Monday, May 20राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

बचपन कि वो यादे

परमानंद सिवना “परमा”
बलौद (
छत्तीसगढ)
********************

बचपन कि वो यादे,
याद बहुत आती है,
हंसना रोना मिलकर रहना
वो पल बहुत सताती है.!

बचपन के वो खेल खिलौने
गिल्ली-डन्डा, भौरा-बाटी,
दादा-दादी, नाना-नानी कि
गोद मे बैठ कर कहानी सुनना .!

उम्र बढ़ी बचपना घटी सपने
पुरे करने कि दिन है आई,
बिताये पल वो याद आते है,
आंखों मे मे आंसू दे जाते है.!

बचपन मे झगडना फिर
दोस्तों से मिल है जाना,
अब तो दुरीया इतनी बढी बस
दोस्तों कि यादो मे दिन है पहाना.!

काश को बचपन फिर से लौट आये
फिर से खुशीयो कि बौझार है छाय,
चंदा मामा, कि कहानी
दादी-नानी फिर से सुनाये.!

बचपन कि वो यादे,
याद बहुत आती है,
हंसना रोना मिलकर रहना
वो पल बहुत सताती है.!!

परिचय :-परमानंद सिवना “परमा”
निवासी – मडियाकट्टा डौन्डी लोहारा जिला- बालोद (छत्तीसगढ़)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें….🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *