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Tag: संजय वर्मा “दॄष्टि”

श्रीराम
भजन

श्रीराम

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** श्रीराम ही शक्ति के दाता दर्शन मात्र से सारे सुख पाता। जब ध्यान लगाएं हरदम तुझमें पुनीत विचार सब समाए मुझमे। श्री राम की छवि बड़ी निराली कण-कण में समाई खुशहाली। सारा जग होता तुझसे ही रोशन प्राणी पाते धन धान्य और पोषण। सांस-सांस में है बसा नाम तुम्हारा श्रीराम ही तो है बस मेरा सहारा। हे श्रीराम सारा जग तो है तुम्हारा जग में तुम बिन कोई नही है हमारा। पूजन करो और बोलो जय श्री राम दुःख दूर होगा मिलेगा सुख आराम। परिचय : संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि : २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा : आय टी आय निवासी : मनावर, धार (मध्य प्रदेश) व्यवसाय : ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) प्रकाशन : देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प...
अयोध्या
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अयोध्या

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** नगरी हो अयोध्या सी जहाँ राम का वास हो घण्टियों, शंखों का जहाँ सुमधुर ध्वनियों का नाद हो मेरे राम सदा ह्रदय बसे बस इतना सा मीठा ख्वाब हो। ध्वज सदा लहराए कीर्तन एक साथ हो मंगल आरती गाए संग राम का विश्वास हो नगरी हो अयोध्या सी जहां राम का वास हो। फूलों से सुशोभित मंदिर को दर्शन जावे मंत्रमुग्ध हो ध्यान लगावे मांगे और कई है आशा रामजी करेंगे पूरी अभिलाषा नगरी हो अयोध्या सी जहां राम का वास हो। परिचय : संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि : २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा : आय टी आय निवासी : मनावर, धार (मध्य प्रदेश) व्यवसाय : ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) प्रकाशन : देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति "दरवा...
न्याय
कविता

न्याय

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** कलयुग है कलयुग आज का रावण एक नहीं हर जगह दिखाई देने लगे खूनी खेल, बलात्कार, पाखंड, दबाव डालना आदि क्रियाएं प्राचीन रावण को भी पीछे छोड़ती दिखाई देने लगी आकाशवाणी मौन सब बने हो जैसे धृतराष्ट्र जवाब नहीं पता किसी को जैसे इंसान को सॉँप सूंघ गया आवाज उठाने की हिम्मत होगई हो परास्त शर्मो हया रास्ता भूल गई पहले के रावण का अंत नाभि में एक बाण मार कर किया आज के रावणों का अंत कानून के तरकश में न्याय के तीर ने कर डाला जो उनको मानते /चाहते अब वो ही उनसे मुँह छुपाने लगे कतारे लगी जेलों में उनकी अशोभनीय हरकतों से आज के रावणों ने आस्था के साथ खिलवाड़ करके मासूमों का हरण करके कई चीखों को दफ़न कर दिया आज के इन रावणों ने पूरी दुनिया इनकी हरकतों को देख थू- थू कर रही आवाज उठाने वालों और न्याय ने मिलकर किया शंखनाद उ...
नदियों की परिभाषा
कविता

नदियों की परिभाषा

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** नदियों का अमृत घुला नीर कर देता मन को अमर नदियों की परिभाषा आती है समझ डुबकी लगाने आचमन करने से। देव, साधु संतों श्रद्धालुओं से बन जाती नदी स्वर्ग हो जाते शीश नतमस्तक और दुर्लभ दर्शन हो जाते सरल नदियाँ पूजनीय जिसमें स्नान से हो जाते लोग अमर। परिचय : संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि : २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा : आय टी आय निवासी : मनावर, धार (मध्य प्रदेश) व्यवसाय : ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) प्रकाशन : देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक", खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के ६५ रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता सम्मान : हिंदी रक्षक राष्ट्रीय सम्मा...
नीम की महक
कविता

