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सुबह उठते ही

दीप्ता नीमा
इंदौर (मध्य प्रदेश)

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सुबह उठते ही चाय का
छाया रहता खुमार है
मौसम कोई भी हो
चाय तो सदाबहार है
सुबह उठते ही चाय
की तलब होती है
चाय के साथ ही
नमस्कार अदब होती है
सुबह उठते ही करते
हम उसका दीदार है
चाय पर तो शौक़ीनों का ही
इकतरफा अधिकार है
गजब का सुर्ख रंग
और स्वाद लगता है
हर एक चुस्की पर दिल
को सुकून सा मिलता है
सर्दियों में वह एक
प्रेमिका सी लगती है
हर बार उससे मिलने की
तलब जाग उठती है
उसकी छुअन से लबों पर
एक सरसरी सी उठती है
उफ्फ! इस चाय से तन मन
में ताजगी भर उठती है।

परिचय :- दीप्ता मनोज नीमा
निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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