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ख्वाब

किरण पोरवाल
सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश)
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ख्वाब में तुझे जब से देखा,
चाहने की तमन्ना थी,
मन में बड़ी उम्मीद थी,
दिल में बड़ी उमंग थी,

रब ने तुझे मेरे लिए ही भेजा,
खयालों में दिन रात आती हो मेरे,
ख्वाबों में सदा बस्ती हो तुम मेरे,
नही ओझल होती हो तुम निगाहो से,

वो नशीली आंखें मद होश,
हर पल करती है मुझे,
मुस्कान पर तेरी बिछा दूं,
पलकों की चादर,

मदहोश करती है
हर अदा यह तेरी,
वह होठ का तिल जो है
वह जान है मेरी,
गुलाबी होठों पर लाली
जैसे गुलाबी फूल का खिलना,

उड़ती जुल्फे है जो बिखरी,
हवा की ओर जो उड़ती,
लटकती लट जो हे तेरी,
हर अदा पे वो बिखरी,

ख्वाब तो बस ख्वाब था,
जब होश है आया,
वह अलग और मैं अलग,
बस कहानी सपनों की थी।

परिचय : किरण पोरवाल
पति : विजय पोरवाल
निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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