नीम की महक

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** फूलों से लदे हरे-भरे नीम की महक दे जाती है मन को सुकून भले ही नीम कड़वा हो। पेड़ पर आई जवानी चिलचिलाती धूप से कभी ढलती नहीं बल्कि खिल जाती है लगता, जेसे नीम ने बांध रखा हो सेहरा। पक्षी कलरव करते पेड़ पर ठंडी छाँव तले राहगीर लेते एक पल के लिए ठहराव लगता जेसे प्रतीक्षालय हो नीम। निरोगी काया के लिए इन्सान क्यों नहीं जाता नीम की शरण बेखबर नीम तो प्रतीक्षा कर रहा निबोलियों के आने की उसे तो देना है पक्षियों को कच्ची-कडवी, पक्की मीठी निबोलियों का उपहार। परिचय : संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि : २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा : आय टी आय निवासी : मनावर, धार (मध्य प्रदेश) व्यवसाय : ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) प्रकाशन : देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों...
दीपक
कविता

दीपक

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** जब माँ अपनी बेटी को बचपन से ही सिखाती दीपक कैसे प्रज्वलित करना बेटियाँ इसे महज छोटा काम समझती किन्तु बड़ी होने पर जब वो ससुराल में लगाती तुलसी की क्यारी पर दीपक। श्रद्धा, आस्था, प्रेम, कर्तव्य की भावना दीप की लो के संग ज्यादा प्रकाशवान दिखाई देती जो माँ ने सिखाई थी बचपन में मुझे जब माँ की याद आती तो पाती हूँ तुलसी की क्यारी में माँ की प्यारी सी झलक। परिचय : संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि : २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा : आय टी आय निवासी : मनावर, धार (मध्य प्रदेश) व्यवसाय : ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) प्रकाशन : देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक", खट्टे मीठे रिश्ते उपन्या...
प्यार
कविता

प्यार

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** उम्र गुजर जाए हम कहा तुम कहा अब ढूंढते है तुम्हारे जैसे चेहरे वो बगिया वो मकान वो गलियां मिलो भी तो पहचान मुश्किल झुर्रियों भरे चेहरे हो मगर प्यार का रिचार्ज ता उम्र का जो यादों की मिस कॉल मारता हरदम जब तक तब तक न निकले दम बहुत देर कर दी प्यार के दो शब्द कहने में मै करता हूं प्यार तुमसे। परिचय : संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि : २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा : आय टी आय निवासी : मनावर, धार (मध्य प्रदेश) व्यवसाय : ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) प्रकाशन : देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक", खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के ६५ रचनाकारों में लेखनीयता में...
कैसे रिश्ते
कविता

कैसे रिश्ते

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** छिन लिया आसरा पेड़ को कटते देख दूसरे पौधे रो रहे थे कौन समझे इनकी पीड़ा नेक इंसान ही समझते उसे लगा होगा जैसे, माता-पिता के मरने पर रोते है कैसे रिश्ते। यह जानते हुए भी खोने दे रहा है खुद के जीने की प्राण वायु पेड़ की खोल के रहवासी उड़े भागे थे ऐसे जैसे भूकंप आने पर लोग छोड़ देते है मकान। थरथरा कर गिर पड़ा था पेड़ पेड़ के रिश्तेदार, मूक पशु-पक्षी खड़े सड़क पर, बैठे मुंडेरों पर आँखों में आँसू लिए विचलित अस्मित भाव से कर रहे संवेदना प्रकट और मन ही मन में सोच रहे क्यों छिन लिया आसरा हमसे क्रूर इंसान ने। परिचय : संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि : २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा : आय टी आय निवासी : मनावर, धार (मध्य प्रदेश) व्यवसाय : ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) प्रकाशन : देश-विदेश की विभि...
बाराती
कविता

