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संबोधन बदले

मालती खलतकर
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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ना कोई संबोधन बदले
ना बदली मेरी भाषा।
बदल गई चेंजिंग कर
तेरे मन में मेरी परिभाषा।

बदल गए संदर्भ जगत के
बादली बरखा की बहली
बही बयार बन झंझावात
पर मेरे मन की झंकार ना बदली।

पीर जगत की ओढली मैंने
किसी शुन्य तरुवर के नीचे
भावों के उद्योग वही है
सोपानोपरचढ़ते चढ़ते।

परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ी आप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती हैं व वर्तमान में इंदौर लेखिका संघ से जुड़ी हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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