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आज फिर उनसे मुलाकात हो गई

आकाश प्रजापति
मोडासा, अरवल्ली (गुजरात)
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आज फिर उनसे मुलाकात हो गई
इस रुकी हुई जिंदगी में फिर से
फूलों की सौगात हो गई।
आज फिर उनसे मुलाकात हो गई।

बहुत दिनों बाद देखा उसको
बदली बिलकुल न थी
होठों पर वहीं मुस्कुराहट
आखों में वहीं पुरानी नमी सी थी
जुल्फें फिर से उड़कर चहरे पर छा रही थी

देखकर मुझे जो शर्माती थी
वो शर्म फिर उसे आ रही थी
हाथों की चूड़ियां खनका कर
वो कुछ तो कहना चाहती थी
यह मुलाकात मुझे कुछ तो
जतलाना चाहती थी
सच्ची आज फिर
उनसे मुलाकात हो गई
इस रुकी हुई जिंदगी में
फिर से अखियां चार हो गई।
आज फिर से उनसे मुलाकात हो गई

कहना तो बहुत कुछ चाहता था
पर दिल तुम्हें देख कर
बैचेन होता जा रहा था
लोगों की भरी इस महफिल में
सिर्फ तुम्हारा ही चहरा नजर आ रहा था
बस हर दम सामने रहो तुम मेरे
यहीं प्रभु मैं मांग रहा था
किस लिए आज फिर से
तुमसे मुलाकात हो गई

ये बात को समझना चाहता था
क्या करू आज फिर
उनसे मुलाकात हो गई
इस रुकी हुई जिंदगी में
फिर से प्रेम की बरसात हो गई
आज फिर से उनसे मुलाकात हो गई

मेरी राधा सज्ज हुई
मेरे साथ बाहर जाने को
तकदीर ने फिर दिया
मौका उसे मिलने को
आज उसके श्रृंगार में भी
कुछ अलग सा था
मेरे लिए सज्ज हुई है ये बात
बताई पायल ने छन-छन
छनाकर मुझको

क्यों किया था इकरार
पर ये सब यह बात
जरा समझ नहीं आई
था प्रेम मुझसे तो उस दिन
छत पर मिलने क्यों नहीं आई
क्यों आज फिर से
उनसे मुलाकात हो गई
इस रुकी हुई जिंदगी में
फिर से चमन की बहार ही है
आज फिर उनसे मुलाकात हो गई

ये दो दिन मुलाकात
यादों की सौगात बन गई
बारिश में साथ भीग कर
प्रेम की बरसात हो गई
जो फिर कभी न मिलने वाले थे
उनसे फिर से मुलाकात हो गई
अब ये चल रही जिंदगी में तुम
फिर से मेरी राधा गोरी बन गई
सच्च में आज ये मुलाकात
मेरी जिंदगी की खुशियों की
सच्चाई हो गई
आज फिर उनसे मुलाकात हो गई।

परिचय :आकाश कल्याण सिंह प्रजापति
निवासी : मोडासा, जिला अरवल्ली, (गुजरात)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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