख हावय त जिनगी हावय, सिरतोन कहे हे सियानमन ! रुख लगाबोन, रुख बचाबोन ए कसम खावव मनखेमन !! चारों कोती रुख-राई लगाके, धरती ल हरियर बनावव जी ! रुख लगाके रुख ल बचावव, ए धरती के मान बढा़वव जी!! परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला...
अन्नदाता
आंचलिक बोली, कविता

अन्नदाता

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** छत्तीसगढ़ी कविता नांगर, बईला धरे तुतारी खेत खार जेकर संग वाली ! उठथ बिहनिया जावत खेत, भूख पियास हरागे चेत !! धरती ल लागिस पियास, सुन गोहार आइस आगास ! टरर-टरर मेचका नरियाय मोर, पपिहा, कोयल गावय !! गड़-गड़-गड़-गड़ बादर गरजे झर-झर-झर पानी बरसे ! हरियर-हरियर धरती होगे, तरिया डबरी लबालब होंगे !! खेत जोत के बोइस धान, धरती दाई के राखिस मान ! रेगड़ा टूटत मेहनत करथे घाम पियास सबो ल सहिथे !! जावय खेत किसनहा बेटा, धरे चतवार निकालय लेटा ! खेत जोत के फसल उगावत हरियर धरती के गुनगावत !! बन बुटा के निदाई करथे, गाय गरु ले फसल ल बचाथे ! जम्मो झन के भूख मिटाथे अन्नदाता वो हर कहलाथे !! परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित...
छत्तीसगढ़ी भाखा
आंचलिक बोली, कविता

छत्तीसगढ़ी भाखा

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** छत्तीसगढ़ी भाखा छत्तीसगढ़ के तँय रहवईया, छत्तीसगढ़ी नइ गोठियावस अड़बड़ पढ़े लिखें हँव कहिके काबर तँय अटियाथस।। अपन बोली, अउ भाखा बर, काबर मरथस् लाज सरम छत्तीसगढ़िया तँय संगवारी कर ले सुग्घर बने करम।। अपन भाखा ल छोड़ के पर के भाखा गोठियावत हस छत्तीसगढ़ी बोली भाखा के तनिक गुन नइ गावत हस।। अपन राज, अपन भाखा के जम्मों झन राखव मान जी छत्तीसगढ़ी बोली भाखा इहि भाखा हमर पहिचान जी।। हमर भाखा छत्तीसगढ़ी संगी, सबों भाखा ले बढ़िया जी तभे तो कहे जाथे संगी, छत्तीसगड़िया सबले बढ़िया जी।। परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, ...
स्कूल चले हम
बाल कविताएं

स्कूल चले हम

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** स्कूल जाते हँसते गाते, वह दिन आने वाली है ! बीत गई गर्मी की छुट्टी, स्कूल खुलने वाली है।। स्कूल जाते पढ़ने को हम, लेकर कापी पुस्तक पेन ! घर से स्कूल जाने को हम, राह देखते स्कूल वेन।। हम पहुंचे स्कूल बन-ठन, बज गई घंटी टन-टन ! सुन आवाज घंटी की हम, प्रार्थना में खड़े हो गए हम।। जन-गण-मन का गायन कर, सुविचार का वाचन कर ! पीछे हाथ बांध कर हम, कक्ष प्रवेश, कर गए हम।। परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष...
पिता हूँ… पिता का दर्द जानता हूँ …
कविता

पिता हूँ… पिता का दर्द जानता हूँ …

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** पिता हूँ, पिता का दर्द जानता हूँ ! गम छिपाकर मुसकुराने का मर्म जानता हूँ..!! छाले हो पांव में कोई गम नहीं ! कंधे पर बैठाकर दुनिया घुमाना जानता हूँ..!! जिम्मेदारियों ने जकड़ लिए है पर मेरे ! वरना ख्वाबों के शहर में उड़ना जानता हूँ..!! अपनों की खुशी और अपनों का प्यार ! यही जिंदगी का मकसद मैं भी जानता हूँ..!! मुफ्त में मिल जाएंगे नसीहते हजार ! अच्छी जिंदगी जीने का हर राज जानता हूँ..!! जी रहे है हम भी बेहतर जिंदगी ! पर पिता हूँ, पिता का हर फर्ज जानता हूँ…!! परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख,...
पिताजी
कविता

