Tag: रीतु देवी “प्रज्ञा”

  • हुनर

    हुनर

    रीतु देवी “प्रज्ञा” दरभंगा (बिहार) ******************** हुनर के बाजार में मेरे सीखने की चाह की उड़ायी जाती है हंसी। रहूं खुश रख सकूं दूसरों को खुश चाहे जितनी जतन करनी पड़े मुझे। देख मेरी लगनशीलता टीका टिप्पणी होती बहुत पर परवाह करती न कभी। न बननी मुझे कठपुतली बनना है सच्चा नागरिक हुनर के बाजार में…

  • उड़ी रे पतंग

    उड़ी रे पतंग

    रीतु देवी “प्रज्ञा” (दरभंगा बिहार) ******************** उड़ी रे पतंग, मेरी उड़ी रे। हुए डोर पर सवार, उड़ी रे।। इठलाती, बलखाती है झूमती संग पवन हंसी ठिठौली है करती। उड़ी रे पतंग, मेरी उड़ी रे। हुए डोर पर सवार, उड़ी रे।। पहन चटकीले रंग के परिधान, बनाती उड़ी हसीन रंगीन निशान। उड़ी रे पतंग, मेरी उड़ी…

  • क्षण फुरसत के है नहीं

    क्षण फुरसत के है नहीं

    रीतु देवी “प्रज्ञा” (दरभंगा बिहार) ******************** विषय :- आधुनिक परिवेश में भागता इंसान धन, वैभव पीछे भाग रहा है इंसान सभी पल दो पल भी क्षण फुरसत के है नहीं जब देखो आँखें बुनते रहते हैं स्वप्न सिसकती आहें खो रहे हैं अपनत्व तरसे बच्चे पाने को ममता भरी माँ के आँचल का प्यार दिन,…

  • चुप क्यों हो?

    चुप क्यों हो?

    रीतु देवी “प्रज्ञा” (दरभंगा बिहार) ******************** चुप क्यों हो माँ? क्या विवशता है माँ? करता है सदा अन्याय इह लोक तुम्हारे साथ कर दिया जाता कभी बेटी भ्रूण हत्या लगने नहीं दिया जाता अरमानों के पंख कभी सहती जाती व्यथा सभी चुप क्यों हो माँ? प्रतिकार करो शक्ति स्वरूपा सहमी रहती तेरी गुड़िया देख दानवों…

  • आत्मविश्वास

    आत्मविश्वास

    रीतु देवी “प्रज्ञा” (दरभंगा बिहार) ******************** किसान दीनालाल के खेत में रबी की फसल पक गयी है। कोरोनावायरस के कारण पूरे राष्ट्र में लाकडाउन लगा है। एक सच्चे देशभक्त होने के कारण मजदूरों को फसल काटने के लिए नहीं कह रहे हैं। फसल कटाई के लिए बहुत चिंतित है। “दादाजी आप सवेरे-सवेरे क्यों चिंतित हैं?…

  • कांपे मेरा हिया

    कांपे मेरा हिया

    रीतु देवी “प्रज्ञा” (दरभंगा बिहार) ******************** मेरे पिया हैं दूर प्रदेश, फैल रहा कोरोना वायरस संपूर्ण देश। थर-थर कांपे मेरा हिया, लागे न कहीं मेरा जिया। हो गयी है उनसे मेरी अनबन, बजा न सकती मोबाइल घंटी टनटन, जा रे कागा , कहना उनसे मेरी बात किसी से मत मिलाए हाथ। साबुन से धो बारम्बार…

  • रंग भरी पिचकारी लेकर

    रंग भरी पिचकारी लेकर

    रीतु देवी “प्रज्ञा” (दरभंगा बिहार) ******************** फूल सजाकर इन अंगों में, सजनी लगे सजीली हो। रंग भरी पिचकारी लेकर, लगती बड़ी रसीली हो।। मीठी लगती तेरी बोली, तू है सबकी हमजोली। रसिक भाव की बनी स्वामिनी, मन मति की निश्छल भोली।। संग सहेली झूमझूम कर, लगती छैल ,छबीली हो। रंग भरी पिचकारी लेकर, लगती बड़ी…

  • नारी

    नारी

    रीतु देवी “प्रज्ञा” (दरभंगा बिहार) ******************** नारी तू महान है, तुझ से ही जहान है। तू है शक्ति स्वरूपा, तेरी ममतामयी रूप है अनूठा। तू ही है पतित पावनी भारती, करें तुझे ही भक्त नित्य आरती। तुझसे होती दिन के आलोक नवल, तू ही है धीर, वीर, गम्भीर, अचल तू ही है पावन सरिता की…

  • बचपन के दिन

    बचपन के दिन

    रीतु देवी “प्रज्ञा” (दरभंगा बिहार) ******************** बचपन के थे दिन सुहाने, गीत गाते थे हम मस्ताने, भेदभाव का नहीं था नामो-निशान मोह-माया से थे हम अनजाने। चंदा मामा लगते प्यारे नित्य शाम को बाट निहारे मन भाती थी पूनम रौशनी रात्रि भी खेलते भाई-बहन सारे। झट चढ जाते पेड़ों पर, नजर रहते मीठी सेबों पर,…

  • बुढापे की लाठी

    बुढापे की लाठी

    रीतु देवी “प्रज्ञा” (दरभंगा बिहार) ******************** शंभु जी और उनकी पत्नी बहुत खुश है। उनका बेटा संजय उनके दिए संस्कारों तले बड़ा हुआ है। परिवार में भी सबका सम्मान करता है। समाज, देश का सच्चे नागरिक की तरह सभी जरूरतमंदों की सहायता करता है। जिला अधिक्षक होते हुए भी शंभू जी की बीमारी की खबर…

  • जागो बेटी

    जागो बेटी

    रीतु देवी “प्रज्ञा” (दरभंगा बिहार) ******************** जागो बेटी, उठाओ हथियार, दरिदों का करो संहार। याद करो रानी लक्ष्मीबाई की कहानी, चुप्पी तोड़ो, व्यक्त करो व्यथा जुबानी लड़ना तुम्हारा अधिकार है अस्मत खातिर, भटक रहे हैं अनेकानेक देह क्रेता-विक्रेता शातिर। डस लो जिस्मफरोशी को नागिन रूप धर, मृत्यु लोक पहुँचा फाँसी झूला झूलाकर, माँ अम्बे का…

  • ये मेरा आसमाँ

    ये मेरा आसमाँ

    रीतु देवी “प्रज्ञा” (दरभंगा बिहार) ******************** ये मेरी धरती, ये मेरा आसमाँ पर्यावरण बचाकर रखें सुरक्षित सारा जहाँ। स्वचछता का मूल मंत्र हो सबकी जुबान, प्रदूषण फैला न, दे सबको जीवन दान। धरा बनाए सुंदर सा उद्यान, उड़े सुंगधित खुशबू नीला आसमाँ। कदम-कदम तरू की हरियाली हो जिस पथ ओर चलूँ विकासवाली हो मिले प्राण…

  • स्वर्ग

    स्वर्ग

    रीतु देवी “प्रज्ञा” (दरभंगा बिहार) ******************** प्रत्युष अपने माँ -पिताजी के साथ गंगिया गाँव में रहता है। उसके पिताजी गाँव के ही मध्य विद्यालय के शिक्षक हैं। वह अपने माँ-पिताजी का दुलारा लाल है। प्रत्युष बचपन से ही शरारती एवं मनमौजी है। वह अपने माँ-पिताजी के बातों पर ध्यान नहीं देता है। बिना बताए घर…

  • भूल मत जाना …

    भूल मत जाना …

    रीतु देवी “प्रज्ञा” (दरभंगा बिहार) ******************** भूल मत जाना बहना को भैया, छोड़ बाबुल घर, चहकने चली आँगन सैंया। राखी की डोर याद रखना सदा दिल से निकाल कर मत देना सजा बहना की सुध-बुध लेते रहना कभी-कभी दुआ है ईश्वर से खुशी मिले तुम्हें सभी। भूल मत जाना बहना को भैया, रक्षा करना हरदम…

  • लकीर

    लकीर

    रीतु देवी “प्रज्ञा” (दरभंगा बिहार) ******************** हाथ की लकीर बदल दीजिए छठ मैया, बीच मजधार से पार लगा दीजिए मेरी नैया। रैन दिवस बहते हैं मेरे अश्रुधारा, आप ही है मेरी जीवन की सच्ची सहारा। लगन लगी है आपके चरणों की हरण कीजिए सब मेरे कष्टों की रहूँ मैया आपकी उपासक जन्म -जन्म तक, नव…

  • नदी

    नदी

    ********** रीतु देवी “प्रज्ञा” (दरभंगा बिहार) कलकल बहती है निरंतर नदी, पावन नव संदेशा दे होती अग्रसर नदी। स्वार्थहीन दिशा में बहती रहती, अपने तट स्वर्ण फसल दे निहाल करती रहती। कराती रहती पूजनीया मधुर संगीत श्रवण, मनोकामनाएं पूर्ण कर लेते करके तट किनारे अर्चन। सिख लेकर नेक राह बढाए कदम, अपनी जिंदगी सेवाभाव में…

  • जंगल

    जंगल

    ********** रीतु देवी “प्रज्ञा” (दरभंगा बिहार) माँ भवानी आकर अस्मत बचाओ मेरी, दुनिया के जंगल है हैवानियतों से भरी। थरथर कांपे तन हमेशा, नींद उड़ी नयनों से हर राह लगता विरान सा जिया न लागे तेरी इस लोक में माँ रूद्राण गले लगा लो सुता की फुहार बरसा दो अपने ममता की जीवन की नैया…

  • बचपन

    बचपन

    ********** रीतु देवी “प्रज्ञा” (दरभंगा बिहार) कभी दौड़ना बागों में प्यारी रंगीली तितलियों पीछे, स्वछंद मदमस्त हो खेलते, नीले आसमान तले हर मौसम होते अजीज लुत्फ प्रफुल्लित मन उठाते, दिल को भाता हर चीज बहारें रंगीन करते रहते। अपना पराया का समझ नहीं घर-घर प्यार बरसाते ही बसती है ईश्वर की मूरत, मुस्काते सभी देख…

  • पराया

    पराया

    ********** रीतु देवी “प्रज्ञा” (दरभंगा बिहार) लाडली तेरे आँगन की मैं तेरे आँचल की पराया धन नहीं पराया शब्द से होती हृदयाघात, जीवनपर्यंत दूँगी आप सबका साथ। मैं तेरे बगिया की मनमोहक पुष्प भूल न यूँ जाना, विदा कर पराया घर हृदयावास मुझे भी बसाना। मेरा भी अस्तित्व है बाबुल अँगना, मैंने भी देखा है…

  • मुँह में आया पानी

    मुँह में आया पानी

    ********** रीतु देवी “प्रज्ञा” (दरभंगा बिहार) देख रसगुल्ला मुँह में आया पानी, रसगुल्ले का रसास्वादन कर रही थी मक्खी रानी। मुँह से लाड़ टपक रहा था,जीभ न मेरी मानी बड़ी मुश्किल से खुद को संभाली, समोसे देख मुँह में आ गया पानी पर्स को टटोला मैंने,सिर्फ था नोट दस रूपया कदम बढायी दुकान की ओर…