Friday, May 10राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

वसन्ततिलका – उक्ता वसंततिलका

ज्ञानेन्द्र पाण्डेय “अवधी-मधुरस”
अमेठी (उत्तर प्रदेश)

********************

तभजा : जगौ ग : (तगण, भगण, जगण, जगण, दो गुरु – १४ वर्ण ८, ६ पर यति हो या नहीं भी हो, दो सम तुकान्त)
(ॐ स विष्णवे नम:)

श्री विष्णु पूजन करो, उठते सवेरे।
एकादशी अति शुभी, जपले लबेरे।।
पीतांबरी तन गछी, कर शंख राधे।
बैजंति माल गल में, गद चक्र साधे।।

दैत्यासुरा दल दिखे, भयभीत भाजे।
पापी कुकर्म बझिके, कबहूँ न छाजे।।
फैले प्रकाश हिय में, जब भान होगा।
सत्ता उसी परम की, तब ज्ञान होगा।।

मानो न बात उलटी, न बनो कुगामी।
सोचो मिले न कुछ भी, घुमिए गुनामी।।
आगे बढ़ें सपथ पे, न चलें कुचालें।
पैनी रखें नजर यूँ, डग भी सँभालें।।

लिखा वही करम का, लिखता-मिटाता।
भाषा न जान सकता, कितना छुपाता।।
है कर्म सुंदर जभी, तब ही सुहाता।
धर्ता वही जगत का, वह ही प्रदाता।।

आओ विचार करलें, भरलें चिता में।
कूर्मा सरूप हिय में, धरलें हिता में।।
संतोष भाव उपजे, प्रभु बड़े कृपालू।
भंडार भी भरत हैं, हरि बड़े दयालू।।

परिचय :-  ज्ञानेन्द्र पाण्डेय “अवधी-मधुरस”
निवासी : अमेठी (उत्तर प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *