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सड़क के किनारे

डॉ. सुभाष कुमार नौहवार
मोदीपुरम, मेरठ (उत्तर प्रदेश)
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सड़क के किनारे बैठी वह
जीण-शीर्ण आधे घूंघट में,
हाथों में पके-अधपके
चावलों का कटोरा लिए।
पेट के गड्डे को भर
रही थी कुछ इस तरह
कि मानो फिर
कभी खाली न होगा।
लेकर कुदाल उन
नाजुक हाथों में,
फिर से एक नाली
को खोदना होगा।
अकेली नहीं थी वह!
दामपत्य जीवन के सुबूत
उसके दो कर्मवीर सुपु‍त्र,
कुदाल के हत्थे को
अधिकार स्वरूप छीनने
का प्रयत्न कर रहे थे।
क्योंकि यही तो मिलेगा
उन्हें कुछ संभलने पर!
शुक्र है कि उन्होंने
कागज कलम नहीं माँगी।
वर्ना कहाँ से लाकर देती
वो इन निरक्षरों को अक्षर?
सुघढ़ थी पर
पढ़ी-लिखी नहीं थी वह।
पेट की आग में
झुलस गया था
उस रूपवती का रूप।
वर्ना आधुनिकता के
अधनंगे लिबास में,
सड़क के किनारे
किसी रेस्तराँ में
वेटर को कुछ इठलाती
ऑर्डर लिखवाती।
पर वह तो सूँत-सूँतकर
खाए जा रही,
पके-अधपके चावल!
सड़क के किनारे बैठी थी वह
हाथों में पके-अधपके
चावलों का कटोरा लिए।

परिचय :- डॉ. सुभाष कुमार नौहवार
जन्म : ५ फरवरी १९७३
जन्म स्थान : कौलाहर (मथुरा)
निवास : मोदीपुरम (मेरठ) उत्तर प्रदेश।
शिक्षा : एम.ए हिंदी, शिक्षा शास्त्र, इतिहास, बी.एड (पी.एच.डी- निरंतर)
वर्तमान निवास : दोहा क़तर (अरब की खाड़ी)
साहित्यिक परिचय : लेखक- नई स्वाति कक्षा १-८ सरस्वती हाउस पब्लिकेशन, (एस. चाँद पब्लिकेशन) नई दिल्ली। कवि, विचारक, साहित्यकार (ब्लोग राइटर)
कार्य स्थल : वर्ष २००८ से खाड़ी के देशों में हिंदी शिक्षण कार्य में संलग्न। वर्तमान में दोहा मॉडर्न इंडियन स्कूल में बतौर विभागाध्यक्ष हिंदी के रूप में कार्यरत।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है


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