यहाँ वहाँ खेतों में
बृजेश आनन्द राय
जौनपुर (उत्तर प्रदेश)
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यहाँ वहाँ खेतों में
कटे बिछे गेहूँ पर
गिरती है चाँदनी
अभ्र रहित अंबर है
गोरी है, चैता है
टूटा हुआ उर है
मन में उतरे जो
बिरहन का स्वर है
बिखरे हुए बोझ
जैसे बैठे हुए-
'बादल' हैं
छोड़ कर आएँ जो
अंबर का आँचल हैं
अभी न बरसने का
एक एक वादा है
खलिहानी पहुंँचने का
पक्का इरादा है।
परिचय :- बृजेश आनन्द राय
निवासी : जौनपुर (उत्तर प्रदेश)
सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर म.प्र.द्वारा शिक्षा शिरोमणि सम्मान २०२३ से सम्मानित
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहा...