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Tag: प्रीतम कुमार साहू ‘गुरुजी’

जाड़ के दिन आगे
आंचलिक बोली

जाड़ के दिन आगे

प्रीतम कुमार साहू 'गुरुजी' लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** (छत्तीसगढ़ी कविता) कथरी कमरा साल ओढे लदलद जाड़ जनावय जी सरसर सरसर हवा धुकत हे जाड़ के दिन आगे जी अघन पुश के जाड़ म संगी दांत हर कटकटाथे जी मुहु डहर ले कुहरा निकले गरम जिनिस सुहाथे जी सांझा बिहिनिया सित बरसे घाम तापे बर जिवरा तरसे चारो कोती कुहरा छागे जाड़ मा सब मनखे जडा़गे बार के अंगेठा अउ भुर्रि ला मनखेमन आगी तापे जी सेटर मफलर साल ओढ़े गोरसी मा आगी तापे जी जेन घाम हर गरमी म सबो ला टोरस लागय जी आज जाड़ म उही घाम हर सबो ला घाते सुहावय जी परिचय :- प्रीतम कुमार साहू, गुरुजी (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।...
गाँधी जी
कविता

गाँधी जी

प्रीतम कुमार साहू 'गुरुजी' लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** सत्य अहिंसा के पुजारी हिंसा के वो खिलाफ थे अपनी बात मनवाने का उनका अलग अंदाज थे..!! वकालत की नौकरी छोड़ विदेश से वतन को आए गुलामी की जंजीर तोड़ने संघर्ष का मार्ग अपनाए..!! तन मन धन,समर्पण कर, जीवन अपना,अर्पण कर.. नमक कानून तोड़ दिए, गाँधी जी नमक बनाकर…!! विदेशी वस्त्र को जलाकर, खादी वस्त्र को अपनाकर. अंग्रेजों को विवश कर दिया, आमरण अनशन चलाकर.!! परिचय :- प्रीतम कुमार साहू, गुरुजी (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, रा...
दुर्गा दाई
आंचलिक बोली, कविता

दुर्गा दाई

प्रीतम कुमार साहू 'गुरुजी' लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** सगा बरोबर तँय ह दाई आथस चइत कुंवार म चउँक पुरा के दियना जलाएँव गली खोर दुवार म !! नव दिन बर तँय आथस दाई करके बघवा सवारी संझा बिहिनिया तोर सेवा गावंय जम्मों नर-नारी !! कुंवार महीना बड़ मन भावन पाख़ हवय अंजोरी जग-मग जग-मग जोत जलत हे दाई तोर दुवारी !! नाक म सुग्घर नथली सोहे अउ पऊरी पैजनिया माथ म चमकत तोर टिकली, कनिहा म करधनिया !! तँय दुर्गा तँय काली कहावस तही हर खप्पर धारी दानव मन के नास करइया जय हो दुर्गा महतारी !! हाथ जोर के बिनती करत हँव सुन ले मोर महमाई भगतन मन के भाग जगादेय झोली ल भर दे दाई !! परिचय :- प्रीतम कुमार साहू, गुरुजी (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। ...
शिक्षादाता
कविता

शिक्षादाता

प्रीतम कुमार साहू 'गुरुजी' लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** हाथ पकड़कर जिस गुरुवर ने, लिखना हमें सिखाया ! जीवन पथ पर कैसे चलना चलकर हमें दिखाया !! कैसे भूलूँ उस गुरुवर को, कभी हार न माना होगा ! गलतियाँ को माँफ कर जिसने काबिल हमें बनाया !! सही गलत का ज्ञान कराकर, सत्य मार्ग बतलाया कैसे जीना हमें चाहिए जी कर हमें दिखलाया !! शिक्षा, और संस्कार के दाता, हमारे भाग्य विधाता ! अज्ञानता को दूर भगाकर ज्ञान का दीप जलाया !! सच्चाई के राह पर चलकर सत्य का राह दिखाया ! मिलती नहीं मंजिल तब तक चलना हमें सिखाया !! थककर कभी बैठ न जाना, मंजिल की इन राहों पर ! कठिनाइयों से लड़कर आगे बढ़ना हमें सिखलाया !! परिचय :- प्रीतम कुमार साहू, गुरुजी (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है...
हे गणपति
भजन

हे गणपति

प्रीतम कुमार साहू 'गुरुजी' लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** छत्तीसगढ़ी रिद्धी-सिद्धि के तै स्वामी, तोरेच गुन ल गावत हँव। सजे सिहासन आके बइठो, पँवरी म माथ नवावंत हँव।। हे गणपति, गणनायक स्वामी, महिमा तोर बड़ भारी हे। माथ म मोर मुकुट सजत हे, मुसवा तोर सवारी हे।। साँझा बिहिनिया करँव आरती, लडवन भोग लगावंत हँव। सजे सिहासन आके बइठो, पँवरी म माथ नवावंत हँव।। माता हवय तोर पारबती अउ पिता हवय बम भोला। दिन दुखियन के लाज रखौ, बिनती करत हँव तोला।। पान-फूल अउ नरियर भेला, मै हर तोला चघावंत हँव। सजे सिहासन आके बइठो, पँवरी म माथ नवावंत हँव।। अंधरा ल अखीयन देथस अउ बाँझन ल पुत देवइयाँ। बल,बुद्धी के तै हर दाता, सबके बिगड़े काम बनइयाँ।। हे गणराज, गजानंद स्वामी मै हर तोला मनावंत हव। सजे सिहासन आके बइठो, पँवरी म माथ नवावंत हँव।। परिचय :- प्री...