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Tag: बाल कृष्ण मिश्रा

मैं बेचारा तन्हा अकेला
कविता

मैं बेचारा तन्हा अकेला

बाल कृष्ण मिश्रा रोहिणी (दिल्ली) ******************** मैं बेचारा तन्हा अकेला भीगी राहों पर ढूँढ रहा, खुद को, कहीं। सड़कें भीगीं, शहर धुंधला, आसमान में घना कोहर। भीगे आँखों से छलके यादों की धार, हर बूँद में गूँजे तेरा प्यार। शहर की भीड़ में, मैं खुद से पूछता, अपनी परछाई से ही अब मैं रूठता। पत्थरों में चमक, पर दिल में अँधेरा, टूटे सपनों सा लगता जीवन। खोया है कुछ, या पाया सवेरा? मैं मुस्कुराता नहीं मगर, हार भी मानता नहीं। सपनों की राख से, गढ़ता कोई सितारा। परिचय :- बाल कृष्ण मिश्रा निवासी : रोहिणी, (दिल्ली) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।...
मातृभूमि (माँ) तुझे प्रणाम
कविता

मातृभूमि (माँ) तुझे प्रणाम

बाल कृष्ण मिश्रा रोहिणी (दिल्ली) ******************** मातृभूमि (माँ) तुझे प्रणाम उगता सूरज तिलक लगाता उज्जवल चंद्र किरण की वर्षा, नतमस्तक हूँ तेरे चरणों में तेरे चरणों में चारों धाम। मातृभूमि (माँ) तुझे प्रणाम।। तेरी माटी शीतल चंदन, जिसमें खेले खुद रघुनन्दन। जिसमें कान्हा ने जन्म लिया, कभी खाई, कभी लेप किया। सीता की मर्यादा यहाँ, यहाँ मीरा का प्रेम। मन के दर्पण का तू दर्शन तेरे आँचल में संस्कृति का मान। मातृभूमि (माँ) तुझे प्रणाम।। कल-कल करती नदियां अपनी संगीत सुनाए। चूं-चूं करती चिड़िया अपनी गीत सुनाए। मातृभूमि की पावन धरा, हर हृदय में प्रेम संजोए काशी विश्वनाथ की आरती, हर मन में दीप जलाए। आध्यात्म की गहराई यहाँ और विज्ञान की उड़ान। मातृभूमि (माँ) तुझे प्रणाम।। दिव्य अलौकिक अजर-अमर कंकर भी बन जाता यहाँ शंकर। बलिदानों की गाथा तू , तू वीरो...