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ए चांद! जरा जल्दी आना

दीप्ता नीमा
इंदौर (मध्य प्रदेश)

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ए चांद! जरा जल्दी आना
साजन का दीदार जल्दी कराना

हाथों में देख मेहंदी लगाई है
तेरे नाम की मेहंदी रचाई है
माथे पर बिंदिया लगाई है
मैंने पूजा की थाल सजाई है
ए चांद! जरा जल्दी आना
साजन का दीदार जल्दी कराना

हाथों में चूड़ी और कंगना है
कानों में झुमका पहना है
सजना ही मेरा गहना है
सजना के लिए ही सजना है
ए चांद! जरा जल्दी आना
साजन का दीदार जल्दी कराना

करवा चौथ में चांद का इंतजार रहता है
चांद के साथ में सजना का दीदार होता है
उसके हाथ से पानी पीकर व्रत मेरा टूटता है
हमारा प्यारा रिश्ता और परवान चढ़ता है
ए चांद! जरा जल्दी आना
साजन का दीदार जल्दी कराना।।

परिचय :- दीप्ता मनोज नीमा
निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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