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औषधीय गुणों से युक्त “काफल”

सुरेश चन्द्र जोशी
विनोद नगर (दिल्ली)
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फलों में पोटेशियम की अधिक मात्रा होने से उच्च रक्तचाप और गुर्दे में पथरी होने से बचा जा सकता है। साथी हड्डियों के क्षय को भी रोका जा सकता है। फलों के तुल्य कोई भी अन्य भोज्य पदार्थ नहीं हो सकता है फलों में कई ऐसे जादुई सूक्ष्मात्रिकतत्वोंऔर एंटी-आक्सीडेंट्स का मिश्रण पाया जाता है जिनकी पूर्ण खोज वह ज्ञान अभी भी अज्ञात है। जिन फलों के सेवन से स्वास्थ्य को अच्छा लाभ बनाए रखने में मदद मिलती है उनमें- सेव, अमरुद, अंगूर, संतरा, केला, पपीता, विशेष रूप से प्रयोग किया जा सकता है।
उत्तरी भारत के पर्वतीय क्षेत्र हिमाचल उत्तराखंड और नेपाल में पाया जाने वाला सदैव हरा भरा रहने वाला “काफल’ का वृक्ष प्राकृतिक रूप से पैदा होता है। जिसके फल को “बेबेरी” नाम से भी जाना जाता है का- फल खाने में अत्यधिक स्वादिष्ट, हरा, लाल, व काले रंग में पाए जाते हैं काफल का फल गर्मी में शरीर को शीतलता प्रदान करता है। साथ ही इसके सेवन से शरीर से रोग की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है और कई तरह की बीमारियों से बचाव करते हुए स्थानीय लोगों को इसके विक्रय से आर्थिक बल भी मिलता है। यह अत्यधिक रसयुक्त तथा पाचक फल होता है। वैज्ञानिक मानते हैं कि काफल के ऊपर लगा हुआ भूरे व काले धब्बों से युक्त होटल अल्सर की बीमारी में प्रभावी माना गया है तथा काफल खाने से कई प्रकार के उदर विकार नष्ट होते हैं साथ ही यह फल मानसिक बीमारियों सहित कई अन्य प्रकार के रोगों के लिए भी लाभकारी माना गया है।
काफल के पेड़ की छाल का रस अदरक तथा दालचीनी का मिश्रण अस्थमा डायरिया पेचिश तथा फेफड़े से ग्रस्त बीमारियों के लिए अत्यधिक लाभकारी माना गया है। इसके अतिरिक्त काफल के पेड़ की छाल का पाउडर जुकाम नेत्र विकार शिरो वेदना के लिए भी उपकारी है। काफली चूर्ण को अदरक के रस के साथ शहद में मिलाकर प्रयोग करने से गले की बीमारी जैसे खांसी तथा अस्थमा आदि रोगों से मुक्ति मिलती है। और इसके अतिरिक्त काफल की छाल दांत के दर्द के लिए भी अत्यंत उपयोगी मानी गई है। यही नहीं काफल के फूल का तेल कर्ण पीड़ा, लकवे के साथ-साथ हृदय रोग तथा मधुमेह रक्तचाप को भी नियंत्रित करता है। नेशनल मेडिसिन प्लांट्स बोर्ड के क्षेत्रीय निदेशक डॉक्टर अरुण चंदन जी ने कहा है कि “काफल जंगली तौर पर पाया जाने वाला एक विशेष मौसमी फल है औषधि गुणों से भरपूर यह फल शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करता है इस पल के सेवन से कई तरह की बीमारियों का अंत होता है”।
पर्वतीय क्षेत्रों में यह पर्वतीय फल अप्रैल माह से जून मास तक की अवधि में ही पाया जाता है। वहां के लोग इसका भरपूर सेवन करते हुए विक्रय भी करते हैं जिससे लोगों को स्वास्थ्य लाभ के साथ साथ अर्थ लाभ की भी प्राप्ति होती है। इसे सामान्यतया तोड़ने वाला व्यक्ति पेड़ पर ही खाकर आ जाता है, और घर आकर मसाले के साथ मिलाकर परिवार व समाज के साथ मिल बांट कर पुनश्च खाते हैं। निश्चित रूप से पर्वतीय क्षेत्रों के हर एक वृक्ष हमारे लिए उपकारी हैं इसमें किसी भी प्रकार का संदेह नहीं होना चाहिए। अभी एक नवीनतम खोज के अनुसार काफल का फल कैंसर जैसी असाध्य बीमारी के लिए भी एक उपचार औषधि है। इस विषय पर अभी वैज्ञानिकों का और चिकित्सकों का शोध चल रहा है। निश्चित रूप से परिणाम सुखद ही होंगे। क्योंकि सभी रोगों के लिए उपचार में उपकृत यह फल निश्चित रूप से कैंसर के लिए भी रोग निरोधक सिद्ध होगाआशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है।

परिचय :- सुरेश चन्द्र जोशी
शिक्षा : आचार्य, बीएड टीजीटी (संस्कृत) दिल्ली प्रशासन
निवासी : विनोद नगर (दिल्ली)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।

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