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दर्द उनका संभालते रहना

आलोक रंजन त्रिपाठी “इंदौरवी”
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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दर्द उनका संभालते रहना
कोई मुद्दा उछलते रहना

मां का बच्चा ये बहुत प्यारा है
इसको हरदम दुलारते रहना

जो मुसीबत में फंसे हैं देखो
ग़म से उनको उबारते रहना

फर्ज की बात बस करो मुझसे
अब तो खुद को तरासते रहना

मां बड़ी है जहान दुनिया में
उसको हरदम दुलारते रहना

गलतियां जब भी तुमसे हो जाए
हर कदम पर सुधारते रहना

खूब इज्जत कमा सको रंजन
रब से इतना पुकारते रहना

परिचय :- आलोक रंजन त्रिपाठी “इंदौरवी”
निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : एमए (हिंदी साहित्य)
लेखन : गीत, गजल, मुक्तक, कहानी, तुम मेरे गीतों में आते प्रकाशन के अधीन, तीन साझा संग्रह में रचनाएं प्रकाशित, १० से ज्यादा कहानियां पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित, ५० से ज्यादा गीत के चल पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित, २०१६ से लेखन में अभिरुचि
विशेष : आध्यात्मिक प्रवक्ता एस्ट्रोलॉजर
घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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