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घायल शेरनी

रमेशचंद्र शर्मा
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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 विमला का पति शहर के नामचीन सेठ के यहां बंगले पर चौकीदारी करता था। विमला की १२ साल की बेटी थी। विमला भी सेठ के यहां झाड़ू पोछे का काम करती है। विमला के पति को सेठ ने परिसर में ही एक कमरा सर्वेंट क्वार्टर के रूप में दे रखा था। विमला का पति शराबी था। वह अक्सर शराब के लिए विमला से रुपए मांगता एवं झगड़ा करता रहता। यह बात सेठ एवं उसके पूरे परिवार को मालूम थी।
एक बार सेठ सपरिवार किसी रिश्तेदार की शादी में गए हुए थे। अचानक रात में सेठ की हवेली में डकैत आ जाते हैं। हवेली में विमला का पति अकेला था। उसने डकैतों को रोकने की कोशिश की। डकैतों ने विमला के पति की हत्या कर दी। लूटपाट करके सोने के कुछ जेवर विमला के घर के पीछे तफ्तीश भटकाने की नियत से फेंककर चले गए।
सुबह हत्या की जानकारी मिली। सेठ को बुलवाया गया। सेठ ने विमला पर शक जाहिर किया। परिवार वालों ने भी कहा कि विमला अक्सर उससे झगड़ा करती थी। पुलिस ने विमला के घर के पीछे से कुछ जेवर भी बरामद कर लिए। विमला पूरे घटनाक्रम से अनभिज्ञता बताती रही। उसकी एक भी नहीं चली। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
विमला की बेटी अनाथ हो गई। गांव में भी उसका कोई नहीं था। विमला की किसी ने भी जमानत नहीं दी। सेठ ने विमला की बेटी को अपने घर काम के लिए रख लिया। घरवाले रोजाना विमला की बेटी को ताना मार कर अत्याचार करते रहे। विमला की बेटी के पास कोई रास्ता नहीं बचा था। वह दिन रात काम पर लगी रहती एवं सेठ से अपनी मां को छुड़वाने के लिए गुहार लगाती रहती।
एक वर्ष बाद सेठ के घर डकैती करने वाले माल सहित पकड़ा जाते हैं। लूट का सारा माल बरामद हो जाता है। लूटेरे दुर्भावना से फेंके गए माल एवं विमला के पति की हत्या का जुर्म कुबूल लेते हैं। विमला को रिहा कर दिया जाता है। जेल से छूटकर विमला सेठ के घर आती है। अपनी बेटी की तलाश करती है। उसे बताया जाता है दो माह पहले खाना बनाते वक्त उसकी बेटी जलकर मर चुकी है। सेठ के नौकरों ने धक्के मारकर विमला को घर से भगा दिया। विमला हारकर पुलिस थाने जाती है, लेकिन वहां भी उसकी कोई सुनवाई नहीं होती। उल्टा उसे जेल में बंद करने की धमकी देकर भगा दिया जाता है।
शहर में सेठ की सताई, हारी थकी विमला अपने पिता के गांव लौट जाती है। अचानक कई वर्षों बाद अकेली उदास विमला को देखकर वह भी चौंक पड़ते हैं। सेठ के यहां चौकीदार उसके पति की हत्या, विमला की १२ वर्षीय पुत्री की सेठ के यहां संदिग्ध मृत्यु की पूरी दर्दनाक कहानी अपने पिता को सुनाती है। विमला के ससुराल में कोई भी नहीं था। इस कारण वह अपने पिता के पास चली आई, इस उम्मीद से इस दुनिया में अब उनके पिता ही एक मात्र सहारा बचें हैं। विमला की मां एवं भाई कुछ साल पहले सड़क दुर्घटना में मारे जाते हैं। इस कारण अब विमला के पिता मोहन अकेले ही घर पर रहते हैं। मोहन ने अपनी पुत्री विमला को ढांढस बंधाया और सहारा भी दिया। विमला घर के सारे काम करती और खेतों पर मजदूरी करके जीवन यापन करने लगी। विमला रह-रह कर अपने पति की मृत्यु और बेटी की हत्या को स्मरण करके रोती रहती है। उसके मन में प्रतिशोध की आग दिनोंदिन प्रखर होती जा रही थी। विमला अपने पिता से मासूम बेटी की हत्या की पड़ताल की बात बार-बार कहती।
कुछ समय बाद विमला अपने पिता मोहन के साथ शहर बाजार करने जाती है। सेठ की हवेली के सामने से निकलते हुए वह फफक कर रोने लगती है। मोहन अपनी बेटी को समझाते हैं। दोनों बाजार में खरीदारी करने निकल जाते हैं। तभी सेठ का पुराना ड्राइवर विजय मिल जाता है। उसको विमला की पूरी दर्दनाक कहानी मालूम थी। विमला के पिता मोहन ने इस मामले में विजय से मदद करने की बात कही।विजय भी सेठ का सताया हुआ था। उसे भी सेठ ने कई बार पीटा था। उसकी पत्नी के साथ गलत काम करने की कोशिश भी की थी। विजय की पत्नी ने सेठ और सेठानी की लड़ाई का पूरा वीडियो बना लिया था। जिसमें सेठ द्वारा विमला की बेटी को परेशान करने और जलाकर मार डालने की बातचीत भी रिकॉर्ड थी। विजय के पास कुछ ऑडियो रिकॉर्ड भी विमला से संबंधित बातचीत के थे। विजय ने विमला से कहा “अगर तुम्हारे पास भी वीडियो रिकॉर्डिंग होती तो आज हम दोनों मिलकर सेठ को सलाखों के पीछे जाने को मजबूर कर देते”।
विजय की बात से चारों में आत्मविश्वास आ गया। चारों मिलकर आई.जी. पुलिस के दफ्तर चले गए। २ घंटे इंतजार के बाद उन्हें मिलने की अनुमति मिल जाती है। विमला अपनी सारी आप बीती, सेठ की करतूतों के साथ ही संबंधित थाना प्रभारी की मिलीभगत का भी खुलासा करती है। विजय और उसकी पत्नी ने ऑडियो और वीडियो आई.जी. साहब को बताए। साथ ही अपनी आप बीती भी विस्तार से आई.जी. साहब को सुनाई। आई.जी.साहब ने सभी की बातें सुनने एवं ऑडियो वीडियो देखने के बाद तत्काल प्रभाव से थाना प्रभारी को निलंबित कर लाइन हाजिर कर दिया। सेठ के खिलाफ सबूत जुटाने के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम गठित कर दी, जिसे एक माह में रिपोर्ट देने को कहा गया !
चारों अपने-अपने घर आ गए। इस बीच सेठ ने विजय और विमला के पास शिकायत वापस लेने के लिए बहुत दबाव बनाया। दोनों को रुपए देकर खुश करने का भी अच्छा खासा ऑफर दिया। इस बार मध्यस्थ की सारी बातचीत का वीडियो विमला ने बना लिया। विमला ने मध्यस्थ के सामने शर्त रख दी “यदि सेठ स्वयं गांव आकर उसके सामने माफी मांगकर मुंह मांगी रकम दे देगा तो मैं अपनी शिकायत वापस ले लूंगी” मध्यस्थ विमला की बातों में आ गया।। उसे लगा भोली-भाली ग्रामीण विमला रुपयों की लालच में आ गई। तय तिथि और समय के अनुसार सेठ विमला के घर पर रुपयों भरा बैग लेकर आता है। वह दोनों कान पकड़कर विमला और उसके पिता से माफी मांगने लगता है। दोनों के सामने वह अपना अपराध कबूल कर लेता है। तभी लोकायुक्त पुलिस आकर सेठ को रंगे हाथ दबोच लेती है। सेठ हक्का-बक्का रह जाता है। उसे विश्वास ही नहीं होता कि गांव की गंवार विमला इतना बड़ा कदम भी उठा सकती है। विमला ने पूरे घटनाक्रम के वीडियो बना लिए थे। लोकायुक्त पुलिस सेठ को गिरफ्तार कर अपने साथ ले जाती है।
सेठ स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम की जांच में भी दोषी पाया जाता है। लगातार तीन साल कोर्ट में केस चलता रहा। विजय उसकी पत्नी तथा विमला अपने पिता के साथ कोर्ट जाते रहे। वह दोनों किसी के दबाव और लालच में नहीं आए। अंत में सेठ को २० साल की सश्रम कारावास और जुर्माना दोनों हो जाते हैं।
आज विमला खुश है। उसने अपने परिवार पर अत्याचार करने वाले सेठ को कानूनी सबक सिखा दिया था।

परिचय : रमेशचंद्र शर्मा
निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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