भाई बहन के प्रेम को वंदन
सोनल सिंह "सोनू"
कोलिहापुरी दुर्ग (छतीसगढ़)
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वंदन ऐसे प्रेम को,
जिस जैसा नहीं है दूजा।
भाई बहन का प्रेम है ऐसा,
जैसे हो कोई अजूबा।
भाई बहन जो नोंक-झोंक,
किया करते थे दिन रैन।
एक दूजे से मिलने को,
अब रहते हैं बेचैन।
आये बहन पर आंच,
भैया दुनिया से लड़ जाए।
भाई पर जो आए खतरा,
बहन चट्टान सी अड़ जाए।
भाई दूज और रक्षाबंधन,
दोनों पावन है त्यौहार।
हर साल बढ़ता जाता,
इससे भाई बहन का प्यार।
दोनों का है प्रेम अनोखा,
जिसका आदि न अंत।
वंदन इनके प्रेम को,
जो रहेगा अनादि अनंत।
परिचय - सोनल सिंह "सोनू"
निवासी : कोलिहापुरी दुर्ग (छतीसगढ़)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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