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संस्कार

किरण पोरवाल
सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश)
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बच्चों के आप दोस्त बने,
करे दोस्त सा व्यवहार,
मजा उसी मै आयगा,
सदा साथ व्यवहार।
खुलकर रहे वो भी सदा,
करे मन-तन की हर बात।
अब मात-पिता पर आती है,
कैसे दिये संस्कार।
नींव यदि मजबूत हे,
डिगा ना सके कोई
माय का लाल।
मात-पिता दृढ़ निश्चय हे,
चले कदम वह साथ।
हिम्मत मेहनत दिन रात कर,
बढता समय के साथ।
साथ रहे वह हर पल,
हर दम उसके साथ।
दुख सुख की सब बात करे,
दोस्त बने रहे साथ।
संस्कार और संस्कृति का,
मान और सम्मान का,
आदर और सत्कार का,
प्यार और व्यवहार का।
दिया हे तुमने ज्ञान,
सबके मन को जीतेगा,
उसका यह व्यवहार।
चाहे (प्यार करे) उसको,
हर पल हर दम,
उसका ही व्यवहार।
आगे बढाते जायेगा,
उसका यह स्वभाव।

परिचय : किरण पोरवाल
पति : विजय पोरवाल
निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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