पिताजी

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** मेरे लिए आन बान, शान है पिता धरती का साक्षात भगवान है पिता..!! सब रिश्तों का एक मिसाल है पिता अपनों के लिए बनते ढाल है पिता..!! छाले हो पांव में नहीं दिखाते है पिता कंधे पर बैठाकर भी घुमाते है पिता..!! पैरो पर खड़ा होना सिखाते है पिता सही, गलत का राह दिखाते है पिता..!! जिम्मेदारियों का बोझ उठाते है पिता गम सहकर भी मुसकुराते है पिता..!! अपनो कि हर चाह पूरी करते है पिता दो में से दो रोटी देना जानते है पिता..!! भूखा रहकर बच्चों को खिलाते है पिता जिंदगी जीना बच्चों को सिखाते है पिता..!! डगमगाते कश्ती का खेवनहार है पिता बच्चों के लिए मानो पूरा संसार है पिता..!!! परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जा...
घाम पियास के दिन आगे
आंचलिक बोली, कविता

घाम पियास के दिन आगे

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** (छत्तीसगढ़ी कविता) लकलक-लकलक घाम करत हे। घाम पियास म मनखे मरत हे। काटें काबर रुख-राई ल संगी, ताते-तात आज हवा चलत हे..!! बर पिपर के छईयाँ नंदागे । बिन छईयाँ के चिरई भगागे। आगी अँगरा कस भुइयाँ लागे, भोंमरा जरई म गोड़ भुंजागे.!! रुख राई के लगईया सिरागे। डारा पाना सबो हवा म उड़ागे। घाम पियास ले सबला बचइया, हरियर धरती घाम म सुखागे…!! जंगल झाड़ी रुख राई कटागे। तरिया डबरी के पानी अटागे। पसीना चुचवाय के दिन आगे, खोधरा छोड़ के चिरई भगागे। परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्...
जंगल हमर जिनगानी आय…
आंचलिक बोली, कविता

जंगल हमर जिनगानी आय…

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** (छत्तीसगढ़ी कविता) जंगल के महत्तम ल जम्मों झन जानत हव। फेर जंगल ल काटे बर लाहो काबर लेवत हव।। बेंदरा, भालू, हिरन के घर ल काबर उजारत हव। घर म गुस के, घर ले बाहिर काबर करत हव।। काकर बुध म आके तुमन जहर ल बाँटत हव। हरियर हरियर रुख राई ल काबर काटत हव।। जीव-जन्तु के पीरा तुमन काबर नइ सुनत हव। अपने मन के तुमन काबर मनमानी करत हव।। छानी म चड के तुमन काबर होरा भुंजत हव। जंगल काटे के उदिम तुमन काबर करत हव।। आवँव संगी मिल जुर के वनजीव ल बचाबोन। जिनगी के आधार जंगल के मान बड़हाबोन।। परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहान...
होरी के सुरता
आंचलिक बोली, कविता

होरी के सुरता

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** (छत्तीसगढ़ी कविता) आगे फागुन महीना संगी होरी के सुरता आवत हे गुदुम गुदुम ऩंगारा बाजय मन ह मोर गाँवत हे।। रंग गुलाल हाथ म धर के किसन खेलत हे होरी नाँचत गावँत अउ झुँमत हवय संग म राधा गोरी।। ललहु, हरियर अउ पिवरा स़ंग हाथ धरे पिचकारी मया पिरीत के रंग म रंगे जम्मों संगी संगवारी।। लइका, सियान, बुढ़वा जवान जम्मो डंडा नाँचत हे टोपी, चश्मा, मुखौटा पहिरे नंगत बाजा बजावत हे।। भाँग पिये मतवना खाय फागुन के गीत गाँवत हे करिया, बिलवा, ललहु दिखय, पहिचान नइ आवत हे।। परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष...
बहुत खुश है हम
कविता

