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Tag: सोनल मंजू श्री ओमर

अबीर, गुलाल, रंग
कविता

अबीर, गुलाल, रंग

सोनल मंजू श्री ओमर राजकोट (गुजरात) ******************** अबीर, गुलाल, रंग है, होली का हुड़दंग है। रंगों के नशे में, सबके मन मलंग हैं।। अबीर, गुलाल, रंग है... सबके मन को हर्षायी, फागुन की बहार आई। जन-जन गाएं फगुआ, दिलों में उमंग है।। अबीर, गुलाल, रंग है... खेतों में सरसों खिले, पीले-पीले फूल हिलें। हरी-भरी धरा पर, उड़ते विहंग हैं।। अबीर, गुलाल, रंग है... भर-भर लाए पिचकारी, रंग दी चुनर सारी। साजन रंगे सजनी को, अजब ये तरंग है।। अबीर, गुलाल, रंग है... नीला, पीला, लाल, गुलाबी, बचे न कोई जरा भी। प्रेम के रंग में भिगोकर, रंगों अंग-अंग हैं।। अबीर, गुलाल, रंग है... चिप्स खाओ, पापड़ खाओ, मीठी-मीठी गुझिया खाओ। तरह-तरह के मिष्ठानों से, मुँह में घुला रसरंग है।। अबीर, गुलाल, रंग है... होली का त्योहार है, रंगों की बौछार है। झूम-झूम के नाचों गाओ, घुटी आज भंग है।। अबीर, गुलाल...
भारतीय सिनेमा की महिला हास्य कलाकार
आलेख

भारतीय सिनेमा की महिला हास्य कलाकार

सोनल मंजू श्री ओमर राजकोट (गुजरात) ******************** बॉलीवुड में हर साल अलग-अलग जॉनर की कई फिल्में रिलीज होती हैं। कॉमेडी एक ऐसा जॉनर है, जिसे देखना हर कोई पसंद करता है। लेकिन आज बॉलीवुड जितना कॉमेडी के लिए फेमस है उतना आज से ८० साल पहले नहीं था और महिला कॉमेडियन तो भूल ही जाइए। उस दौर की फिल्मों में महिलाओं को हम रोने-धोने के किरदार में देखते हुए आ रहे थे। सिनेमा में मेल कॉमेडियन बहुत देखने को मिल जाते लेकिन फीमेल कॉमेडियन नहीं। लेकिन धीरे-धीरे उस जमाने में भी कुछ ऐसी साहसी महिलाएं आगे आई जिनकी सोच ने भारतीय सिनेमा का रुख बदल दिया। यदि आप पीछे मुड़कर देखें, तो आपको ऐसी कई अभिनेत्रियां मिलेंगी जो अपनी कॉमिक टाइमिंग के लिए जानी जाती हैं। जैसे ब्लैक एंड व्हाइट युग से टुनटुन और मनोरमा, ७० के दशक की चुलबुली-मजेदार प्रीति गांगुली और अस्सी के दशक की सदाबहार गुड्डी मारुति। इस लेख में हम आपक...
जब महिला होगी सशक्त, तब देश उन्नति में न लगेगा वक्त
आलेख

जब महिला होगी सशक्त, तब देश उन्नति में न लगेगा वक्त

सोनल मंजू श्री ओमर राजकोट (गुजरात) ******************** आज के आधुनिक समय में महिला उत्थान एक विशेष विचारणीय विषय है। हमारे आदि-ग्रंथों में नारी के महत्व को मानते हुए यहाँ तक बताया गया है कि “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:” अर्थात जहाँ नारी की पूजा होती है, वहाँ देवता निवास करते है। लेकिन विडम्बना तो देखिए नारी में इतनी शक्ति होने के बावजूद भी उसके उत्थान की अत्यंत आवश्यकता महसूस हो रही है। यह आवश्यकता इसलिये पड़ी क्योंकि प्राचीन समय से भारत में लैंगिक असमानता, सती प्रथा, नगर वधु व्यवस्था, दहेज प्रथा, यौन हिंसा, घरेलू हिंसा, गर्भ में बच्चियों की हत्या, पर्दा प्रथा, कार्यस्थल पर यौन शोषण, बाल मजदूरी, बाल विवाह तथा देवदासी प्रथा आदि परंपरा रही। इस तरह की कुप्रथा का कारण पितृसत्तामक समाज और पुरुष श्रेष्ठता मनोग्रन्थि रही। महिलाओं को उनके अपने परिवार और समाज द्वारा कई कारणों ...
रामराज्य लाते हैं
कविता

रामराज्य लाते हैं

सोनल मंजू श्री ओमर राजकोट (गुजरात) ******************** आओ सनातनियों हम सब मिल-जुल कर, एक बार फिर से भारत में रामराज्य लाते हैं। ऊंच-नीच, अमीरी-गरीबी, जात-पात का, भेद मिटाकर चलो सबको गले लगाते हैं। नफरत और द्वेष को मन से दूर भगाकर आपसी अनुराग का गीत गुनगुनाते हैं। अपनी जिह्वा और वाणी में मिठास घोल, श्री राम के अवध लौटने का उत्सव मनाते हैं। हर घर, हर आंगन हो खुशियों में डूबा, पुष्प और दीपों से अवध को ऐसे सजाते हैं। करके मानवता की सेवा सारी दुनिया में, अपने आराध्य राम-नाम का ध्वज फहराते हैं। कितनी भी विकट हो स्थिति, या बिगड़े काम, उनके स्मरण से अटके हर काम बन जाते हैं। पूरे ब्रह्मांड में हम सब भारतवासी मिलके, 'जय श्री राम' के जयकारों की गूंज फैलाते हैं। पाठ्यक्रम में छोड़कर अकबर-बाबर को, बच्चों को रामायण-गीता के पाठ पढ़ाते हैं। आओ सनातनियों हम सब मिल-जुल क...
परख
लघुकथा

परख

सोनल मंजू श्री ओमर राजकोट (गुजरात) ******************** "क्या हुआ दीपू बेटा? तुम तैयार नहीं हुई? आज तो तुम्हें विवेक से मिलने जाना है।" दीपिका को उदास देखकर उसके दादा जी ने उससे पूछा। "तैयार ही हो रही हूँ दादू।" दीपिका ने बुझे मन से कहा। "पर तुम इतनी उदास क्यों हो?" "पापा ने मुझे कहा है कि आज ही विवेक से मिलकर शादी के लिए कन्फर्म कर दूं।" "तो इसमें प्रॉब्लम क्या है बेटा?" "आप ही बताओ दादू! एक बार किसी से मिलकर उसे शादी के लिए कैसे फाइनल कर सकते हैं ?" "तो एक-दो बार और मिल लेना। मैं तुम्हारे पापा से बात कर लूंगा।" "पर दादू एक-दो बार में तो हर कोई अच्छा ही बनता है।" दीपिका ने मुँह बनाते हुए कहा। "अच्छा ये सब छोड़, मुझे कुछ खाने का मन कर रह है तो पहले ऐसा कर मेरे लिए पका फल ले आ।" दीपू गई और किचेन से एक पीला-पीला मुलायम अमरूद ले आई, "ये लीजिए दादू आपका फल।" "दीपू बेटा एक बात बता, क...
नौ स्वरूप माता के
आलेख

नौ स्वरूप माता के

सोनल मंजू श्री ओमर राजकोट (गुजरात) ******************** शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। इन नौ दिनों में पूरी भक्ति से मां दुर्गा की उपासना की जाएगी। नवरात्रि का हर दिन मां दुर्गा को समर्पित है। नवरात्रि के नौ दिनों तक दुर्गा मां के अलग-अलग नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के अंतिम दिन को महानवमी कहा जाता है और इस दिन कन्या पूजा की जाती है। आइए जानते हैं कि नवरात्रि में किस दिन माता के किस स्वरूप को पूजा जाएगा। १. माँ शैलपुत्री माँ दुर्गा का पहला स्वरूप शैलपुत्री है। शैल का मतलब होता है शिखर। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार देवी शैलपुत्री कैलाश पर्वत की पुत्री है, इसीलिए देवी शैलपुत्री को पर्वत की बेटी भी कहा जाता है। वृषभ (बैल) इनका वाहन होने के कारण इन्हें वृषभारूढा के नाम से भी जाना जाता है। इनके दाएं हाथ में त्रिशूल है और बाएं हाथ में इन्होंने कमल धारण किया हुआ है। मां के ...
आया है नवरात्रि का त्योहार
भजन

आया है नवरात्रि का त्योहार

सोनल मंजू श्री ओमर राजकोट (गुजरात) ******************** आया है नवरात्रि का त्योहार। नवरात्रि में माँ का सजेगा दरबार। गली-गली गूँजेंगे भजन कीर्तन, माँ अंबे की होगी जय जय कार।। आयी है होकर शेरों पर सवार। माता ने किये है सोलह श्रृंगार। लगे सौम्य सुंदर मुखड़ा माँ का, दिखता आँखों में असीम प्यार।। माँ ने करने को भक्तों का उद्धार। नवरात्रि में लिये थे नौ अवतार। पाप जब बढ़ गया था दुष्टों का, किया था माँ ने असुरों का संहार।। मेरा हृदय है मइया आपका द्वार। आपकी कृपा से होगा बेड़ा पार। सुख, समृद्ध, स्वस्थ हो प्रियजन, सुनो इतनी अरज करो उपकार।। जगदम्बे अब फिर से लो अवतार। या भर दो बेटियों में शक्ति अपार। डाले जो कोई उनपर गन्दी नजर, चंडी बनके कर दे दुष्टों का संहार।। परिचय - सोनल मंजू श्री ओमर निवासी : राजकोट (गुजरात) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुर...
करवा चौथ
कविता

करवा चौथ

सोनल मंजू श्री ओमर राजकोट (गुजरात) ******************** भूख नहीं लगती है स्त्री को, करवाचौथ निभाने में, चाहे कितनी देर लगा ले चाँद आज नज़र आने में, उम्र बड़ी होगी या नही ये तो किसी को पता नहीं, आशा है प्यार बढ़ ही जायेगा यूँ त्याग दिखाने में।। आज जी भर संवरती, सोलह श्रृंगार करती है, सज के सुर्ख जोड़े में चाँद का दीदार करती है, उपहार मिले या ना मिले उसे कोई परवाह नहीं, पति की चाहत मिले, इसी का इंतजार करती है। तुम्हारा नाम अपनाती है उसका मान बन जाना तुम, जहाँ पर पा सके सुकूं ऐसा विश्राम बन जाना तुम, परीक्षा प्रेम की दे देगी चुनेगी जंगलों के काँटे भी, पत्नी गर सीता बन जाती है तो राम बन जाना तुम।। परिचय - सोनल मंजू श्री ओमर निवासी : राजकोट (गुजरात) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप...