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मत वहन करो
कविता

मत वहन करो

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** मत वहन करो मेरे विचार को मुझे भी नहीं चाहिए तुमसे अलंकार के भूषण। मत वहन करो मेरी वाणी को मुझे भी नहीं चाहिए तुमसे छंदों के बंधन। मत वहन करो मेरे अंतर्द्वंद को मुझे भी नहीं चाहिए तुमसे परिछंदों के द्वंद। मत वहन करो मेरे अंत:वेगों को मुझे भी नहीं चाहिए तुमसे रागों की रागनी। मत वहन करो मेरे हृदय तल की असवादों को मुझे भी नहीं चाहिए तुम्हारे रसों से उत्पन्न रसायन। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित...