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Tag: शकुन्तला दुबे

आनंद में डूबती उतरती अविस्मरणीय यात्रा
यात्रा वृतांत

आनंद में डूबती उतरती अविस्मरणीय यात्रा

शकुन्तला दुबे देवास (मध्य प्रदेश) ******************** प्रातः पांच पैंतालीस पर सुखद सुरक्षित यात्रा की कामना के साथ दीप प्रज्ज्वलित किया तब कल्पना भी नहीं थी कि अनुपम नैसर्गिक सौंदर्य हमारी बाट जोह रहा है। हमारे स्वागत के लिए बादल हल्की फूहारो के रूप में गुलाब जल बरसा रहे हैं। सुरमई उजाले के साथ हमारी यात्रा प्रारम्भ हुई सबसे पहला पड़ाव तिन्छाफाल ने अपने सौन्दर्य से मोहिनी सी डाल दी झर झर करती धवल धारा आंखों के रास्ते हृदय में उतर गई। दूर-दूर तक फैली मखमली घास के मैदानों के बीच कास के सफेद फूलों को देखकर बरबस गोस्वामी तुलसीदास जी रचित पंक्तियां याद आ गई फूले कास सकल महि छाई, जनु बरसा कृत प्रकट बुढ़ाई।। यहां वहां झरने झरने प्रकृति का अभिषेक कर रहे थे कहीं गहरे कहीं हल्के हरे रंग के मैदानों के बीच खड़ा कजलीगढ़ का किला मौन होकर भी अपने गौरवशाली अतीत की गाथा सुना रहा था। ओखलेश्वर...
केवल प्यार
कविता

केवल प्यार

शकुन्तला दुबे देवास (मध्य प्रदेश) ******************** स्पर्श हीन। रंग हीन। गन्ध हीन। पर अगोचर विस्तार वो है प्यार, प्यार,प्यार। छुपा है दीपक में ज्योति सा सीप में मोती सा दर्पण में छवि सा। प्यार ... बसा है रवि रश्मि में प्रकाश बनकर। विधुलेखा में आस बनकर। जीवन रेखा में स्वास बनकर। गुंजित है कोयल की कूक में। ग्रीष्म की फूंक में। दिल की हूक में व्याप्त है। फूलों की सुगन्ध में बच्चों की किलकारियो में। चिड़ियों के कलरव में प्यार-प्यार-प्यार ... परिचय :- शकुन्तला दुबे निवासी : देवास (मध्य प्रदेश) शिक्षा : एम.ए. हिन्दी, समाज शास्त्र, दर्शन शास्त्र। सम्प्रति : सेवा निवृत्त शिक्षिका देवास। घोषणा : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि र...
रात बीत गई
गीत

रात बीत गई

शकुन्तला दुबे देवास (मध्य प्रदेश) ******************** बीत गई रात काली फिर क्यों उदास है पूरब की और देख आ रहा प्रकाश है तू क्यों हताश हैं। जीवन के दो पहलू सुख और दुःख है। दुखों से लड़ लेगा तू मन में जो विश्वास है। पूरब की और ... कर्म की भी दो गति एक जीत दूसरी हार है। हार के भी जो हंस लें वही मानव आस है। पूरब की और .... एक क्षण मिलन दूसरा बिछोह है जीवन में पलता मोह है मोह से मुक्त हो यही सच्चा ज्ञान है। पूरब की और .... संकटों से मत डरो भर दो हुंकार तुम मुश्किलों को जीत लो ऐसा विश्वास हो तुम। संकटों को काट दे हो ऐसी धार तुम फिर क्यों निराश तुम पूरब की और देख आ रहा प्रकाश है।। परिचय :- शकुन्तला दुबे निवासी : देवास (मध्य प्रदेश) शिक्षा : एम.ए. हिन्दी, समाज शास्त्र, दर्शन शास्त्र। सम्प्रति : सेवा निवृत्त शिक्षिका देवास। घोषणा : मैं यह प्रमाणित करत...
मन का मैदान
कविता

मन का मैदान

शकुन्तला दुबे देवास (मध्य प्रदेश) ******************** मैदान तो मैदान होता है धरा का हो या मन का। मार लिया जिसने मनका मैदान। जीत लिया उसने सारा जहान। मन का मैदान नहीं औरसे चौरस वो तो निरा गोल है। कोना नहीं है कोई, ना कोई छोर। इसलिए नहीं पकड़ पाते मन की डोर। विचारों का अंधड़ कोई बीज बो जाता है वो मानस के पावस से हरा हो जाता है। तब मन का मैदान बनता है बगीचा। जैसे सुन्दर फूलों का गलीचा। किन्तु जब होती है ईर्ष्या, द्वेष, छल, कपट की अतिवृष्टि। दल-दल में बदल जाती समुची सृष्टि। मानस मैदान को कीच से बचाना है। मन को दोष रहित, विमल बनाना है। तो बोते रहिए बीज विश्वास के, गाते रहिए प्रेम के गान। अखिल सृष्टि खिल उठे, हरियाता रहे। मन का मैदान। परिचय :- शकुन्तला दुबे निवासी : देवास (मध्य प्रदेश) शिक्षा : एम.ए. हिन्दी, समाज शास्त्र, दर्शन शास्त्र। सम्प...
अकेली लड़की
कविता

अकेली लड़की

शकुन्तला दुबे देवास (मध्य प्रदेश) ******************** अकेली लड़की हां। मैं अकेली लड़की हूं। तो क्या हुआ? मेरे साथ मैं तो हूं। अपनी सम्पूर्ण सजगता के साथ। मेरी इच्छाएं आकांक्षाएं अपने विस्तार के साथ। हमेशा रहती है मेरे पास। मेरी सहचरी बनकर कभी सपना कभी सखी बनकर। जब इस निष्ठुर संसार में आदमियों की भीड़ में भी। आदमी अपने आपको पाता है नितान्त अकेला। सुनेपन को झेलता हुआ। तब मैं अकेली नहीं। मैं देती हूं अपने आपको सहारा। एक सुंदर संसार प्यारा मेरे अन्तस का संसार हरा-भरा सबसे न्यारा। जिसमें व्याप्त सकल रुप मे मैं-मैं-मैं और मैं। संसार हरा भरा परिचय :- शकुन्तला दुबे निवासी : देवास (मध्य प्रदेश) शिक्षा : एम.ए. हिन्दी, समाज शास्त्र, दर्शन शास्त्र। सम्प्रति : सेवा निवृत्त शिक्षिका देवास। घोषणा : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।...