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टुरी खोजाई

परमानंद सिवना “परमा”
बलौद (
छत्तीसगढ)
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छत्तीसगढ़ी कविता


ऐ गाँव ले वो गाँव चलत हाबे घुमाई,
जेला कथे छत्तीसगढ़ मा टुरी खोजाई.!

एक सियान हे ता दो नवजवान हे,
गाडी मा बइठे नशा करे बिगडे जुबान हे.!

कोनो सच बतात हे खेती किसानी
इही मोर अभिमान हे,
ता कोनो जुट गाडी बंगला कई ऐकड
खेत कही कही के बतात हे.!

जुठ लबारी तोर काम नई आये,
काम अही तोर व्यवहार हा,
टुरी (लडकी) मत खोजो,
खोजना हे ता घर बर बेटी खोजो.!

पइसा वाले जन देख-देख ले
वोकर घर परिवार व्यवहार ला,
पइसा वाले मारही पीटही झगडा करही
व्यवहारवान बेटी ला सम्मान दीही.! !

परिचय :- परमानंद सिवना “परमा”
निवासी : मडियाकट्टा डौन्डी लोहारा जिला- बालोद (छत्तीसगढ़)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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