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Tag: संजय वर्मा “दॄष्टि”

मन
कविता

मन

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** अपनी आँखों से काजल उतार कर मेरे माथे पर टीका लगाती। मेरे होंठों पर लगे दूध को अपने आँचल से पोछती होठों से प्यार की चुम्बन देती माथे पर शुभाशीष की तरह। फिर भी माँ के मन मे नजर ना लग जाए कहीं भय समय रहता। भले ही माँ भूखी हो मुझे आई तृप्ति की डकार से माँ संतुष्ट हो जाती। आईने में संवारने लगी हूँ खुद को क्योकि मे बड़ी जो हो गई। पिया के घर माँ की दी हुई पेटी जब खोलकर देखती हूँ उसमे रखे मेरे बचपन के अरमान जिसे संजो के रखे थे मेने गुड्डे -गुडिया कनेर के पांचे और खाना बनाने के खिलौने। इन्हें पाकर मन संतुष्ट लेकिन आँखे नम आज माँ नहीं है इस दुनिया मे। अपनी बेटी के लिए आज वही दोहरा रही हूँ जो सीखा-संभाला था अपनी माँ से मैने कभी। परिचय : संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता : श्री शांतीलालजी वर्...
बिटिया
कविता

बिटिया

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** माँ से बिटिया का स्नेह होता है लाजवाब बिटिया को सुलाती अपनी गोदी में लगता है जैसे फूलों के मध्य पराग हो झोली में। माँ की आवाज कोयल सी और बिटिया की खिलखिलाहट पायल की छुन-छुन सी लगता है जैसे मधुर संगीत हो फिजाओं में। माँ तो ममता की अविरल बहती नदी बिटियाँ हो जैसे कलकल सी आवाज निर्मल पावन जल की लगता है जैसे पूजते रहे सदियों से इन्हे। माँ होती चांदनी सी बिटिया हो सूरज की पहली किरण दोनों देती है रौशनी अपने-अपने पथ/कर्तव्य की लगता हो जैसे भ्रूण-हत्या का अंधकार हटा रही हो माँ-बेटी से जन्म लेते है कई रिश्ते ये होती है समाज का आधार दोनों के बिना होता है जीवन सूना लगता है जैसे इनमे बसती जीवन की सांस। परिचय : संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि : २ मई १९६२ (उज...
चन्द्रयान
कविता

चन्द्रयान

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** सीढ़ी पर चढ़कर ढूंढ़ता हूँ बादलों में छुपे चाँद को पकड़ना चाहता हूँ चंदा मामा को बचपन में दिलों दिमाग में समाया था। लोरियों, कहानियों में रचा बसा था माँ से पूछा की चंदा मामा अपने घर कब आएंगे ये तो बस तारों के संग ही रहते है ये स्कूल भी जाते या नहीं अमावस्या को इनके स्कूल की छुट्टी होती होगी। तभी तो ये दिखते नहीं माँ ने आज खीर बनाई इसलिए मामा को खीर खाने बुलाने के लिए सीढ़ियों पर चढ़ कर देखा मामा का घर तो बहुत दूर है। माँ सच कहती थी चंदा मामा दूर के पोहे पकाए ... मैं बड़ा हो के चन्द्रयान में जाऊंगा जैसे गए थे निल आर्मस्ट्रांग तब माँ के हाथों की बनी खीर का न्यौता अवश्य दूंगा। परिचय : संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि : २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा : आय टी आय निवासी : मनावर, ...
और आना
कविता

और आना

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** विदा होते ही आँखों की कोर में आँसू आ ठहरते और आना/जल्द आना कहते ही ढुलक जाते आँसू इसी को तो रिश्ता कहते जो आंखों और आंसुओ के बीच मन का होता है मन तो कहता और रहो मगर रिश्ता ले जाता अपने नए रिश्ते की और जैसे चाँद को बादलों से होता रिश्ता ईद/पूनम का जैसा दिखता नहीं मन हो जाता बेचैन हर वक्त निहारती आँखे जैसे बेटी के विदा होते ही सजल हो उठती आँखे कोर में आँसू आ ठहरते फिर ढुलकने लगते आँखों में आंसू विदा होने के पल चेहरे छुपते बादल में चाँद की तरह जब कहते अपने- और आना दूरियों का बिछोह संग रहता है आँसू शायद यही तो अपनत्व का है जादू जो एक पल में आँसू छलकाने की क्षमता रखता जब अपने कहते- और आना परिचय : संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि : २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा : आय टी आय ...
खुली खिड़की
कविता

खुली खिड़की

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** जब खिड़की खोलकर देखता हूं बाहर का नजारा चिड़ियों की चहक दोस्तों का दिखना ठंडी हवा फूलों की खुशबू कर देती मन को ताजा सूरज की किरणें घर में उजास भर देती जब सुबह खिड़की खोलती। अब मेरी आदत खिड़की खोलने की चिड़ियों ने चहचाहट कर रोज़ डाल दी अब महसूस हुआ प्रकृति कितनी सुंदर है ऐसा लगता तितलियां, भोरें और पंछी मानो मेरा अभिवादन कर रहे हो। परिचय : संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि : २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा : आय टी आय निवासी : मनावर, धार (मध्य प्रदेश) व्यवसाय : ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) प्रकाशन : देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक", खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा-अंतर्राष्ट्रीय स्तर...
सावन
कविता

सावन

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** आकाश को निहारते मोर सोच रहे, बादल भी इतने वाले हो गए बिन बुलाए बरते नहीं शायद बादल को कड़कड़ाती बिजली चमकती होगी सौतन की तरह। बादल का दिल पत्थर का नहीं होता प्रेम जागृति होता है आकर्षक सुंदर, धरती के लिए धरती पर आने को तरसते बादल तभी तो सावन में पानी का प्रेम-संदेश प्रेमी रहे रिमझिम फ़ुहारों से। धरती का रोम -रोम, संदेश संदेश हरियाली बन उठती है मोर अपने घोड़े को फैलाकर स्वागत है नाचने बाघ बादल चले जाते हैं बेवफाई करके छोड़ो जाओ हरित सावन में पानी की यादें धरती पर प्रेम संदेश के रूप में। परिचय : संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि : २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा : आय टी आय निवासी : मनावर, धार (मध्य प्रदेश) व्यवसाय : ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) प्रकाशन : देश-विदेश की विभि...
चंपा का फूल
कविता

चंपा का फूल

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** चंपा के फूल जैसी काया तुम्हारी मन को आकर्षित कर देती जब खिल जाती हो चंपा की तरह भोरे .तितलियों के संग जब भेजा हो सुगंध का सन्देश वातावरण हो जाता है सुगंधित और मन हो जाता मंत्र मुग्ध। जब सँवारती हो चंपा के फूलो से अपना तन जुड़े में, माला में और आभूषण में लगता है स्वर्ग से कोई अप्सरा उतरी हो धरा पर। उपवन की सुंदरता बढ़ती जब खिले हो चंपा के फूल लगते हो जैसे धवल वस्त्र पर लगे हो चन्दन की टीके सुंदरता इसी को कहते बोल उठता हूँ - प्रिये तुम चंपा का फूल हो। परिचय : संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि : २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा : आय टी आय निवासी : मनावर, धार (मध्य प्रदेश) व्यवसाय : ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) प्रकाशन : देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार ...
रंगमंच
कविता

रंगमंच

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** विश्व रंगमंच की दुनिया देखो कोई अमीर कोई गरीब देखो हंसता-रोता हुआ चेहरा देखो मदद करता लुटता हाथ देखो कोई फैल कोई हुआ पास देखो सूरज देखो चांद को साथ देखो बेवफाई संग प्यार का खेल देखो झूट को कभी सत्य के पास देखो फूलों की खुशबू का साथ देखो रंगमंच के अभिनय को हर बार देखो परिचय : संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि : २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा : आय टी आय निवासी : मनावर, धार (मध्य प्रदेश) व्यवसाय : ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) प्रकाशन : देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक", खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के ६५ रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता सम्मान : राष्ट्रीय...
नारी और स्वतन्त्रता की उड़ान
कविता

नारी और स्वतन्त्रता की उड़ान

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** अखिल भारतीय कविता लिखो प्रतियोगिता विषय :- "नारी और स्वतन्त्रता की उड़ान" उत्कृष्ट सृजन पुरस्कार प्राप्त रचना नारी उड़ना चाहती स्वतंत्रता की वो शिक्षा के बल पर लगा चुकी उड़ने के पंख हर क्षेत्र में स्वतंत्रता के जरिये विकास के द्वार पुरुषों के संग खोल रही वे चाहती है कि दुनिया से उत्पीड़न, शोषण ओर बलात्कार हो बंद उसकी आक्रोशित आंखे कुप्रथाओं के खिलाफ आग उगल रही जल, थल ओर नभ में शासन कर दिखा रही स्वतंत्रता से उपजी नारी की शक्ति उन्मुक्त उड़ान भर विश्व में कर रही अपना नाम रोशन यही सोच हर नारी में स्वतंत्रता का मन में भर रही हौंसला। परिचय : संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि : २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा : आय टी आय निवासी : मनावर, धार (मध्य प्रदेश) व्यवसाय : ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) ...
शक्ति
कविता

शक्ति

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** मकड़ियों के जालो में बैठी भूखी मकड़ियां इंतजार करती कीट पतंगों का कब फंसेंगे ये जाल में ठग लोग भी बनाते ठगने का जाल कोई न कोई फंसेगा झूठ फरेबों के जाल में। मकड़ियां सूने घरों में ज्यादा बनाती जाले ठग भी कुछ ऐसा ही करते जहाँ हो सूनी सड़क हो या घर मकड़ियों का किसी से वास्ता नहीं होता उन्हें अपने काम से मतलब ठगो से बुद्धिजीवी इंसान कैसे ठग जाते ? और फंस जाते कीट पतंगों की तरह उनके रचे हुए जाल में। दीपावली पर सफाई में महिलाये कर देती मकड़ियों के जाले साफ़ इंतजार है महिलाएं कब करेगी इन ठगो को साफ़ क्योंकि कुछ मर्दो को मेहनत करना नहीं आता मेहनत की रोटी क्या होती उन्हें मालूम नहीं जबकि ठगी रोकने का काम बुद्धिजीवी मर्दो का है ठगी पर अंकुश नहीं लगा पाए जब मर्द महिलाओं पर ही अब विश्वास बचा है शेष उनक...
स्त्री
कविता

स्त्री

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** सच में अगर हम कविता रचते स्त्री पर रचे वो प्रकृति का साक्षात् रूप होती कविता और स्त्री दोनों ही सृजन करती और दोनों के बिना तो यह धरती बंजर होने में देर नहीं लगती I कविता और स्त्री जगह पर तमाम मोहक रूपों में दिखती और हम अभिभूत होते जाते जीवन चक्र की भाति । सुना था पहाड़ भी गिरते स्त्री पर पहाड़ गिरना समझ आया। कुछ समय बाद पेड़ पर पुष्प हुए पल्ल्वित जिन्हें बालों में लगाती थी कभी वो बेचारे गिर कर कहरा रहे और मानो कह रहे उन लोगो से जो शुभ कामों में तुम्हे धकेलते पीछे स्त्री का अधिकार न छीनो बिन प्रकृति और स्त्री के बिना संसार अधूरा हवा फूलों की सुगंध के साथ गिरे हुए पुष्प का कर रही समर्थन| परिचय : संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि : २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा : आय टी आ...
शोर
कविता

शोर

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** चिड़िया अपने घोसलों के लिए तिनके बीन कर लाई उसे फिक्र है अपने अंडों से निकले बच्चों के लिए सुरक्षित आवास देने की। उसने उड़ कर देख ली हैवानियत की दुनिया जहां मासूमियत को रौंदा जाता जिसकी रुदन की चीखों से चिड़िया के बच्चें डर गए पूछते माँ क्या इंसान इतना हैवान होगया। हमारे घोंसले में एक फाटक लगा देना हमसे मासूमियत की चीखें नहीं सुननी हैवानियत की गुहार कैसे करे जब हम उड़ने लगेंगे तब हम सब पक्षी शोर मचाएंगे जिससे लोगो का ध्यान हमारे शोर पर जाएगा लोगों को इस शोर से जागेंगे भले ही इंसान कानो में रुई ठोस के पड़े हो उसे जगना ही पड़ेगा क्योंकि हर घर मे चिड़िया सी बेटियां है। परिचय : संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि : २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा : आय टी आय निवासी : मनावर, धार (मध...
जब इश्क हुआ था
कविता

जब इश्क हुआ था

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** जब इश्क हुआ था तो गुनगुनी सी धूप ठंड में लगने लगती थी प्रेयसी कि तरह। जब इश्क हुआ था तब गर्मी में तब बदल जाते थे कभी उनके मिजाज बेवफा की तरह। धूप के भी रिश्ते है फूलों से जेसे होता है चाँद का चाँदनी से जब इश्क हुआ था तब इश्क की राह में धूप में नंगे पांव भी चल पड़ते थे परवाने की तरह। परिचय : संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि : २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा : आय टी आय निवासी : मनावर, धार (मध्य प्रदेश) व्यवसाय : ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) प्रकाशन : देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक", खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के ६५ रचनाकारों में लेखनीयता में सहभाग...
प्रवासी दुनिया
कविता

प्रवासी दुनिया

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** समुंदर का नीलापन आकाश का नीलापन उड़ रहे क्रेन पक्षी एक नया रंग दे रहे प्रकृति को। सुंदरता दिन को दे रही सौंदर्यबोध रात में ले रहा समुंदर करवटे लहरों की। तारों का आँचल ओढ़े चंद्रमा की चाँदनी निहार रही समुंदर को क्रेन पक्षी सो रहे जाग रहा समुंदर। मानों कह रहा हो प्रवास की दुनिया पर जाने से ही दुनिया और भी सुंदर लगती है। परिचय : संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि : २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा : आय टी आय निवासी : मनावर, धार (मध्य प्रदेश) व्यवसाय : ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) प्रकाशन : देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक", खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व क...
बेटियाँ
कविता

बेटियाँ

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** माता -पिता के गुजर जाने से घर को संभाल रही बेटियाँ कांधा देकर/अग्निदाह करके संस्कृति निभा रही बेटियाँ। बेटों के बिना बेटा बन के लोगों को दिखला रही बेटियाँ वेशभूषा से पहचान मुश्किल कहते है की बेटे है या बेटियाँ। वाहन चलाने से डरती थी हवाई- जहाज उड़ा रही बेटियाँ प्राकृतिक आपदाओ के समय लोगों की जाने बचा रही है बेटियाँ। देश की सीमा -प्रहरी बन के दुश्मनों को दहाड़ रही है बेटियाँ कुशल राजनीती बन कर ये देश -प्रदेश को संभाल रही बेटियाँ। भ्रूण हत्या ,दहेज़ ,बलात्कार को रोकने का बीड़ा उठा रही है बेटियाँ बेटी बचाओ का संकल्प लो सभी दुनिया को ये संदेश दे रही है बेटियाँ। परिचय : संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि : २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा : आय टी आय निवासी : मनावर, धार (मध्य प्रदेश...
आदर्श
कविता

आदर्श

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** आदर्श युवा की पहचान जैसे अब कम दिखाई देती बुरे व्यवसनो की बेड़ियों ने शायद जकड़ रखा हो। युवा समाज का उत्थान करना चाहे तो क्या और कैसे करें कोई नही बताता। युवा को तलाश है जागरूकता के तरकश की जिसमे पड़े तीर को भी इंतजार है व्यवसन रूपी राक्षस को मारने का कोई तो आएगा युवाओं को आदर्श का पाठ पढ़ाने जो व्यवसन मुक्त कर समाज के युवाओं का उत्थान कर सकें। परिचय : संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि : २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा : आय टी आय निवासी : मनावर, धार (मध्य प्रदेश) व्यवसाय : ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) प्रकाशन : देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक", खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा-अंतर...
शिक्षक
कविता

शिक्षक

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** शिक्षक की वाणी अनमोल शब्द सिखाते बिना मोल गुरु शिष्य परंपरा के प्रतीक होते है जैसे होती दिया और बाती ज्ञानार्जन का प्रकाश फैलाते शिष्य तभी तो आगे चलकर बड़ी पदवी पाते कर्म निर्माणकर्ता बन कर शिक्षक ने शिष्यों के जीवन आबाद किये जीवन बन गया स्वर्ग सफलता के उपवन में उन्नति के फूल खिलाये शिक्षक बिना ज्ञान अधूरा जैसे बिना सूरज के गहराता अंधेरा। परिचय : संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि : २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा : आय टी आय निवासी : मनावर, धार (मध्य प्रदेश) व्यवसाय : ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) प्रकाशन : देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक", खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा-अंत...
कोरे आश्वासन
कविता

कोरे आश्वासन

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** कानों को मधुर लगती ध्वनियाँ मंदिर की घंटी, पायल कोयल की कूंक हो या सुबह उठने के लिए माँ की मीठी पुकार। कानों के लिए वाणी की मिठासता बन जाती मोहपाश सा बंधन या उसी तरह भी लगती है जैसे प्रेमी-युगल की मीठी बातों से भरा हो प्यार का सम्मोहन। कानों को न सुहाती तेज कर्कस कोलाहल भरी आवाजें ला देती कानों में बहरापन तभी तो उनके कानों तक समस्याओं के बोल पहुँच नही पाते या फिर हो सकता दिए जाने वाले कोरे आश्वासन हमारे कान सुन नहीं पाते हो। तब ऐसा लगता है मानों विकास के पथ पर लगा हो जंग या प्रदूषण से कानों में जमा हो गया हो मैल। परिचय : संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि : २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा : आय टी आय निवासी : मनावर, धार (मध्य प्रदेश) व्यवसाय : ड़ी एम (जल संसाधन विभा...
शिकायत
कविता

शिकायत

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** क्या बादल इंसानों से बात नही करते बेचैन निगाहे ताकती बादलों को। मन ही मन दुआएं माँगती ऊपर वाले से बादलों से कहे की बरस जा काले घन को देख मयूर नाचता पीहू पीहू बोल मनाता। बादलअपना अभिमान दुनिया को दिखाता गर्जन कर बिजलियां चमकाता। ये देख रहवासी बरसने की अर्जियां वृक्षों -हवाओं से मौसम की कोर्ट में लगाने लगे। वृक्षो ने खिंचे बादलों को अपनी औऱ हवाएं टकराने लगी बादलों को आपस में। वृक्ष ,हवाओं ने छेड़ दिया युध्द बादलों से अभिमान हुआ खत्म झुकना ही पड़ा आखिर बादलो को। खेतों की फसलों का ग़ुस्सा हुआ थम। सब ने मिलकर की बादलों पर कार्यवाही जब भी घुमडो हमारे सर पर बरसना जरूर। अबकी बार ऐसा नही करोगे तो घन श्याम से करेंगे तुम्हारी शिकायत। परिचय : संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा जन...
चाँद
कविता

चाँद

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** चौखट की ओट से जब तुम्हारी निगाहे निहारती लगता सांझ को इंतजार हो रोशनी का राह पर गुजरते अहसास दे जाते तुम्हारी आँखों मे एक अजीब सी प्रेम की चमक पूनम का चाँद देता तुम्हारे चेहरे पर चांद सी रोशनी तुम्हें देख लगता चांदनी भरा जीवन। चांद देखोगी तो मेरी याद आएगी जो जीवन और प्रेम का अदभुत समन्वय बन चांदनी की रोशनी में कर देगा तुम्हें मदहोश। परिचय : संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि : २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा : आय टी आय निवासी : मनावर, धार (मध्य प्रदेश) व्यवसाय : ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) प्रकाशन : देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक", खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा-अंतर्राष्ट्रीय ...
सीढ़ी
कविता

सीढ़ी

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** सीढ़ी पर चढ़कर ढूंढ़ता हूँ बादलों में छुपे चाँद को पकड़ना चाहता हूँ चंदा मामा को बचपन में दिलों दिमाग में समाया था। लोरियों, कहानियों में रचा बसा था माँ से पूछा की चंदा मामा अपने घर कब आएंगे ये तो बस तारों के संग ही रहते है ये स्कूल भी जाते या नहीं अमावस्या को इनके स्कूल की छुट्टी होगी। तभी तो ये दिखते नहीं माँ ने आज खीर बनाई इसलिए मामा को खाने पर बुलाने के लिए सीढ़ियों पर चढ़ कर देखा मामा का घर तो बहुत दूर है। इसलिए माँ सच कहती थी चंदा मामा दूर के पोहे पकाए ..... बड़ा हो के रॉकेट से चन्द्रमा पर जाऊंगा जैसे गए थे निल आर्मस्ट्रांग तब माँ के हाथो की बनी खीर का न्यौता अवश्य दूंगा। परिचय : संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि : २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा : आय टी आय निवासी...
प्यार
कविता

प्यार

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** प्यार एक सीमित रेखा तरुणाई उम्र का आकर्षण तपस्या प्रेम की भंग ना हो सब अपनी-अपनी जगह सही हौसला न हो तो प्रेम टूटा जैसे टूटता है तारा और उसी तारे को गवाह बनाते प्रेम के सपने का उदाहरण प्रेम झूल जाता वर्षो की हाँ नहीं में मगर प्रेम होता अमर क्योकि प्यार का वाउचर जो डलवा रखा दिल की चिप में उम्र भर के लिए। परिचय : संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि : २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा : आय टी आय निवासी : मनावर, धार (मध्य प्रदेश) व्यवसाय : ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) प्रकाशन : देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक", खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के ६५ रचनाकारों में...
ओ मेघ अब तो बरस जा
कविता

ओ मेघ अब तो बरस जा

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** सूखी धरा तरसे हरियाली जाती आबिया लाएगी संदेशा माटी की गंध का होगा कब अहसास हमें गर्म पत्थरों की दिल कब होंगे ठंडे घनघोर घटाओं को देख नाचते मोर के पग भी अब थक चुके मेंढक को हो रहा टर्राने का भ्रम ओ मेघ अब तो बरस जा। छतरियां ,बरसाती भूली गांव -शहर का रास्ता उन्होंने घरों में जैसे रख लिया हो व्रत नदियाँ झरनो के हो गये कंठ सूखे कलकल के वे गीत भूले नेह में भर गया अब तो पानी ओ मेघ अब तो बरस जा। हले खेत हो जैसे अनशन पर बादलों की गड़गड़ाहट बिजलियों की चमक से डर जाता था कभी प्रेयसी का दिल ठंडी हवाओं से उठ जाता था घुंघट मुस्कुराते चेहरे होने लगे अब मायूस ओ मेघ अब तो बरस जा। परिचय : संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि : २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा : आय टी आय निवासी : मनावर, धार (मध्य...
श्रीराम
भजन

श्रीराम

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** श्रीराम ही शक्ति के दाता दर्शन मात्र से सारे सुख पाता। जब ध्यान लगाएं हरदम तुझमें पुनीत विचार सब समाए मुझमे। श्री राम की छवि बड़ी निराली कण-कण में समाई खुशहाली। सारा जग होता तुझसे ही रोशन प्राणी पाते धन धान्य और पोषण। सांस-सांस में है बसा नाम तुम्हारा श्रीराम ही तो है बस मेरा सहारा। हे श्रीराम सारा जग तो है तुम्हारा जग में तुम बिन कोई नही है हमारा। पूजन करो और बोलो जय श्री राम दुःख दूर होगा मिलेगा सुख आराम। परिचय : संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि : २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा : आय टी आय निवासी : मनावर, धार (मध्य प्रदेश) व्यवसाय : ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) प्रकाशन : देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प...
अयोध्या
भजन

अयोध्या

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** नगरी हो अयोध्या सी जहाँ राम का वास हो घण्टियों, शंखों का जहाँ सुमधुर ध्वनियों का नाद हो मेरे राम सदा ह्रदय बसे बस इतना सा मीठा ख्वाब हो। ध्वज सदा लहराए कीर्तन एक साथ हो मंगल आरती गाए संग राम का विश्वास हो नगरी हो अयोध्या सी जहां राम का वास हो। फूलों से सुशोभित मंदिर को दर्शन जावे मंत्रमुग्ध हो ध्यान लगावे मांगे और कई है आशा रामजी करेंगे पूरी अभिलाषा नगरी हो अयोध्या सी जहां राम का वास हो। परिचय : संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि : २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा : आय टी आय निवासी : मनावर, धार (मध्य प्रदेश) व्यवसाय : ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) प्रकाशन : देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति "दरवा...