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अब की आई ऐसी दिवाली

सरिता चौरसिया
जौनपुर (उत्तर प्रदेश)
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अब की आई ऐसी दिवाली
कुछ आंसू कुछ दीपों वाली,
जग सारा जगमग जगमग है
रोशन हर इक गली डगर है,
देश नगर भर कर उमंग में
नए चरम को छूता है,
अंधकार और तम विनाश को
लड़ियां झूमर झालर लाए
सजी रंगोली बंदनवार सजाए हमने,
पूजन-पाठ आरती मंगल
दीप धूप महकाया सबने,
नए-नए रंग रूप संवारे
सज धज लगते सभी प्यारे
खीर-पूरी पकवान पकाए
सब लोगों ने मौज उड़ाए,
द्वार खड़े हम कुछ यूं खोए
सब आए हैं, सब आयेंगे,
बस मेरे पापा ना आए,
फ़ोन कॉल के लिए तरसते
रह गए मेरे कान,
मेरे प्यारे बाबूजी की हैप्पी दिवाली
सुन पाने को,
अबकी आई कुछ ऐसी दिवाली,
कुछ आंसू कुछ दीपों वाली।।

परिचय :- सरिता चौरसिया
पिता : श्री पारसनाथ चौरसिया
शिक्षा : एम. ए. हिंदी (बी.एड.)
जन्म स्थान : जौनपुर (उत्तर प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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