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Tag: डॉ. राजीव डोगरा “विमल”

आंतरिक गुलाम
कविता

आंतरिक गुलाम

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** आजाद हुए हम गौरो से मगर अभी नही हुए औरों से। जीत चुके हैं हम औरों से मगर हारे हुए हैं अभी अपने विचारों से। छोटे को बड़ा, बड़े को छोटा समझना अभी छोड़ा नहीं। जाति-पाति के कठोर नियमों से मुख भी अभी मोड नहीं। क्षितिज से आर जीवन से पार अभी कुछ देखा नही । धर्म कर्म के नाम पर शोषण अभी तक छोड़ा नही। जीवन के तराजू पर कभी खुद को तोला नही। महोबत के नाम पर जिस्म का शोषण अभी तक छोड़ा नही। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हि...
ताड़व
कविता

ताड़व

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** मृत्यु तुम क्यों आ रही हो यू क्यों बार-बार मुस्कुरा रही हो? क्या प्रलय करता हुआ जल तुमको भाँता है? क्या सड़ती हुई लाशें तुम्हें सुकून देती है? क्या तुमको कभी किसी ने पुकारा है? क्या तुमको कभी किसी ने ठुकराया है? किस क्रोध में तुम बरस रही? किस दर्द में तुम तूफा बन बहक रही? क्या देवों की भूमि में आ बसे है राक्षस? तुम जिनका अब नरसंहार कर रही? परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छ...
राहु
कविता

राहु

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** राहु हूँ नई राह दिखता हूँ। पथ पर अग्रसर कर अपार सफलता दिलवाता हूँ। कर्म बुरे करते तो रोग, शत्रुता और ऋण बढ़ाता हूँ। शुभ कर्मो पर धनार्जन के नये मौके दिखलाता हूँ। शुक्र, शनि, बुध मित्रों संग मिलकर राज पाठ का अधिकारी भी बनाता हूं। १८ साल की महादशा में सब के रंग दिखलाता हूँ। तभी तो अपने रंग में रंगा रह कर कैपुट कहलाता हूँ। जापता जो नाम मेरा महादशा में उसके बिगड़े हर काम बनाता हूँ। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हि...
अजीब दास्तां
कविता

अजीब दास्तां

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** अंदर ही अंदर लोग कफ़न ओढ़ रहे है मोहब्बत के नाम पर दफन हो रहे है। देखते नहीं सुनते नहीं समझते भी नहीं बस मोहब्बत के नाम पर गम ढो रहे है। अपनों का परायों का यहां कोई भेद नहीं अपने मतलब के लिए बस छल कर रहे है। जीत का हार का किसी को कोई मतलब नहीं बस अपने रुतबे के लिए औरों को गिरा रहे है। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी...
सामना
कविता

सामना

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** रुख पहाड़ों की तरफ किया तो समझ आया जन्नत इस धरा पर भी है। रुख बादलों की तरफ किया तो समझ आया बदमाशी इनमें भी है। रुख बहती नदी की तरफ किया तो समझ आया जीवन का बहाव इनमें भी है। रुख हरे-भरे खेतों की तरफ किया तो समझ आया जीवन का अंश इनमें भी है। रुख वृक्षों की तरफ किया तो समझ आया जीवन की समझदारी इनमें भी है। रुख डूबती हुई नाव की तरफ गया तो समझ आया जीवन का अंतिम पड़ाव इनमें भी है। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष...
बदलियां गल्ला
आंचलिक बोली, कविता

बदलियां गल्ला

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** (पहाड़ी कविता) अज्ज कल बदलना लग्गियां तेरियां गल्लां तेरे शहरे दे मौसमे सैंई। अज्ज कल बदलना लग्गा। तेरा अंदाज गिरगिटे दे रंगे सैंई। अज्ज कल बदलना लग्गा तेरा प्यार तेरे रुसदे चेहरे सैंई। अज्ज कल बदलना लग्गा तेरा व्यवहार तेरियां नजरा सैंई। अज्ज कल बदलना लग्गे तेरे जज्बात तेरे लफ्जां सैंई। अज्ज कल बदलना लग्गी मेरी अहमियत तेरी बदलिया सोच्चा सैंई। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने पर...
हिमाचल गान
कविता

हिमाचल गान

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** उच्च हिमालय बहती नदियां कल कल करती झरनों की आवाजें फैली हरियाली, सुगंधित सुमन महके समीर, बहकी कलियाँ ऐसी गोद हिमाचल की जय-जय-जय हिमाचल की। ऊंचे वृक्ष, नीची नदियां कर्कश करती चट्टानें चहकते पक्षी, महकती फसलें सरसराहट करता पानी गरजते बादल, बसरते घन ऐसी गोद हिमाचल की जय-जय-जय हिमाचल की। बाल ग्वाल, लाल गाल मदमस्त धूप, अनंत गगन मीठी बातें, ठंडी रातें धौलाधार की श्रंखलाएँ देवों की भूमि, सनातन की आन ऐसी गोद हिमाचल की जय-जय-जय हिमाचल की। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
जीवांत जीवन
कविता

जीवांत जीवन

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** बढो़गे जीवन में तो उड़ते रहोगे जीवांत पक्षी की तरह नहीं तो टूट कर बिखर जाओगे किसी शाख के मुझराये पत्ते की तरह। जीवांत हो तो जीना पड़ेगा सूर्य चांद की तरह नहीं तो पड़े रहोगे शमशान की जली बुझी हुई राख की तरह। जीवांत हो तो महकते रहोगे किसी सुगंधित फूलों की तरह नही तो मुरझा जाओगे किसी टूटे बिखरे फूल की तरह। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते...
कुछ भी नही
कविता

कुछ भी नही

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** न कोई शिकवा न कोई शिकायत। न कोई दर्द न कोई हमदर्द। न कोई अपना न कोई पराया। न कोई सुख न कोई दुख। न कोई चोर न कोई शोर। न कोई राही न कोई हमराही। न कोई जीत न कोई हार। न कोई रक्षक न कोई भक्षक। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी...