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मानवीयता

माधवी तारे
लंदन
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कई साल से विदेश में मरीजों की सेवा करने वाले प्रख्यात चिकित्सक अपने अस्पताल की ड्यूटी खत्म होने के बाद अपनी क्लिनिक में आकर बैठे। वहाँ भी मरीजों की कतार लगी थी। एक-एक मरीज लाइन से आकर अपने समस्या बताकर दवाई की पर्ची ले जा रहा था। अभी लाइन खत्म ही नहीं हुई थी कि एक वृद्ध महिला के चीखने चिल्लाने की आवाज सुनाई दी। उसके पैर में गहरा जख्म था, वेदना असह्य हो रही थी। वह बहुत ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला रही थी उसके साथ उसकी बेटी थी, चिल्लाने की आवाज सुनकर डॉक्टर अपनी सीट छोड़कर बाहर आए और पूछा – “क्या हुआ बेटा” ?
परिस्थिति की गंभीरता देखकर डॉक्टर ने लोगों से उस महिला को टेबल पर लिटाने को कहा, बाकी मरीजों को छोड़कर डॉक्टर उस महिला के जख्म का इलाज करने लगे। फिर डॉक्टर दूसरे मरीजों को देखने चले गए और उस महिला को और क्लिनिक के पलंग पर लेटे रहने दिया, महिला की स्थिति को देखते हुए डॉक्टर ने उन्हें पास के अस्पताल में भर्ती करा दिया, पांच-छह दिन बाद ठीक होने पर उसकी अस्पताल से छुट्टी हो गई।
समय का पहिया घूमता रहा, इस घटना को पांच-छह साल हो हो गए डॉक्टर भी इस घटना को लगभग भूल चूके थे। कैंसर के पेशेंट के तौर पर यह वृद्ध महिला उसी अस्पताल में भर्ती हुई, उसके साथ उसकी बेटी थी। इलाज के दौरान पता चला कि उस महिला का कैंसर आखिरी स्टेज पर है, वृद्ध महिला ने बेटी को पास बुलाया और कहा, “बेटा पास के क्लीनिक में फलां डॉक्टर होंगे, उनको ये लिफाफा दे देना, और बता देना की मैं मरने के पहले उन्हें कुछ देना चाहती हूँ, उनके इलाज से ही मेरा पैर ठीक हुआ था।”
बेटी क्लीनिक में पहुंची और डॉक्टर साहब को नमस्ते करते हुए बोली “क्या आपने मुझे पहचाना?”
“बहुत साल पहले आपने मेरी मां के पैर का इलाज किया था और आज मेरी मां कैंसर के इलाज के लिए इसी अस्पताल में भर्ती है, उन्होंने आपके लिए यह लिफाफा भेजा है और कहा कि सिर्फ डॉक्टर के हाथ में यह देना और किसी के नहीं। डॉक्टर साहब उनका कैंसर आखिरी स्टेज पर है, पर ५ साल पहले की घटना को याद करते हुए बोली कि वह आपको कुछ देना चाहती हैं प्लीज इसे स्वीकार करे।”
डॉक्टर ने कहा कि यहां हम किसी भी मरीज से कुछ नहीं लेते इलाज करना हमारा कर्तव्य है उनका पैर ठीक हो गया, हमें सब कुछ मिल गया। पर लड़की ने कहा कि मां की आखिरी इच्छा है तो आप इसे रख लीजिये।
डॉक्टर लिफाफा जेब में रखकरअस्पताल में आ गए और वृद्ध महिला से पूछा आप कैसी हो अम्मा?
मैं ठीक हूं, महिला ने कहा… आप की मेहरबानी से तब तो मैं ठीक हो गई थी लेकिन अभी कैंसर से जूझ रही हूं, डॉक्टर ने उन्हें सांत्वना दी और फिर से क्लीनिक में आकर बैठ गए।
काम खत्म होने के बाद डॉक्टर ने लिफाफा खोलकर देखा तो उसमें बारबिकन थिएटर का आजीवन पास था। इस थियेटर में आने के लिये लोग और कार्यक्रम करने के लिये दुनिया के मशहूर कलाकार हमेशा उत्सुक रहते हैं, कई महीने पहले से यहां की बुकिंग फुल हो जाती है। इस पास को देखकर डॉक्टर की आंखें भर आई और बरबस उनके मुंह से शब्द निकले कि मानवीयता किसी देश, स्थान या उम्र की मोहताज नहीं होती !!!

परिचय :- माधवी तारे
वर्तमान निवास : लंदन
मूल निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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