बाराती

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** पहाड़ो पर टेसू रंग बिखर जाते लगता पहाड़ ने बांध रखा हो सेहरा। घर के आँगन में टेसू का मन नहीं लगता उसे सदैव सुहाती पहाड़ की आबों हवा। मेहंदी की बागड़ से आती महक लगता कोई रचा रहा हो मेहंदी। पीली सरसों की बग़िया लगता जैसे शादी के लिए बगिया के हाथ कर दिए हो पीले। भवरें-कोयल गा रहे स्वागत गीत दिखता प्रकृति भी रचाती विवाह उगते फूल आमों पर आती बहारें आमों की घनी छाँव तले जीव बना लेते शादी का पांडाल ये ही तो है असल में प्रकृति के बाराती। नदियां कलकल कर उन्हें लोक गीत सुनाती एक तरफ पगडंडियों से निकल रही इंसानों की बारात। सूरज मुस्काया धरती के कानों में धीमे से कहा- लो आ गई एक और बारात आमों के वृक्ष तले। परिचय : संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि : २ मई १९६२...
मोर की गुहार
कविता

मोर की गुहार

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** मोर पंख मोर जैसे नहीं होने से मोरनी अपने पंख से नहीं ढाक पाती अपना तन ढक लेता है मोर अपने पंखों से अपना तन। ना घर ,ना घोसला मुंडेरो और कुछ बचे पेड़ों पर बैठकर मोर ये सोच रहे ? इंसानों को रहने के लिए कुछ तो है जंगलों के कम होने से क्या हमारे लिए कुछ भी नहीं मेरे इस बचे खुचे जंगल मे। पिहू -पिहू बोल के बुद्धिजीवी इंसानों से कह रहा हो जैसे इंसानों के हितों के साथ हमारे हितों का भी ध्यान रखो क्योंकि हम राष्ट्रीय पक्षी है। नहीं तो कहते रह जाएंगे जंगल मे मोर नाचा किसने देखा? और यह सवाल अनुतरित बन रह जायेगा महज किताबों में। परिचय : संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि : २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा : आय टी आय निवासी : मनावर, धार (मध्य प्रदेश) व्यवसाय : ड़ी एम (जल संसाधन विभाग...
ऋतुराज वसंत
कविता

ऋतुराज वसंत

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** पेड़ों की पत्तियां झड़ रही मद्धम हवा के झोकों से चिड़िया विस्मित चहक रही ऋतुराज वसंत धीमे से आरहा आमों पर मोर फूल की खुशबू संग हवा के संकेत देने लगी टेसू से हो रहे पहाड़ के गाल सुर्ख पहाड़ अपनी वेदना किसे बताए वो बता नहीं पा रहा पेड़ का दर्द लोग समझेंगे बेवजह राइ का पर्वत पहाड़ ने पेड़ो की पत्तियों को समझाया मै हूँ तो तुम हो तुम ही तो कर रही वसंत का अभिवादन गिरी नहीं तुम बिछ गई हो और आने वाली नव कोपलें जो है तुम्हारी वंशज कर रही वसंत के आने इंतजार कोयल के मीठी राग अलाप से लग रहा वादन हो जैसे शहनाई का गुंजायमान हो रही वादियाँ में गुम हुआ पहाड़ का दर्द जो खुद अपने सूनेपन को टेसू की चादर से ढाक रहा कुछ समय के लिए अपना तन। परिचय : संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि ...
हिंसा
कविता

हिंसा

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ********************  धर्मनिरपेक्षता हिंसा को पहचान नहीं पा रही उकसावे में जल रही दुनिया या किसी की शह पर चल रही हिंसा की शतरंज चाले अहिंसा और शांति का पाठ पढ़ाने वाले कबूतर के पंख जल चुके बेवजह की हिंसा में विकास की राहें साँप सीढ़ी के खेल समान होने लगी ऊपर तक पहुँचने पर हिंसा का साँप बेगुनाहों को काट लेता वो फिर जन धन की हानि के साथ वापस नीचे आ जाते कब रुकेगी हिंसा कौन रोकेगा हिंसा को हर बार भड़कने से भय के काले बादल छाए रहते धर्मनिरपेक्षता के पक्ष में भाई तो है मगर चारा हिंसा में जलने लगा। परिचय : संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि : २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा : आय टी आय निवासी : मनावर, धार (मध्य प्रदेश) व्यवसाय : ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) प्रकाशन : देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में...
काश
कविता

काश

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** काश तुम जिंदा होती सपने अधूरे वादे अधूरे सब बात अधूरी साथ अधूरा सपने परेशान करते यादों को बार बार दोहराते नींद से उठ बैठता गला सूखने पर मांगता था पानी अब खुद उठ कर पीता हूं पानी काश तुम जीवित होती बीमारी में मुझे छोड़कर न जाती तुम बिन सब अधूरे अगले जन्म में होगी साथ काश यही तो है विश्वास। परिचय : संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि : २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा : आय टी आय निवासी : मनावर, धार (मध्य प्रदेश) व्यवसाय : ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) प्रकाशन : देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक", खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के ६५ रचनाकारों में लेखनीयता में स...
आज चिट्ठी आई है
कविता

आज चिट्ठी आई है

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** प्रेम की पाती लेकर आता था डाकिया पुकारता जब नाम मेरा हिरणी सी चपलता लिए कर जाती थी चौखट को पार लगा लेती दिल से प्रेम की पाती । आज चिठ्ठी आई है चिट्ठी को छुपकर पढ़ती ढाई अक्षर प्रेम को जोड़ लेती ख्वाबो से रिश्ते होसला ,ज़माने से डर नहीं का भर लेती मन में । वो सामने आते तो होंठ थरथराने लगते मानों शब्द को कर्फ्यू लगा हो बस आँखे ही कर जाती थी प्रेम का इजहार । सुबह नींद खुली तो लगा जैसे एक ख्वाब देखा था प्रेम का अब डाकिया भी नहीं लाता प्रेम की चिट्ठी मैने भी चिट्ठी लिखी ही नहीं क्योंकि हो जाती है मोबाइल पर प्रेम की बातें । परिचय :- संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि :- २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा :- आय टी आय व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) प्रकाशन :- देश-विदेश की विभिन्न पत...
बेटी
कविता

बेटी

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** बेटी होती विदा मन परेशान है घर होगा तेरे बिन सूना आँखे आज हैरान है। दिल का टुकड़ा छूटा आँगन बेजान है कोई आवाज आती नहीं दस्तक बेजान है। तेरे बिना बहते नयन मन अब उदास है पायल की आवाज आती नहीं अंगना भी उदास है परिचय :- संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि :- २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा :- आय टी आय व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) प्रकाशन :- देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक", खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के ६५ रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान - २०१५, अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित संस्थाओं से सम्बद्धता :- शब्दप्रवाह उज...
नयन
कविता

नयन

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** नीर भरे नयन पलकों पर टिके रिश्तों का सच बिन बोले कहते यादों की बातें ठहर जाते है पग सुकून पाने को थके उम्र के पड़ाव निढाल हुए मन पूछ परख रास्ता भूलने अब लगी राहें इंतजार की रौशनी चकाचौंध धुंधलाए से नैन कहाँ खोजे आकृति जो हो गई अब दूरियों के बादलों में तारों के आँचल में निगाह से बहुत दूर जिसे लोग देखकर कहते वो रहा चाँद परिचय :- संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि :- २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा :- आय टी आय व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) प्रकाशन :- देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक", खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के ६५ रचनाकारों में लेखनीयता...
प्रेम की गांठ
कविता

प्रेम की गांठ

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** ठंडी हवा मचल कर न चल ठंड की आबो हवा कही चुरा न ले जिया बेचैन तकती निगाहे मौसम में देखती दरख्तों को सोचता मन कह उठता बहारे भी जवान होती। धड़कने बढ़ जाती प्रेमियों की जाने क्यों जब जब बहार आती-जाती बांधी थी कभी मनोकामना के लिए प्रेम की गांठे। परिचय :- संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि :- २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा :- आय टी आय व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) प्रकाशन :- देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक", खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के ६५ रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान - २०१५, अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित सं...
उजड़ जाती जिंदगी
कविता

उजड़ जाती जिंदगी

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** शराब क्या होती है ख़राब कोई कहता गम मिटा ने की दवा जिंदगी में कितने गम और कितने ही कर्म दोस्तों की शाम की महफ़िल जवां होती ,हसीं होती बड़े दावे बड़ी पहचान के दावे सुबह होते हो जाते निढाल रातो को राह डगमगाती जैसे भूकंप आया या फिर कदम लड़खड़ाते हलक से नीचे उतर कर कर देती बदनाम जैसे प्यार में होते बदनाम शराबी और दीवाना एक ही घूमती दुनिया के तले मयखाने करते मेहमानों का स्वागत जैसे रंगीन दुनिया की बारात आई तमाशो की दुनिया में देख कर हर कोई हँसता/दुबकता दारुकुट्टिया नामंकरण हो जाता रातों का शहंशाह सुबह हो जाता भिखारी बच्चे स्कूल जाते समय पापा से मांगते पॉकेट मनी ताकि छुट्टी के वक्त दोस्तों को खिला सके चॉकलेट फटी जेब और खिसयाती हंसी दे न पाती और कुछ कर न पाती बच्चों के चेहरे की हंसी छीन लेती इ...
बुढ़ापा
कविता

बुढ़ापा

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** जिंदगी का सच सुबह आईने में देखा खुद ही का चेहरा कितना बदल चूका मन के भाव आज जवान चेहरे पड़ी झुर्रियां को ढांकने की कोशिश बालो को काला करके युवाओं की होड़ में शामिल होने की ललक में थक चुके कई इंसान ऐसा लगता बुजुर्गी का मानो कोई इम्तिहान हो आवाज में कंपन घुटनो में दर्द मानों सब खेल मुंह मोड़ चुके बतियाने को रहा गया अनुभवों का खजाना और फ्लेस बैक यादों का आईने में अकेला निहारता चेहरा और बुदबुदाता सभी को तो बूढ़ा होना ही एक न एक दिन युवा बात करे पल भर हमसे भागदौड़ की दुनिया से हटकर मन को सुकून मिल जायेगा अकेले बतियाने और आईने में चेहरे को देखकर सोचता हूँ, बुढ़ापा क्या ऐसा ही आता है। परिचय :- संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि :- २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा :- आय टी आय व्...
बोनी उड़ान
कविता

बोनी उड़ान

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** फसलों को निहारते मुस्कुराते किसान की खुशियां हो जाती रफूचक्कर जब हो अतिवृष्टि कहर प्राकृतिक आपदाओं का सामना करता किसान इनके आगे हार जाता उसके सपने और उम्मीदों की बोनी उड़ान से सपने बिखर जाते उड़ान भरता मरती फसलों को बचाने की मगर उसकी बोनी उड़ान नहीं बचा सकती आपदाओं के आगे उसकी उड़ान से आर्थिकता के सूरज से पंख जल जो जाते कर्ज की तेज आंधी उसके जीवन की उड़ान को बोनी कर जाती ये आपदाएं। परिचय :- संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि :- २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा :- आय टी आय व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) प्रकाशन :- देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक", खट्टे मीठे रिश्ते उपन्...
प्रेम की गांठे
कविता

प्रेम की गांठे

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** ठंडी हवा मचलकर न चल ठंड की आबो हवा कही चुरा न ले जिया बैचेन तकती निगाहे मौसम में देखती दरख्तों को सोचता मन कह उठता बहारे भी जवान होती। धड़कने बढ़ जाती प्रेमियों की जाने क्यों जब जब बहारे आती-जाती बांधी थी कभी मनोकामना के लिए प्रेम की गांठे। परिचय :- संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि :- २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा :- आय टी आय व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) प्रकाशन :- देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक", खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के ६५ रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान - २०१५, अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित संस्थाओ...
फिर आई है हिचकी
कविता