बहुत खुश है हम

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** पास आकर बैठो तो बताएंगे अपना गम दूर से पूछोगे तो कहेंगे बहुत खुश है हम..!! चार पैसे कमाने गांव से शहर आ गए, अपने ही घर से मानो बेघर हो गए हम..!! घर की तलाश में घर छोड़ आए है हम, गांव गली घर से रिश्ता तोड़ आए हम..!! लोगों की नजरों में अब अनजान बन गए अपने ही घर में हम मेहमान बन गए..!! चार पैसे कमाने दर-दर भटकते रहे हम कभी ख़ुशी कभी गम का घूंट पीते रहे हम..!! शहरों तक नहीं आती  मिट्टी की खुशबू, गाँव की मिट्टी से बहुत दूर आ गए हम..!! न गाँव के रहे अब ना शहर के रहे हम अपने बिना शहरों में भटकते रह गए हम..!! होंठों पे मुस्कान पर अब आँखे है क्यों नम पास आकर बैठो तो बताएंगे अपना गम..!! परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे ...
हो जाओ तैयार साथियों
कविता

हो जाओ तैयार साथियों

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** हो जाओ तैयार साथियों अब परीक्षा की बारी है लक्ष्य भेद कर दिखलाओ कौन किस पर भारी है !! मुश्किलों से लड़कर तुम्हें लक्ष्य मार्ग पर बढ़ना है छोड़ आलस का दामन रगो में साहस भरना है !! कर्म से किस्मत लिखने की अब तुम्हारी बारी है हो जाओ तैयार साथियों अब परीक्षा की बारी है !! सफलता नहीं मिल जो किस्मत पर भरोसा करते है मंजिल उन्हें मिलती जो दिन-रात मेहनत करते है !! मेहनत करने वालों पर ही सफलता बलिहारी है हो जाओ तैयार साथियों अब परीक्षा की बारी है !! परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष...
महादेवा
स्तुति

महादेवा

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** (छत्तीसगढ़ी स्तुति) काल के महाकाल कहावय शिव शंकर महादेवा भक्तनमन के भाग जागे जेन करे तोर सेवा ।। अंग म राख, भभूत चुपरे बईला म करें सवारी भूत,प्रेत अउ मरी मसान जम्मों तोर संगवारी।I दानी नइ हे तोर असन कस हे सम्भू त्रिपुरारी कतका तोर जस ल गावँव महिमा हे बड़भारी!! गंगा हर तोर जटा म साधे, कहाय तँय जटाधारी बघुवा के तँय खाल पहिरे जय हो डमरूधारी !! गणेश अउ, कार्तिक लाल कहावय पार्वती सुवारी तोर पउँरी म माथ नवावँय जम्मो नर अउ, नारी !! असुर मन कतकोंन छलिस तोला सिधवा जान हलाहल के पान करइय्या नीलकंठ भगवान !! परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप...
शिक्षादाता
कविता

शिक्षादाता

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** हाथ पकड़कर जिस गुरुवर ने, लिखना हमें सिखाया जीवन पथ पर कैसे चलना चलकर हमें दिखाया।। कैसे भूलूँ उस गुरुवर को, कभी हार न माना होगा क्षमा कर गलतियों को जिसने काबिल हमें बनाया।। सही गलत का ज्ञान कराकर, सत्य मार्ग बतलाया कैसे जीना हमें चाहिए जी कर हमें दिखलाया।। शिक्षा, और संस्कार के दाता, हमारे भाग्य विधाता अज्ञानता को दूर भगाकर ज्ञान का दीप जलाया।। सफलता के राह पर चलकर सच का राह दिखाया मिलती नहीं मंजिल तब तक चलना हमें सिखाया।। थककर कभी बैठ न जाना, मंजिल की इन राहों पर कठिनाइयों से लड़कर आगे बढ़ना हमें सिखलाया।। परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। ...
गजानंद स्वामी
आंचलिक बोली, भजन

गजानंद स्वामी

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** रिद्धी-सिद्धि के तै स्वामी, तोरेच गुन ल गावत हँव सजे सिहासन आके बइठो, पँवरी म माथ नवावंत हँव !! हे गणपति, गणनायक स्वामी, महिमा तोर बड़ भारी हे माथ म मोर मुकुट सजत हे, मुसवा तोर सवारी हे !! साँझा बिहिनिया करौव आरती, लाड़ु भोग लगावंत हँव सजे सिहासन आके बइठो, पँवरी म माथ नवावंत हँव !! माता हवय तोर पारबती अउ पिता हवय बम भोला दिन दुखियन के लाज रखौ, बिनती करत हँव तोला !! पान, फूल अउ नरियर भेला, मै हर तोला चघावंत हँव सजे सिहासन आके बइठो, पँवरी म माथ नवावंत हँव !! अंधरा ल अखीयन देथस अउ बाँझन ल पुत देवइयां बल, बुद्धी के तै हर दाता, सबके बिगड़े काम बनइयां ।। हे गणराज, गजानंद स्वामी मै हर तोला मनावंत हँव सजे सिहासन आके बइठो, पँवरी म माथ नवावंत हँव !! परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्ष...
आजादी के वीर सपूत
कविता

आजादी के वीर सपूत

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** आजादी के वीरों सपूतों का, आओ यश गान करें! श्रद्धा, सुमन अर्पित कर, उनका हम सम्मान करें !! कतरा कतरा खून देकर, जो देश बचाया करते है..! ऐसे वीर सपूतों का, हम सब यश गाया करते है !! घर से दूर सरहद में रहकर, देश का गान करते है! सर्दी, गर्मी, बरसात सहकर, तिरंगे की मान रखते है !! दुश्मनों से लड़ते-लड़ते, जो वीर गति को पाते है! ऐसे वीर सपूत जग में, मरकर अमर हो जाते हैं..!! आओ मिलकर देशहित में, कुछ अच्छा काम करें! पेड़ लगाकर धरती में, वीरों के हम नाम करें..! राष्ट्रहित में मर मिटने को जीवन अर्पण करते है ! ऐसे वीर सपूतों का हम, शत-शत वंदन करते है..!! परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह र...
इश्क में वक्त बेकार न कर
कविता

इश्क में वक्त बेकार न कर

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** लेकर हाथों में लाल गुलाब न चला कर ! दिल की बात दिल में रख न जला कर !! नजरें मिला के यूँ नजरें ना झुकाया कर ! इश्क है हमसे तो लफ्जों में बयां ‌‌ कर !! हम तेरे दीदार को तड़पते है रात दीन ! आसमां में चांद सा यूँ ना छिप जाया कर दिल की बात दिल में ना दबा के रख ! शिकायत है मुझसे तो सरे आम कहा कर बेवजह मेरे ख्वाबों में तू  न आया कर ! चैन से सोने दे नींद से न जगाया कर !! मुलाक़ात करना है तो मिलो हमसे आकर दरवाजा खुला है घर में आ जाया कर !! इश्क नहीं है तो इश्क का इजहार न कर वक्त कीमती है! मुहब्बत में बेकार न कर लाखों अजमा चुके है किस्मत इश्क कर ! खाकर ठोकर संभल चुके है लोग इश्क कर परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्...
अब इम्तिहान की बारी है
कविता

अब इम्तिहान की बारी है

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** हो जाओ तैयार साथियों, अब इम्तिहान की बारी है। लक्ष्य भेद कर दिखला दो, कौन किस पर भारी है !! मुश्किलों से लड़ककर तुमको, लक्ष्य मार्ग पर बढ़ना है..! छोड़ आलस का दामन तुमको रगो में साहस भरना है..!! कर्म से किस्मत लिखने की अब तुम्हारी बारी है..! हो जाओ तैयार साथियों अब इम्तिहान की बारी है..!! सफलता नहीं मिलती उनको, जो किस्मत पर भरोसा करते है..! मंजिल उन्हीं को मिलती है, जो दिन रात मेहनत करते है..!! मेहनत करने वालों पर हीं, सफलता बलिहारी है..! हो जाओ तैयार साथियों, अब इम्तिहान की बारी है..!! परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी...
सीखो
कविता

सीखो

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** खुद की लड़ाई खुद लड़ना सीखो खा कर ठोकर सम्हलना सीखो..!! खुशी और गम आएंगे जिंदगी मे स्वीकार दोनों को करना सीखो..!!1 नदियों सा हर दम बहना सिखों सूरज की तरह निकलना सीखों..!! थककर ना बैठ मंजिल के मुसाफिर मंजिल की राह पर चलना सीखों..!! मुश्किलों से डटकर लड़ना सीखों पाने के लिए कुछ करना सीखों..!! बिन मेहनत के नहीं मिलता कुछ मेहनत पर भरोसा करना सीखों..!! परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर ...