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Tag: मोहर सिंह मीना “सलावद”

हिन्दी दिवस
आलेख

हिन्दी दिवस

मोहर सिंह मीना "सलावद" मोतीगढ़, बीकानेर (राजस्थान) ******************** हिन्दी दिवस प्रति वर्ष १४ सितम्बर को पूरे देश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। १४ सितम्बर १९४९ को ही संविधान सभा ने निर्णय लिया था कि हिन्दी केन्द्र सरकार की आधिकारिक भाषा होगी क्योंकि भारत के अधिकतर क्षेत्रों में हिन्दी भाषा बोली जाती थी। इसलिए हिन्दी को राजभाषा बनाने का निर्णय लिया गया और इसी निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने तथा हिन्दी को प्रत्येक क्षेत्र में प्रसारित करने के लिए वर्ष १९५३ से पूरे भारत देश में १४ सितम्बर को प्रतिवर्ष हिन्दी-दिवस के रूप में मनाया जाता है। स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद हिन्दी को आधिकारिक भाषा के रूप में स्थापित करवाने के लिए काका कालेलकर, हजारी प्रसाद द्विवेदी, सेठ गोविन्द दास आदि साहित्यकारों को साथ लेकर राजेन्द्र सिंह ने अथक प्रयास किए। हिन्दी भाषा और इसमें निहित भारत की सांस्कृत...
प्रकृति पूजक आदिवासी
आलेख

प्रकृति पूजक आदिवासी

मोहर सिंह मीना "सलावद" मोतीगढ़, बीकानेर (राजस्थान) ******************** विश्व आदिवासी दिवस ९ अगस्त को पूरे विश्व में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। भारत में सबसे पहले से रहने वाले आदिम लोगों के बंशज आदिवासी ही है। भारत की २०११ की जनगणना के अनुसार लगभग ११ करोड़ आबादी हैं जो भारत की लगभग 8.५ प्रतिशत हैं। आदिवासियों का जीवन धरती, जल, जंगल, वन्य जीवों के साथ एवं संपूर्ण मानवता के साथ परस्पर पूरक और संरक्षित है। भारत देश में आजादी के ७५ वर्ष बाद भारत के सर्वोच्च पद पर प्रथम आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू जो कि सबसे कम उम्र की प्रथम राष्ट्रपति भी है। आदिवासी शब्द दो शब्दों से आदि और वासी से मिलकर बना है। जिसका अर्थ है उस देश के मूल निवासी अगर सिर्फ भारत की बात की जाए तो १० से ११ करोड़ की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा आदिवासियों का है आदिवासी समुदाय में मुंडा, संथाल, मीणा, भील, गरासिया, उरांव आदि अन...
नैया का खिवैया शिक्षक
कविता

नैया का खिवैया शिक्षक

मोहर सिंह मीना "सलावद" मोतीगढ़, बीकानेर (राजस्थान) ******************** रोज सुबह मिलते है इनसे, क्या हमको करना है, ये बतलाते हैं। ले के तस्वीरें इन्सानों की, सही गलत का भेद हमें, ये बतलाते हैं। कभी डांट तो कभी प्यार से, कितना कुछ हमको, ये समझाते हैं। है भविष्य देश का जिन में, उनका सबका भविष्य, ये बनाते हैं। है रंग कई इस जीवन में, रगों की दुनिया से पहचान, ये करवाते हैं। खो ना जाएं भीड़ में कहीं हम, हम को हम से ही, ये मिलवाते हैं। हार हार के फिर लड़ना ही जीत है सच्ची, ऐसा एहसास, ये करवाते हैं। कोशिश करते रहना हर पल, जीवन का अर्थ हमें, ये बतलाते हैं। देते है नेक मंजिल भी हमें, राह भी बेहतर हमे, ये दिखलाते हैं। देते है ज्ञान जीवन का, काम यही सब है इनका, ये शिक्षक कहलाते हैं। आदर्शों की मिसाल बनकर, बाल जीवन संवारता शिक्षक सदाबहार फूल-सा खिलकर, महकता और महकाता शिक्षक ...