फिर आई है हिचकी

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** स्त्री हिचकियाँ की सखी साथ फेरो का संकल्प दुख-सुख की साथी एकाकीपन खटकता परछाई नापता सूरज पहचान वाली आवाजों में खोजता मुझे दी जाने वाली तुम्हारी जानी पहचानी पुकार आँगन-मोहल्ले में सूना पन विलाप के स्वर तस्वीरों में कैद छवि सदा बहते आंसू तेज हो जाते तुम्हारी पुण्यतिथि पर। दरवाजा बंद करता खालीपन महसूस अकेलापन कचोटता मन बिन तुम्हारे हवा से उत्पन्न आहटे देती संदेशा मै हूँ ना मृत्यु नाप चुकी रास्ता अटल सत्य का किन्तु सात फेरों का संकल्प सात जन्मों का छोड़ साथ कर जाता मुझे अकेला फिर आई है हिचकी क्या तुम मुझे याद कर रही हो? परिचय :- संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि :- २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा :- आय टी आय व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) प्रकाशन :- देश-विदेश की विभिन...
इन्तजार
कविता

इन्तजार

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** अधर बनी गुलाब पंखुरी नयन बने कमल से नयन भी करते इशारे प्रेम के बालो से निकली लट से छुप जाते नयन माथे पे बिंदिया सजी लगती प्रभात किरण कंगन की खनक पायल की रुनझुन कानो में घोल देती मिश्री कमर तक लहराते लटके बालों से घटा भी शरमा जाए हाथो में लगी मेहंदी खुशबू हवाओं को महकाए सज धज के दरवाजे की ओट से इंतजार में आँखों से आँसू इन्तजार टीस के बन जाते गवाह इन्तजार होता सौतन की तरह बस इतनी सी दुरी इन्तजार की कर देती बेहाल प्रेम रूठने का आवरण पहन शब्दों पर लगा जाता कर्फ्यू सूरज निकला फिर सांझ ढली फिर वही इंतजार दरवाजे की ओट से समय की पहचान कर रहा कोई इंतजार घर आने का तितलियाँ उडी खुशबू महकी लबो पर खिल, उठी गुलाब की पंखुड़ी समय ने प्रेम को परखा नववर्ष में चहका प्यार। परिचय :- संजय वर्मा "द...
जय हो श्री बालाजी
भजन

जय हो श्री बालाजी

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** श्री बालाजी मेरे और मैं श्री बालाजी के संग सहारे जा रहे नाचते गाते सभी भक्त दर्शन को बिना विचारे सबके मनमोहक और सजे-धजे धाम के राज दुलारे श्री बालाजी मेरे और मैं सदैव श्री बालाजी के संग सहारे। सनातन धर्म की जय हो हिंदू राष्ट्र के भक्त पुकारे समस्याओं का समाधान चमत्कार से दरबार मे निखारे दूर दराज से पग-पग आकर नमन करें भक्त तुम्हारे श्री बालाजी मेरे और मैं सदैव श्री बालाजी के संग सहारे। अर्जी और मंत्र जाप के जरिये हो जाते हर काम हमारे कलयुग में कैसा चमत्कार काम हो रहे श्री बालाजी सहारे लगावे दिया करके याद नित्य पाठ करें और आरती उतारे श्री बालाजी मेरे और मैं सदैव श्री बालाजी के संग सहारे। परिचय :- संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि :- २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा :- आय टी...
निरोगी इंसान
कविता

निरोगी इंसान

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** पंछियों का कोलाहल दुबके इंसान घरों में मुंडेर पर बोलता कौआ अब मेहमान नही आता संकेत लग रहे हो जैसे मानों भ्रम जाल में हो फंसे। नही बंधे झूले सावन में पेड़ों पर उन्मुक्त जीवन बंधन हुआ अलग-अलग हुए अनमने से विचार बाहर जाने से पहले मन में उपजे भय से विचार। क्योंकि स्वस्थ्य धरा निरोगी इंसान बनना और बनाना इंसानों के हाथों में तो है। परिचय :- संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि :- २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा :- आय टी आय व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) प्रकाशन :- देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक", खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के ६५ रचनाका...