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Tag: सौरभ कुमार ठाकुर

माँ
कविता

माँ

सौरभ कुमार ठाकुर मुजफ्फरपुर, बिहार ************************ जब-जब गलत हुआ धरती पर आई माता तुम बारम्बार फिर से कष्ट एक आन पड़ा है आ जाओ फिर से ईक बार माता करो जग का उद्धार। देखो मानव फिर ग्रसित हुआ है, बहुत ही हो रहा अत्याचार देखो तेजी से पाप हो रहा है एक दिनों में लाखों बार माता करो जग का उद्धार। जब मानवता पर दुख बरसा है कष्ट हरा तूने हर बार फिर से माते कष्ट हरो और आशीष तुम देना अपरंपार माता करो जग का उद्धार। परिचय :- नाम- सौरभ कुमार ठाकुर पिता - राम विनोद ठाकुर माता - कामिनी देवी पता - रतनपुरा, जिला-मुजफ्फरपुर (बिहार) शिक्षा - १० वीं के छात्र और बाल कवि एवं लेखक जन्मदिन -१७ मार्च २००५ देश के लोकप्रिय अखबारों एवं पत्रिकाओं में अभी तक लगभग ५० रचनाएँ प्रकाशित सम्मान- हिंदी साहित्य मंच द्वारा अनेकों प्रतियोगिताओं में सम्मान पत्र, सास्वत रत्न, साहित्य रत्न, स्टार हि...
प्रकृति
कविता

प्रकृति

सौरभ कुमार ठाकुर मुजफ्फरपुर, बिहार ************************ जहाँ जाने के बाद वापस आने का मन ना करे जितना भी घूम लो वहाँ पर कभी मन ना भरे हरियाली, व स्वच्छ हवा भरमार रहती है जहाँ सच में वही तो असली प्रकृति कहलाती है। जहाँ पर चलती गाड़ियों की शोर नही गूंजती जिस जगह की हवा कभी प्रदूषित नही रहती सारे जानवरों की आवाजें सदा गूंजती है जहाँ सच में वही तो असली प्रकृति कहलाती है। जहाँ नदियों व झड़नों का पानी पिया जाता है जहाँ जानवरों के बच्चों के साथ खेला जाता है बिना डर के जानवर विचरण करते हैं जहाँ सच में वही तो असली प्रकृति कहलाती है। पहाड़ जहाँ सदा शोभा बढ़ाते हैं धरती की नदियाँ जहाँ सदा शीतल करती हैं मिट्टी को वातावरण अपने आप में संतुलित रहता है जहाँ सच में वही तो असली प्रकृति कहलाती है। परिचय :- नाम- सौरभ कुमार ठाकुर पिता - राम विनोद ठाकुर माता - कामिनी देवी पता - रतनपुर...
मातृ दिवस पर ऑनलाइन प्रतियोगिता संपन्न
साहित्यिक

मातृ दिवस पर ऑनलाइन प्रतियोगिता संपन्न

नई दिल्ली। माँ शब्द स्वयं एक अद्भुत रचना है, काव्य है, महाकाव्य है। माँ के लिए हम क्या लिख सकते हैं, माँ ने ही तो हमें लिखा है। अवसर था मातृ दिवस का। कलम लाइव अकादमी के भव्य पटल पर मातृ दिवस के अवसर पर ऑनलाइन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। मुख्य अतिथी के रूप में मंच पर उपस्थित थे अध्यक्ष राजू कुमार चौहान, उपाध्यक्ष सौरभ कुमार ठाकुर, सचिव आर्यन राज, जय अवस्थी, शाहरुख मोईन, ओमप्रकाश मेरोठा व अन्य। प्रतियोगिता में पूरे भारतवर्ष से तीस से भी अधिक रचनाकरों ने प्रतिभाग किया। इंदौर मध्यप्रदेश से युवा लेखिका टिशा मेहता, बनारस, उत्तरप्रदेश से सूबेदार पांडेय आत्मानंद, व गीतांजली वार्ष्णेय, बजरंग लाल सैनी "वज्रघन", निशा भारती, संजय जैन, अनंतराम चौबे, गरिमा, रश्मिलता मिश्रा, दीनदयाल सोनी "स्वर्ण", प्रशांत कुमार "पी.के.", गरिमा कांसकार, कंचन प्रभा, आनंद बाला शर्मा, ओमप्रकाश मेरोठा, कमलकिशोर ताम...
प्रकृति
कविता

प्रकृति

सौरभ कुमार ठाकुर मुजफ्फरपुर, बिहार ************************ जहाँ जाने के बाद वापस आने का मन ना करे जितना भी घूम लो वहाँ पर कभी मन ना भरे हरियाली, व स्वच्छ हवा भरमार रहती है जहाँ सच में वही तो असली प्रकृति कहलाती है। जहाँ पर चलती गाड़ियों की शोर नही गूंजती जिस जगह की हवा कभी प्रदूषित नही रहती सारे जानवरों की आवाजें सदा गूंजती है जहाँ सच में वही तो असली प्रकृति कहलाती है। जहाँ नदियों व झड़नों का पानी पिया जाता है जहाँ जानवरों के बच्चों के साथ खेला जाता है बिना डर के जानवर विचरण करते हैं जहाँ सच में वही तो असली प्रकृति कहलाती है। पहाड़ जहाँ सदा शोभा बढ़ाते हैं धरती की नदियाँ जहाँ सदा शीतल करती हैं मिट्टी को वातावरण अपने आप में संतुलित रहता है जहाँ सच में वही तो असली प्रकृति कहलाती है। . परिचय :- नाम- सौरभ कुमार ठाकुर पिता - राम विनोद ठाकुर माता - कामिनी देवी पता - रतन...
आश्चर्य
लघुकथा

आश्चर्य

सौरभ कुमार ठाकुर मुजफ्फरपुर, बिहार ************************ आज सुबह जितेश का फ़ोन आया, हिमांशु ने फ़ोन रिसीव किया बोला: हेल्लो, क्या हालचाल जितेश, कैसे हो? जितेश बोला, क्या भाई तबियत खराब है? "भाई जितेश तुम अब बार-बार बिमार कैसे हो जाते हो?" हिमांशु ने पूछा ! "भाई याद है मुझे आज भी वह दिन जब मै बच्चा था, और गाँव में रहता था। कोई डर नही,कोई गम नही। जो मन में आया खाया, खेला! कभी बिमार नही होता था। पर आज शहर में रहता हूँ, हर पंद्रह दिन पर बिमार हो जाता हूँ। आज भी वही खाना खाता हूँ, जो गाँव में खाता था। गाँव में कुएँ और चापाकल का पानी पीता था आज मिनिरल वॉटर पीता हूँ। फिर भी मैं बिमार हो जाता हूँ। "एक बात समझ नही आता गाँव के मुकाबले शहर में सेहत का ध्यान अच्छे से रखता हूँ, फिर भी यार हर पंद्रह-बीस दिन पर बिमार हो जाता हूँ। जितेश बोला। "हिमांशु उसकी बातों को सुनकर आश्चर्य में पड़ा रह ग...
सर्वश्रेष्ठ देश
कविता

सर्वश्रेष्ठ देश

सौरभ कुमार ठाकुर मुजफ्फरपुर, बिहार ************************ यह देश बल्लभ, गाँधी का है, आजाद जैसे फौलादी का। लक्ष्मीबाई जन्मी यहीं पर, उड़ा था होश फिरंगियों का। धर्म-निरपेक्ष है देश हमारा, भारत है हमको जानो से प्यारा। लोकतांत्रिक है देश हमारा, देश हमारा है सबसे न्यारा। भारत को सर्वश्रेष्ठ बनाना है, सभी अपराधों से मुक्ति पाना है। भारत को शांतिप्रिय बनाना है, सभी देशद्रोहियों को मिटाना है। शहीद हुए वीर भगत सिंह, भारत को स्वतंत्र कराने को। याद रखें हम जज्बा उनका, दुश्मनों के छक्के छुड़ाने को। देश से प्रेम करना सीखें, देश पर जां फिदा करना सीखें, देश का आदर करना सीखें, भारत को सर्वश्रेष्ठ बनाना सीखें। . परिचय :- नाम- सौरभ कुमार ठाकुर पिता - राम विनोद ठाकुर माता - कामिनी देवी पता - रतनपुरा, जिला-मुजफ्फरपुर (बिहार) पेशा - १० वीं का छात्र और बाल कवि एवं लेखक जन्मदिन ...
हिम्मत
कविता, नैतिक शिक्षा, बाल कविताएं

हिम्मत

सौरभ कुमार ठाकुर मुजफ्फरपुर, बिहार ************************ तुम कुछ कर सकते हो तुम आगे बढ़ सकते हो। तुममे है बहुत हिम्मत तुम जग को बदल सकते हो। तुम खुद से हिम्मत नही हारना। कभी खुद का भरोसा मत हारना। तुम झूठ का मार्ग छोड़ सच्चाई के रास्ते पर चलते रहना। मुसीबत बहुत आते हैं जीवन में बस डट कर सामना करना। तुम ही देश के भविष्य हो यह बात हमेशा याद रखना। आत्मविश्वास बनाए रखो तुम हर कार्य पूरा कर पाओगे अपनी प्रयास तुम जारी रखो एक दिन जरुर सफल हो जाओगे। तुम करना कुछ ऐसा की, सारी दुनिया तुम्हारे गुण गाए। तुम बनना ऐसा की महानों की, महानता भी कम पड़ जाए। तुम रखना हिम्मत इतना की, वीर योद्धा की तलवार भी झुक जाए। तुम बनना इतना सच्चा की हरीशचंद्र के बाद तुम्हारा नाम लिया जाए। . परिचय :- नाम- सौरभ कुमार ठाकुर पिता - राम विनोद ठाकुर माता - कामिनी देवी पता - रतनपुरा, जिला-मुजफ्फरपुर (बिहार...
विछोह की पीड़ा
कविता

विछोह की पीड़ा

सौरभ कुमार ठाकुर मुजफ्फरपुर, बिहार ************************ पता नही किस शहर में, किस गली तुम चली गई। मै ढूँढ़ता रह गया, तुम छोड़ गई। पता नही हम किस मोड़ पर फिर कभी मिल पाएँगे। इस अनूठी दुनिया में फिर किस तरह से संभल पाएँगे। पता नही तेरे बिन हम, जी पाएँगे या मर जाएँगे। हम बिछड़ गए उस दिन, जिस दिन तुम मुझसे मिलने वाली थी मै तुमसे मिलने वाला था। इस अंधी दुनिया ने कभी हमको समझा ही नही। काश समझ पाती दुनिया, तो हम कभी बिछड़ते ही नही। प्यार करते थे हम तुमसे, पर कभी कह ही न पाएँ। आज भी सोचता हूँ की, काश वो दिन वापस लौट आए। बहुत समय लगा दिया हमने इजहार में। कब तक भटकेंगे हम तेरे इन्तजार में। हम बिछड़ गए थे उस दिन, जिस दिन, तुम मुझसे मिलने वाली थी, मै तुमसे मिलने मिलने वाला था। . परिचय :- नाम- सौरभ कुमार ठाकुर पिता - राम विनोद ठाकुर माता - कामिनी देवी पता - रतनपुरा, जिला-मुजफ्फरपुर (बि...
नारी पर प्रताड़ना
कविता

नारी पर प्रताड़ना

सौरभ कुमार ठाकुर मुजफ्फरपुर, बिहार ************************ कब तक सहूँगी प्रताड़ना, कभी तो पूरी करो मेरी कामना। चीख-चीखकर रो रही हूँ मै, कभी तो मान लो मेरी कहना। मत करो तुम मेरी अवमानना, नही तो बाद में प पछताना। नारी शक्ती बन कर तैयार हूँ मै, अभी कभी मत मुझसे टकराना। मत करो तुम किसी पर प्रताड़ना, दहेज के लिए बहुओं को मत जलाना। नही तो नारी चंडी बन जाएगी। फिर मुश्किल हो जाएगा तुम्हारा जीना। अब नही करना तुम किसी से प्रताड़ना, अब तो है पूरा जागरुक जमाना। . परिचय :- नाम- सौरभ कुमार ठाकुर पिता - राम विनोद ठाकुर माता - कामिनी देवी पता - रतनपुरा, जिला-मुजफ्फरपुर (बिहार) पेशा - १० वीं का छात्र और बाल कवि एवं लेखक जन्मदिन -१७ मार्च २००५ देश के लोकप्रिय अखबारों एवं पत्रिकाओं में अभी तक लगभग ५० रचनाएँ प्रकाशित सम्मान-हिंदी साहित्य मंच द्वारा अनेकों प्रतियोगिताओं में सम्मान पत्र, सास्वत ...
हिम्मत
कविता

हिम्मत

************ सौरभ कुमार ठाकुर मुजफ्फरपुर, बिहार तुम कुछ कर सकते हो तुम आगे बढ़ सकते हो। तुममे है बहुत हिम्मत तुम जग को बदल सकते हो। तुम खुद से हिम्मत नही हारना। कभी खुद का भरोसा मत हारना। तुम झूठ का मार्ग छोड़ सच्चाई के रास्ते पर चलते रहना। मुसीबत बहुत आते हैं जीवन में बस डट कर सामना करना। तुम ही देश के भविष्य हो यह बात हमेशा याद रखना। आत्मविश्वास बनाए रखो तुम हर कार्य पूरा कर पाओगे अपनी प्रयास तुम जारी रखो एक दिन जरुर सफल हो जाओगे। तुम करना कुछ ऐसा की, सारी दुनिया तुम्हारे गुण गाए। तुम बनना ऐसा की महानों की, महानता भी कम पड़ जाए। तुम रखना हिम्मत इतना की, वीर योद्धा की तलवार भी झुक जाए। तुम बनना इतना सच्चा की हरीशचंद्र के बाद तुम्हारा नाम लिया जाए . परिचय :- नाम- सौरभ कुमार ठाकुर पिता - राम विनोद ठाकुर माता - कामिनी देवी पता - रतनपुरा, जिला-मुजफ्फरपुर (बिहार) पेशा - १० वीं का ...
मोहब्बत
कविता

मोहब्बत

************ सौरभ कुमार ठाकुर जब आपने कह दिया है तो क्यों रुकेंगे किसी के सामने हम अब क्यों झुकेंगे। मोहब्बत किया है हमने, कोई चोरी नही मरे सारी दुनिया परन्तु हम क्यों मरेंगे। दिल में उसे बसाया है सच में सौरभ भूलें सारी दुनिया पर उसे नही भूलेंगे डर नही किसी का भी अब मोहब्बत में मोहब्बत किया है तो पूरा करके छोड़ेंगे। वायदा किया है उससे सातों जनम का तो साथ ही जिएंगे और साथ ही मरेंगे। हम वो मौसम नही की साल में एकबार आए अब किया है मोहब्बत तो हरसंभव निभाएँगे। . परिचय :- नाम- सौरभ कुमार ठाकुर पिता - राम विनोद ठाकुर माता - कामिनी देवी पता - रतनपुरा, जिला-मुजफ्फरपुर (बिहार) पेशा - १० वीं का छात्र और बाल कवि एवं लेखक जन्मदिन -१७ मार्च २००५ देश के लोकप्रिय अखबारों एवं पत्रिकाओं में अभी तक लगभग ५० रचनाएँ प्रकाशित सम्मान-हिंदी साहित्य मंच द्वारा अनेकों प्रतियोगिताओं में सम्मान पत...
पानी
कविता

पानी

************ रचयिता : सौरभ कुमार ठाकुर पानी पियो खाना बनाओ सिंचाई करो पानी फेंको या बर्बाद करो। कुछ फर्क नही पड़ता खत्म तो होगा पानी ही और प्रभाव पड़ेगा इंसान पर पर्यावरण पर जानवरों पर पेड़-पौधों पर और सारी दुनिया पर। . परिचय :- नाम- सौरभ कुमार ठाकुर पिता - राम विनोद ठाकुर माता - कामिनी देवी पता - रतनपुरा, जिला-मुजफ्फरपुर (बिहार) पेशा - १० वीं का छात्र और बाल कवि एवं लेखक जन्मदिन -१७ मार्च २००५ देश के लोकप्रिय अखबारों एवं पत्रिकाओं में अभी तक लगभग ५० रचनाएँ प्रकाशित सम्मान-हिंदी साहित्य मंच द्वारा अनेकों प्रतियोगिताओं में सम्मान पत्र, सास्वत रत्न, साहित्य रत्न, स्टार हिंदी बेस्ट राइटर अवार्ड - २०१९ इत्यादी। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित कर...
अहसास
ग़ज़ल

अहसास

************ रचयिता : सौरभ कुमार ठाकुर मोहब्बत का अहसास होता ही रह गया, पता नही मैं कब तक सोता ही रह गया । . मोहब्बत किया था मैंने उससे एक दफा, पर कहने की हिम्मत जुटाता ही रह गया । . दिल में तो मेरे काफी ख्याल थे उसके लिए, पर आज या कल कहूँ सोचता ही रह गया । . जगाना था प्यार भरा भाव उसके दिल में, मैं तो उसके दिल में विष बोता ही रह गया । . है मोहब्बत की उस राह पर खड़ा, सौरभ, अहसास मोहब्बत का करता ही रह गया । . कभी जीता था मैं उस माशुका के प्यार में, उसी के प्यार में आज मैं रोता ही रह गया । . पाना था उसकी मोहब्बत को मुझे किसी पल, प्रतिदिन मोहब्बत उसकी खोता ही रह गया । . अहसासों में उसे ढूँढ़ता फिर रहा हर गली, ना चाहते हुए भी हर-पल मरता ही रह गया । . परिचय :- नाम- सौरभ कुमार ठाकुर पिता - राम विनोद ठाकुर माता - कामिनी देवी पता - रतनपुरा, जिला-मुजफ्फरपुर (बिहार) पेशा - १० वीं का छात्र औ...
गुरुजी
कविता

गुरुजी

************ रचयिता : सौरभ कुमार ठाकुर अज्ञानता दूर करके गुरुजी ने, ज्ञान की ज्योती जलाया है। गुरु जी के चरणों में रहकर, हमने सब शिक्षा पाया है। गलत राह पर भटके जब हम, गुरुजी ने ही राह दिखाया है। सत्य मार्ग पर चलने को, गुरुजी ने दिशा दिखाया है। गुरुजी का आदर करके, हमने आशीर्वाद पाया है। क्या है दुनिया, कैसी है दुनिया? गुरुजी ने हमें बताया है। असाक्षरता के अंधरे में, गुरुजी ने शिक्षा का दीप जलाया है। पढ़-लिखकर क्या करें हम, गुरुजी ने यह भी हमें बताया है। इस भरी-पूरी दुनिया का, गुरुजी ने महत्व समझाया है। बीच धार से बाहर निकलना, गुरुजी ने हमें सिखाया है। मुश्किलों के सामने डटना, गुरुजी ने यह भी हमें बताया है। लाख मुसीबतों में डट कर खड़े रहना, गुरुजी ने हमें सिखाया है । हमेशा बड़ों की आदर करना, गुरुजी ने हमें सिखाया है । हमें आगे बढ़ने का रास्ता, गुरुजी ने ही दिखाया है । सबको ज्ञान बाँटते ...
पिता और बेटा
कविता

पिता और बेटा

======================= रचयिता : सौरभ कुमार ठाकुर मजदूरी करके भी हमको उसने पढ़ाया है। कचौड़ी के बदले उसने सूखी रोटी खाया है। हम पढ़-लिखकर इन्सान बनेंगे, यह उम्मीद उसने खुद में जगाया है। जब पिया सिगरेट बेटा, देख वह शरमाया है। उसने नशा का मूँह ना देखा, बेटे ने शिखर आज चबाया है। उसकी उम्मीदों का आज गला घोंट, पता नही बेटे ने आज क्या पाया है। परिचय :- नाम- सौरभ कुमार ठाकुर पिता - राम विनोद ठाकुर माता - कामिनी देवी पता - रतनपुरा, जिला-मुजफ्फरपुर (बिहार) पेशा - १० वीं का छात्र और बाल कवि एवं लेखक जन्मदिन - १७ मार्च २००५ देश के लोकप्रिय अखबारों एवं पत्रिकाओं में अभी तक लगभग ५० रचनाएँ प्रकाशित सम्मान-हिंदी साहित्य मंच द्वारा अनेकों प्रतियोगिताओं में सम्मान पत्र, सास्वत रत्न, साहित्य रत्न, स्टार हिंदी बेस्ट राइटर अवार्ड - २०१९ इत्यादी। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फ...
माँगे
कविता

माँगे

======================= रचयिता : सौरभ कुमार ठाकुर हक के लिए आवाज उठाया तो सही, आवाज में हमारे वजनदारी चाहिए। देश हमारा प्यारा, श्रेष्ठ और सच्चा है, बस देशवाशियों में भी ईमानदारी चाहिए। भ्रष्टाचार अभी चरम सीमा पर है, बस हमें सच्चे अधिकारी चाहिए। आरोपियों को कड़ी-से-कड़ी सजा मिले, जल्द-से-जल्द हमारी माँग पूरी चाहिए। आरोपियों को सजा दे सकें हम, हमे भी ये हिस्सेदारी चाहिए। सारे-के-सारे देशवासी एकजुट हो, अब नही हमें वो गद्दारी चाहिए। हम किस तरह सुरक्षित रह सकते हैं, इस बात की हमें समझदारी चाहिए। अपराधों को खत्म करते हुए, भारत माता हमे अब प्यारी चाहिए। परिचय :- नाम- सौरभ कुमार ठाकुर पिता - राम विनोद ठाकुर माता - कामिनी देवी पता - रतनपुरा, जिला-मुजफ्फरपुर (बिहार) पेशा - १० वीं का छात्र और बाल कवि एवं लेखक जन्मदिन - १७ मार्च २००५ देश के लोकप्रिय अखबारों एवं पत्रिकाओं में अभी तक लगभग ५० रचनाएँ प...
विछोह की पीड़ा
कविता

विछोह की पीड़ा

============================================ रचयिता : सौरभ कुमार ठाकुर पता नही किस शहर में, किस गली तुम चली गई। मै ढूँढ़ता रह गया,तुम छोड़ गई। पता नही हम किस मोड़ पर फिर कभी मिल पाएँगे। इस अनूठी दुनिया में फिर किस तरह से संभल पाएँगे। पता नही तेरे बिन हम, जी पाएँगे या मर जाएँगे। हम बिछड़ गए उस दिन,जिस दिन तुम मुझसे मिलने वाली थी मै तुमसे मिलने वाला था। इस अंधी दुनिया ने कभी हमको समझा ही नही। काश समझ पाती दुनिया, तो हम कभी बिछड़ते ही नही। प्यार करते थे हम तुमसे, पर कभी कह ही न पाएँ। आज भी सोचता हूँ की, काश वो दिन वापस लौट आए। बहुत समय लगा दिया हमने इजहार में। कब तक भटकेंगे हम तेरे इन्तजार में। हम बिछड़ गए थे उस दिन,जिस दिन, तुम मुझसे मिलने वाली थी, मै तुमसे मिलने मिलने वाला था। परिचय :- नाम- सौरभ कुमार ठाकुर पिता - राम विनोद ठाकुर माता - कामिनी देवी पता - रतनपुरा, जिला...