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सपनों का आसमान

संगीता दरक
मनासा, नीमच (मध्यप्रदेश)
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ना बंदिशों की परवाह है
ना बंदिशों की परवाह है,
ना परंपराओं की जकड़न
आत्मविश्वास का पहना,
मैंने अचकन उम्मीद
से भरे पंख मेरे,
हौसलों से भरी उड़ान है ,
समेट लूँ आज,सारा जहां में
कि साथ मेरे
सपनों का आसमान है।

ना मन को समझाऊं मैं,
ना पग धरु पीछे में,
ना ख्वाहिशों को
अपनी छिपाऊँ में,
काबिलियत अपनी सारे
जहां को दिखाऊँ मैं।
कि साथ मेरे
सपनों का आसमान है।

तारों के साथ आज,
उजाले की बात करते हैं।
काले अँधेरो पर आज
रौशनी बिखेरते है।
सपनों के आसमान में
सूरज सा जगमगाते है,
धरती के तिमिर को
पल में हराते है।
बस इतना सा अरमान है,
साथ मेंरे आज
सपनों का आसमान है।

परिचय :- संगीता दरक
निवास :  मनासा जिला नीमच (मध्यप्रदेश)
घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।


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